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कहानी अनिल गुरव की जिसको देखकर सचिन बल्लेबाजी सीखते थे
कोच रमाकांत आचरेकर युवा सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली को अनिल गुरव की बल्लेबाजी देखने को कहते थे, अनिल उस दौर में मुंबई के विवियन रिचर्ड्सन कहे जाते थे
Written by Jay Jaiswal
Published: Oct 24, 2016, 01:39 PM (IST)
Edited: Oct 24, 2016, 01:39 PM (IST)


क्रिकेट के खेल में जब भी अनलकी खिलाड़ियों की बात आती है तो अमोल मजूमदार, रजिंदर गोयल, पद्माकर शिवालकर जैसे खिलाड़ियों का नाम सामने आता है, लेकिन इन खिलाड़ियों ने घरेलू क्रिकेट में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। लेकिन एक खिलाड़ी ऐसा भी था जिसको कभी मुंबई का विव रिचर्ड्सन कहा जाता था, सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर सचिन को इस खिलाड़ी की बल्लेबाजी देखने को कहते थे। सचिन तेंदुलकर इस खिलाड़ी को ‘सर’ कहते थे। जी हां ऐसे ही कुछ अनोखी प्रतिभा के मालिक थे अनिल गुरव। लेकिन इत्तेफाक देखिए वह कभी भारत के लिए क्रिकेट नहीं खेल सके। आइए आपको बताते हैं इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी की कहानी जो गुमनामी के अंधेरे में खो गया।
अनिल गुरव कोच रमाकांत आचरेकर के यहां कोचिंग लेते थे। सचिन और कांबली जैसे बल्लेबाज उनकी बल्लेबाजी देखते थे। अनिल और सचिन दोनों के बड़े भाईयों का नाम अजित था। सचिन के बड़े भाई अजित ने जहां सचिन को भारत के लिए खेलने की उम्मीद दी तो दूसरी ओर अनिल के भाई अजित की वजह से यह प्रतिभाशाली बल्लेबाज गुमनामी के अंधेरे में खो गया। अनिल मुंबई अंडर-19 टीम के लिए खेलते थे और अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जानें जाते थे। उनको उस दौर में मुंबई का विव रिचर्ड्सन बोला जाता था। सबको यह उम्मीद थी वह सबसे पहले भारत के लिए खेलेंगे।
90 के दशक के शुरूआती सालों में जहां एक तरफ अनिल क्रिकेट के मैदान पर अनपा नाम कमा रहे थे वहीं उनके बड़े भाई एक शार्प शूटर के रूप में मुंबई पुलिस की नजरों में चढ़ रहे थे। अनिल को अजित के छोटे भाई होने का खामियाजा भुगतना पड़ा। पुलिस अक्सर अजित की तलाश में अनिल और उसकी मां को पुलिस स्टेशन ले जाते और टार्चर करते। मैदान पर तो अनिल को कोई परेशानी नहीं होती थी लेकिन वह मैदान से बाहर निकलने से डरने लगा। उनको पता नहीं होता था कि कब उन्हे पुलिस उठा ले जाए। [Also Read: इन देशों के बल्लेबाजों ने लगाए हैं वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक]
अपने बड़े भाई से पीछा छुड़ाने के लिए अनिल और उसकी मां ने घर तक बदला लेकिन पुलिस ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। पुलिस ने अजित को कभी देखा नहीं था और इसी गलतफहमी में उन्होंने अनिल को अजित समझ लिया और उसे पकड़ कर ले गए। उन्होंने अनिल को इतना पीटा कि फिर वह क्रिकेट खेलने लायक नहीं बचा। इस तरह एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी क्रिकेट से दूर हो गया। आज अनिल को उनकी कॉलोनी के लोग एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज के रूप में नहीं बल्कि एक शराबी के रूप में जानते हैं। [Also Read: छक्के लगाकर ही शतक पूरा करते हैं ये दोनों भाई]
इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में अनिल ने बताया था कि सचिन बचपन से ही बेहद शर्मीले स्वभाव के थे। मैच खेलने के लिए वह मेरा बैट खुद मांगने की बजाए रमेश परब( वानखड़े स्टेडियम के इंटरनेशनल स्कोरर) को भेजते थे। मैंने सचिन से कहा वह मेरा बैट ले सकते हैं लेकिन उनको शतक लगाना होगा तो सचिन ने कहा था हां बिल्कुल सर। [Also Read: क्या रविचन्द्रन अश्विन दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑफ स्पिनर हैं?]
अनिल ने बताया कि सचिन को उनका कट और हुक शाट बेहद पसंद था। वह अक्सर इस शाट के लिए मुझसे टिप्स लिया करते थे ताकि वह मेरी तरह इस शाट को खेल सके। सचिन से अंतिम मुलाकात पर अनिल कहते हैं कि नब्बे के दशक में मेरी सचिन से अंतिम मुलाकात हुई थी, जब उन्होंने मरीन लाइन पर सचिन को गार्ड्स के साथ देखा था। उन्होंने बताया कि सचिन ने उन्हे देखते ही पहचान लिया था और बुलाकर कुछ देर बात करने के बाद उनको अपने घर आने को कहा था।
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कोच रमाकांत आचरेकर के बारे में अनिल ने बताया कि वह अक्सर उनका सामना करने से कतराते थे लेकिन कुछ साल पहले उनका आचरेकर के साथ आमना सामना हुआ, जब अनिल नशे में थे। आचरेकर ने उन्हे इशारा कर बुलाया और कहा मैंने तुमको बल्लेबाजी करना सिखाया था, शराब पीना नहीं। लेकिन अनिल की इस गुमनामी के पीछे क्या सिर्फ उनका भाई जिम्मेदार था? क्या उनकी इस स्थिति के लिए सिर्फ परिस्थितियों को दोषी ठहराया जा सकता है? क्यों आखिर अनिल को कोई सहयोग नहीं मिला? यदि अनिल को उस समय मदद मिल जाती तो आज शायद उनका नाम भी भारतीय क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ियों में होता।