गेंदबाजों के हक में नहीं है इंग्लैंड की पिच, विकेट के लिए करनी होगी कड़ी मेहनत: डेल स्टेन
दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज का कहना है कि इंग्लैंड में खेलने के लिए स्थिति के हिसाब से खुद को ढालना जरूरी है।
इंग्लैंड की पिचों को आमतौर पर तेज गेंदबाजों की मददगार माना जाता है लेकिन दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज तेज गेंदबाज डेल स्टेन का कुछ और ही कहना है। हाल ही में इंग्लैंड में वनडे कप खेलकर लौटे स्टेन का मानना है कि इंग्लिश पिचें गेंदबाजों के लिए उतनी मददगार नहीं है जैसा कि लोग कहते हैं। वहां सफल होने के लिए अपने आप को स्थिति के हिसाब से खुद को ढालना और कड़ी मेहनत करना जरूरी है।
स्टेन ने कहा, “मैं अभी इंग्लैंड से वापस आया हूं और मैं विश्वास से साथ ये कह सकता हूं। सभी ये बात करते हैं कि वहां कि विकेट गेंदबाजों की मदद करती है। और मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं कि ऐसा नहीं है। हमने वहां वनडे कप खेला और जीता। मुझे याद है कि हमने सोमरसेट के खिलाफ 300 रन बनाए थे और हम वो मैच हार गए थे। हमने कुछ 375 (356) रन बनाए थे और उन्होंने उसे भी चेज कर लिया था। इसलिए विकेट गेंदबाजों का मददगार नहीं है।”
इंग्लैंड में गेंदबाजी के बारे में बात करते हुए इस अनुभवी खिलाड़ी ने कहा, “आपको अपने आप को हालात के अनुकूल बनाना होगा। आप वहां जाएं, स्थिति को देखें, उसके हिसाब से एक साइड चुनें और फिर अपनी पूरी ताकत झोंक दें। ये केवल इसी बारे में हैं।” बता दें कि अगले साल होने वाला वनडे विश्व कप इंग्लैंड में खेला जाने वाला है। स्टेन भी दक्षिण अफ्रीका के लिए एक और विश्व कप खेलने के लिए उस्ताहित हैं लेकिन अभी तक कुछ भी निश्चित नहीं है।
विदेश में सीरीज जीतना असली चुनौती
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में हराया और पूरी टीम के साथ स्टेन भी इस प्रदर्शन से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, “हम पिछले काफी समय से रडार में हैं लेकिन खिलाड़ी और हमारे खेल की गुणवत्ता कमाल की रही है। एक लंबे समय तक दक्षिण अफ्रीका वनडे और टेस्ट में दुनिया का नंबर एक टीम रही है। इसलिए अगर आगे बढ़ने की बात करें तो हम अच्छा कर रहे हैं।”
स्टेन ने आगे कहा, “ऑस्ट्रेलिया को हराना हमेशा अच्छा होता है, खासकर कि ऑस्ट्रेलिया में। घर से बाहर किसी भी टीम को हराना अच्छा होता है। यही सबसे बड़ा सपना होता है। जब आप अपने घर में होते हैं तो आप ग्राउंड से आते हैं और अपने बेड पर सोते हैं और फिर दूसरे दिन क्रिकेट खेलने निकल जाते हैं। आप अपने आराम में ही रहते हैं। लेकिन जब आप विदेश जाते हैं तो आप ऐसे बेड पर सोते हैं जो आपका नहीं है, आप बस में उस ग्राउंड तक ट्रेवल करते हैं, जिससे आप परिचित नहीं है, वहां असली चुनौती होती है।”