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महान स्पिनर का हुआ निधन, क्रिकेट जगत में शोक की लहर

भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा 2017 में सीके नायडू ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बाएं हाथ के स्पिनर ने 22 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया और 48 साल की उम्र तक खेलना जारी रखा.

user-circle cricketcountry.com Written by Akhilesh Tripathi
Published: Mar 03, 2025, 10:23 PM (IST)
Edited: Mar 03, 2025, 11:41 PM (IST)

Spinner Padmakar Shivalkar dies: चैंपियंस ट्रॉफी के आयोजन के बीच एक दुखद खबर सामने आई है. मुंबई के महान स्पिनर पद्माकर शिवलकर का उम्र संबंधी समस्याओं के कारण सोमवार को निधन हो गया, वह 84 वर्ष के थे.

भारत के लिए कभी नहीं खेले पाने वाले सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में शामिल शिवालकर ने 1961-62 से 1987-88 के बीच कुल 124 प्रथम श्रेणी मैचों में हिस्सा लिया और 19.69 की औसत से 589 विकेट लिए.

2017 में मिला था लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

उन्हें भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा 2017 में सीके नायडू ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बाएं हाथ के स्पिनर ने 22 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया और 48 साल की उम्र तक खेलना जारी रखा. उन्होंने भारत की प्रमुख घरेलू प्रतियोगिता में 361 विकेट लिए जिसमें ग्यारह बार मैच में 10 विकेट लेना शामिल हैं. शिवालकर ने 12 लिस्ट ए मैचों 16 विकेट लिए है.

मुंबई क्रिकेट ने आज एक सच्चे दिग्गज को खो दिया है: एमसीए

मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष अजिंक्य नाइक ने कहा, मुंबई क्रिकेट ने आज एक सच्चे दिग्गज को खो दिया है. पद्माकर शिवालकर सर का खेल में योगदान, खासकर अब तक के सबसे बेहतरीन स्पिनरों में से एक के रूप में हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने कहा, मुंबई क्रिकेट पर उनका समर्पण, कौशल और प्रभाव अद्वितीय है। उनका निधन क्रिकेट जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, उनकी आत्मा को शांति मिले.

गावस्कर ने कहा- भारतीय टीम में शामिल होने के अधिक हकदार थे

पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने सोमवार को मुंबई और घरेलू क्रिकेट के दिग्गज पद्माकर शिवालकर को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ‘कुछ अन्य की तुलना में भारतीय टीम में खेलने के अधिक हकदार थे. गावस्कर ने अपने संदेश में लिखा, यह वाकई बहुत दुखद खबर है, कुछ ही समय में मुंबई क्रिकेट ने अपने दो दिग्गज खिलाड़ियों मिलिंद और पद्माकर को खो दिया है. यह दोनों कई जीत के सूत्रधार थे. उन्होंने कहा, भारतीय कप्तान के तौर पर मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को ‘पैडी’ को टेस्ट टीम में शामिल करने के लिए राजी नहीं कर पाया, वह कुछ अन्य गेंदबाजों की तुलना में भारतीय टीम में शामिल होने के अधिक हकदार थे, आप इसे किस्मत कह सकते हैं.

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इनपुट- भाषा