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तो 2001 में टीम इंडिया में आ गए होते महेंद्र सिंह धोनी

साल 2001 में दिलीप ट्रॉफी के दौरान सचिन तेंदुलकर ने धोनी से पानी पीने के लिए मांगा था जो धोनी के लिए सपना साकार होने जैसा था।

user-circle cricketcountry.com Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - April 4, 2016 4:47 PM IST

महेंद्र सिंह धोनी © AFP
महेंद्र सिंह धोनी © AFP

महेंद्र सिंह धोनी के करियर को एक दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है और वह लगातार अपने उसी अंदाज में कप्तानी और बल्लेबाजी करते हुए नजर आते हैं। शायद यही कारण है कि उन्हें विश्व के चुनिंदा खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल किया गया है। महेंद्र सिंह धोनी ने 24 साल की उम्र में टीम इंडिया में पर्दापण किया, लेकिन पर्दापण करने में धोनी को इतने दिन क्यों लग गए? ये सवाल जितना महत्वपूर्ण है उसका जवाब उतना की चौंकाने वाला है। अगर उनकी प्री- इंडिया टीम लाइफ को खंगालकर देखें तो पता चलता है कि अगर 2001 में दिलीप ट्रॉफी के एक मैच में शामिल होने के दौरान भाड़े की कार से जाते वक्त वह कार ना खराब हुई होती तो शायद महेंद्र सिंह धोनी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 सीरीज के साथ ही अपने करियर की शुरुआत कर चुके होते। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि धोनी को मैच में शामिल होने के लिए भाड़े की कार से जाने का निर्णय लेना पड़ा। आइए जानते हैं। ये भी पढ़ें: टी20 विश्व कप में विराट कोहली और जो रूट के प्रदर्शन की तुलना

धोनी ने 18 साल की उम्र में बिहार की ओर से 1999- 2000 प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पर्दापण किया। धोनी के बैट से पहली बेहतरीन पारी साल 2001 में बंगाल के खिलाफ निकली। इस मैच में 19 साल के धोनी ने गजब की बल्लेबाजी की और दूसरे छोर से विकेट गिरने के बावजूद लगातार टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया। धोनी ने इस मैच में नाबाद 114 रन बनाए और एक समय पारी की हार झेलने की कगार पर खड़ी अपनी टीम को सम्मानपूर्वक ड्रॉ खिलाया।

इसी साल धोनी को दिलीप ट्रॉफी में ईस्ट जोन की ओर से खेलने के लिए सम्मिलित किया गया। जो उनके अनुभव को देखते हुए एक चौंकाने वाला चयन था। लेकिन उन दिनों में जिस तरह की बेहतरीन बल्लेबाजी का धोनी ने मुजाहिरा पेश किया था उसने चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा और उन्हें टीम में सम्मिलित कर लिया गया। यह अपने आपमें में एक बड़ा मौका था क्योंकि ऑस्ट्रेलिया दौरे से तुरंत पहले कई भारतीय खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में सम्मिलित हो रहे थे। लेकिन क्रिकेट एसोसिएशन बिहार ने धोनी के दिलीप ट्रॉफी में हुए चयन पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और यहां तक की उन्हें यह भी बताना जरूरी नहीं समझा कि उनका ईस्ट जोन की ओर से चयन हो गया है। इसीलिए धोनी के पास भी यह खबर नहीं पहुंची। चूंकि बाद में जब धोनी को इसकी जानकारी लगी तो बहुत देर हो चुकी थी और अगरतला से उन्हें टीम के अन्य खिलाड़ियों के साथ फ्लाइट पकड़नी थी। इस बात के बारे में सबसे पहले पता धोनी के करीबी दोस्त परमजीत सिंह उर्फ छोटू भईया को चला और तब मैच को शुरू होने में महज 20 घंटे शेष बचे थे। धोनी  को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने झटपट पैसे लेकर भाड़े की टाटा सूमो से सफर करना शुरू किया। उनके साथ उस कार में उनके दो दोस्त भी थे जिनमें गौतम गुप्ता भी शामिल थे जो बाद में धोनी की बहन के पति बने।

लेकिन किस्मत खराब होने के कारण वह रास्ते में ही खराब पड़ गई और धोनी इस मैच में नहीं खेल पाए। धोनी की जगह ईस्ट जोन ने बतौर विकेटकीपर दीप दास गुप्ता को साऊथ जोन के खिलाफ मैच में टीम में जगह दी।  खबरों के मुताबिक उस समय बंगाली लोगों की वर्चस्व वाली ईस्ट जोन टीम दीप दास गुप्ता को बाहर नहीं बिठा सकती थी- क्योंकि वह पहले ही टेस्ट खेल चुके थे और एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला अगले ही कुछ दिनों में शुरू होने वाली थी। लेकिन अगर धोनी पहले मैच में सही समय पर मैदान पर पहुंच जाते तो तो शायद उन्हें खेलने का मौका मिल जाता है और वे भारत- ऑस्ट्रेलिया सीरीज में जगह बना लेते। तब शायद धोनी को भारतीय टीम में पर्दापण के लिए और तीन सालों का इंतजार नहीं करना पड़ता।

धोनी पहले मैच में समय पर पहुंचने में कामयाब नहीं हो पाए, लेकिन दूसरे मैच के लिए वह टीम के साथ पुणे  गए जहां वेस्ट जोन के खिलाफ मैच खेला जाना था। वह उस मैच में बतौर 12वें खिलाड़ी के रूप में खेले, लेकिन इस दौरान उनका एक सपना पूरा हो गया जब सचिन तेंदुलकर ने ड्रिंक ब्रेक के दौरान उनसे पानी मांगा। सचिन ने उस मैच में ईस्ट जोन की ओर खेलते हुए मैच जिताऊ 199 रन बनाए थे।

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इस मैच के बाद धोनी अपनी रोजी रोटी की तलाश में लग गए और दक्षिणी- पूर्वी रेलवे के साथ बतौर टिकट परीक्षक कार्य करने लगे। लेकिन इस काम में उनका ज्यादा मन नहीं लगता था, क्योंकि उनके भीतर क्रिकेट का कीड़ा हर रोज टीम इंडिया की ओर से क्रिकेट खेलने के लिए उन्हें उकसाता था। आलम यह था कि वह ज्यादातर ड्यूटी के दौरान कम ही जाते थे और इस वजह से रेलवे ने उन्हें नोटिस तक दे दिया था। धोनी को एक बड़े मौके की तलाश के लिए तीन सालों का लंबा इंताजर करना पड़ा और आखिरकार उन्हें केन्या में खेली जानी वाली एक श्रृंखला के लिए ‘भारतीय ए’ टीम में जगह दी गई। उस सीरीज में धोनी ‘मैन ऑफ द सीरीज’ बने और देश को इस लंबे बालों वाले खिलाड़ी के बारे में पता चला जो अगले कुछ ही दिनों में भारतीय टीम में सम्मिलित होने वाला था।  धोनी ने भारतीय टीम की ओर से अपना पहला मैच बांग्लादेश के खिलाफ चिंटगांव में खेला और इसके बाद वाली सीरीज में वह पाकिस्तान के खिलाफ जमकर चमके और रांची में 148 रन ठोंकने के बाद धोनी पूरे देश के हीरो बन गए और एक समय का टिकट कलेक्टर अब टीम इंडिया का बॉस बन चुका था।