Devbrat Bajpai
देवब्रत वाजपेयी क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ senior correspondent के पद पर कार्यरत हैं
Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - January 13, 2016 10:26 PM IST
अजिंक्य रहाणे ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दिल्ली में खेले गए अंतिम टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक लगाकर एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह सिर्फ सीमित ओवर के क्रिकेट के ही माहिर बल्लेबाजी नहीं है बल्कि टेस्ट क्रिकेट का ककहरा भी उन्होंने खूब अच्छी तरह से सीख लिया है। टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक लगाने वाले रहाणे पांचवें भारतीय बल्लेबाज हैं। रहाणे ने जिस फिरोजशाह कोटला पर यह बेहतरीन रिकॉर्ड अपने नाम किया है। उसी मैदान में आज से तीन साल पहले रहाणे ने अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था। प्रतिभाशाली बल्लेबाज रहाणे ने भारतीय टीम में शामिल होने के लिए जितना संघर्ष किया वह शायद अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को भीतर से तोड़कर बिखेर देता, लेकिन रहाणे ने बिना निराश हुए अपने उस सुनहरे दिन का इंतजार किया और बाद में उन्होंने अपनी उपयोगिता भारतीय टीम में सिद्ध की।
साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध टेस्ट मैच में पर्दापण करने वाले रहाणे इस टेस्ट की दोनों पारियों में क्रमशः 7 और 1 रन बनाकर आउट हुए थे। उनके इस खराब प्रदर्शन के बाद सवाल उठने लगे थे कि शायद रहाणे टेस्ट क्रिकेट के लिए बने ही नहीं है। इस निराशा से भरे पर्दापण के बाद रहाणे को सचिन तेंदुलकर के संन्यास लेने के बाद भारतीय टेस्ट टीम में सम्मिलित होने का एक और मौका मिला और विदेशी दौरों में रहाणे खूब चमके और इस दौरान उन्होंने विदेशी पिचों पर चार शतक मुकम्मल किए। साल 2013 में भारत ने दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया और रहाणे ने डरबन में अपना तीसरा टेस्ट मैच खेला।
इस टेस्ट मैच में रहाणे ने गजब का साहस दिखाया और दक्षिण अफ्रीकी टॉप गेंदबाजों का पूरे दमखम से सामना किया। उन्होंने पहली पारी में नाबाद 51 और दूसरी पारी में 96 रनों की पारी खेली। इसके बाद उनकी भारतीय टेस्ट टीम में जगह पुख्ता हो गई। इसके कुछ ही महीनों के बाद भारतीय टीम ने साल 2014 में न्यूजीलैंड का दौरा किया और यहां हैमिल्टन में खेले गए टेस्ट मैच में रहाणे ने अपना पहला शतक ठोंकते हुए संदेश दिया कि सीनियर खिलाड़ियों की भरपाई करने के लिए वह तैयार हैं। इसके कुछ दिन बात रहाणे ने क्रिकेट का घर कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर शतक लगाया।
भारत ने कुछ दिनों के बााद ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया। रहाणे ने पहले दो टेस्ट मैचों में दो अर्धशतक लगाए, जिसमें एडीलेड में 62 रन और ब्रिस्ब्रेन में 81 रन शामिल हैं। इसके बाद मेलबर्न में उन्होंने सबका मन मोह लिया जब उन्होंने शानदार 147 रन ठोंके। इस सीरीज में ज्यादातर भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया के घातक गेंदबाजी आक्रमण के सामने जूझते नजर आए, लेकिन रहाणे ने इनका डटकर मुकाबला किया। इसके बाद बांग्लादेश सीरीज में खेले गए एकमात्र टेस्ट मैच में रहाणे ने शानदार 98 रनों की पारी खेली। इसके बाद भारत ने श्रीलंका का दौरा किया। इस सीरीज में भारतीय टीम पर बहुत दबाव था, क्योंकि पिछली कुछ सीरीजों में भारतीय टीम लगातार हारती चली आ रही थी और नए कप्तान विराट कोहली पहली बार लंबी सीरीज में कप्तानी कर रहे थे। इस सीरीज में रहाणे की बल्लेबाजी क्रम में बदलाव किया गया। इसके पहले वह नंबर पांच पर बल्लेबाजी करने आते थे और उन्होंने इस पॉजीशन पर बढ़िया बल्लेबाजी की थी। लेकिन इस सीरीज में कप्तान कोहली ने उन्हें तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा। दूसरे टेस्ट में उन्होंने शानदार 126 रन ठोंके और श्रीलंका के गेंदबाजों की जमकर खबर ली।
जब दक्षिण अफ्रीका ने भारतीय टीम का 2015 में दौरा किया तब तक रहाणे भारतीय टीम के एक अभिन्न अंग बन चुके थे। मोहाली में खेला गया पहला टेस्ट मैच भारतीय सरजमीं पर उनका दूसरा अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच था। पहले दो टेस्ट मैचों में वह बुरी तरह से विफल रहे। बेंगलुरू में खेला जाने वाला तीसरा टेस्ट मैच बारिश से धुल गया। इसी बीच सवाल उठा कि रहाणे ने अभी तक भारतीय सरजमीं पर एक भी शतक नहीं जमाए हैं। जबकि उनके टेस्ट क्रिकेट में डेब्यूट किए हुए 3 साल से भी ज्यादा समय गुजर गया। साथ ही पहले तीन टेस्ट मैचों में भारत की कमजोर बल्लेबाजी को लेकर भी खूब चर्चाएं हो रही थीं। ऐसे में चौथे टेस्ट मैच में भारतीय टीम को बल्लेबाजी में जौहर दिखाने की जरूरत थी। जिसकी जिम्मेदारी रहाणे ने बखूबी निभाई और चौथे टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक लगाते हुए भारतीय टीम को मेहमान दक्षिण अफ्रीका पर 3-0 की एक बेहतरीन जीत दर्ज करवाई। रहाणे अब तक भारतीय टीम के लिए 21 टेस्ट मैचों में करीब 45 के औसत से 1619 रन बना चुके हैं। जिस तरह से पिछले कुछ सालों में उन्होंने भारतीय टीम की ओर से बल्लेबाजी की है उससे साफ प्रतीत होता है कि वह भारतीय टेस्ट टीम की ओर से लंबे समय तक खेलेंगे।
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