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कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज 2008: जब ऑस्ट्रेलिया पर भारी पड़े धोनी के धुरंधर

कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज 2008 के दोनों फाइनल मुकाबलों में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया था

user-circle cricketcountry.com Written by Jay Jaiswal
Last Updated on - January 12, 2016 5:47 PM IST

भारतीय टीम 2008 में अंतिम बार ऑस्ट्रेलिया में कोई वनडे सीरीज जीती थी © Getty Images
भारतीय टीम 2008 में अंतिम बार ऑस्ट्रेलिया में कोई वनडे सीरीज जीती थी © Getty Images

भारतीय टीम महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया को उसी की सरजमी पर वनडे सीरीज में हराने के लिए ऑस्ट्रेलिया पहुंच चुकी है। भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर आखिरी बार कोई वनडे सीरीज महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2008 में जीता था। धोनी ने एक युवा टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया को उसी की धरती पर हराने का कारनामा किया था। तब भारतीय टीम के जीत के हीरो थे प्रवीण कुमार और सचिन तेंदुलकर। इस बार अपने उस फॉर्म में नहीं हैं लेकिन उनकी टीम में रोहित शर्मा, विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाज हैं जो शानदार फॉर्म में हैं। भारतीय टीम ने 2008 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज के बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल के दो फाइनल में लगातार ऑस्ट्रेलिया को हराकर ये कारनामा अंजाम दिया था। तो आइए ले चलते हैं आपको उस समय में जब एक युवा कप्तान की कप्तानी में युवा भारतीय टीम ने मजबूत ऑस्ट्रेलिया को धूल चटा दी थी।

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला और सचिन का कमाल:

सीबी सीरीज का पहला फाइनल जीत कर भारतीय टीम आत्मविश्वास से भरी हुई थी। दूसरे फाइनल में कप्तान धोनी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले फाइनल में शतक जमाने वाले सचिन तेंदुलकर के साथ रॉबिन उथप्पा ने भारतीय पारी की शुरूआत करने उतरे। सचिन और उथप्पा ने भारत को मनचाही शुरूआत दी। दोनों ने कंगारू गेंदबाजों को मैदान के चारों ओर दौड़ाते हुए ड्रिंक्स तक 16 ओवरों में 73 रन जोड़ दिए। सचिन पहले फाइनल की तरह अपनी रंग में थे तो उथप्पा दूसरे छोर पर चट्टान की तरह टिके हुए थे। अंत में स्टूअर्ट क्लार्क ने उथप्पा को आउट कर इस साझेदारी को तोड़ा। पहले विकेट के लिए दोनों ने 94 रन जोड़े। उथप्पा के आउट होने के बाद विकेट पर उतरे गौतम गंभीर ज्यादा देर टिक नहीं सके और 15 रन बनाकर चलते बने। सचिन दूसरे छोर पर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को अपनी क्लास दिखा रहे थे। गंभीर के आउट होने के बाद विकेट पर उतरे युवराज के साथ सचिन ने 54 रन की साझेदारी निभाई। युवराज ने आउट होने से पहले 38 रन की उपयोगी पारी खेली। युवराज के आउट होने के बाद सचिन भी ज्यादा देर नहीं टिके और 40वें ओवर की दूसरी गेंद पर पोंटिग को कैच दे बैठे। पहले फाइनल में शतक जमाने वाले सचिन ने दूसरे फाइनल में 91 रनों की दमदार पारी खेलकर भारतीय टीम को एक बड़े स्कोर की ओर अग्रसर कर दिया था। भारतीय टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में 258 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 259 रन का लक्ष्य दिया।

प्रवीण कुमार का कमाल:

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ऑस्ट्रेलिया की मजबूत बैटिंग लाइन-अप को देखते हुए 259 रनों का लक्ष्य बहुत मुश्किल नहीं था। ऐसे में मेरठ के युवा तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने अपना जलवा दिखाया। प्रवीण ने शानदार स्विंग गेंदबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के शुरूआती तीन विकेट झटक कर ऑस्ट्रेलिया की कमर तोड़ दी। प्रवीण ने पहले ओवर में ही गिलक्रिस्ट को धोनी के हाथों कैच कराया, इसके बाद पोंटिंग को भी 1 रन के स्कोर पर पवेलियन भेज दिया। विकेट पर टिकने की कोशिश कर रहे माइकल क्लार्क को बोल्ड कर भारतीय उम्मीदों को पंख लगा दिये। लेकिन इसके बाद हेडेन ने साइमंड्स के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया को सौ रन के पार पहुंचाया। ऑस्ट्रेलिया धीरे-धीरे लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था तभी हेडेन रन आउट हो गए। इसके बाद हरभजन सिंह ने साइमंड्स को आउट कर भारतीय खेमें में खुशी की लहर दौड़ा दी। जेम्स होप्स और माइकल हसी ने टीम को जीत दिलाने की कोशिश की लेकिन उनका प्रयास नाकाफी साबित हुआ और ऑस्ट्रेलियाई टीम 49.4 ओवरों में ऑल आउट हो गई और भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 9 रनों से हरा कर कॉमनवेल्थ सीरीज पर कब्जा जमा लिया। 10 ओवर में 46 रन देकर 4 विकेट लेने वाले प्रवीण कुमार को मैन ऑफ द मैच चुना गया। ALSO READ:ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्ही की धरती पर शतक बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज