Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Published on - October 30, 2016 10:10 AM IST
शायद दीवाली का इससे अच्छा तोहफा भारतीय क्रिकेट टीम अपने प्रशंसकों को नहीं दे पाती। फाइनल मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को चारों खाने चित कर दिया और एकतरफा अंदाज में मैच को 190 रनों से जीत लिया। स्टेडियम में दर्शकों की खचाखच उपस्थिति भारतीय टीम का मनोबल और बढ़ा रही थी। दर्शकों ने जिस तरह से अपने मोबाइल फ्लैश जला लिए थे वह एक बहुत ही मनोरम दृश्य था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो पूरा स्टेडियम दीवाली के रंग में रंग गया हो। पूरा स्टेडियम रौशनी से सराबोर हो उठा था और रौशनी के त्योहार के बीच भारतीय टीम ने भी अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया और मैच को 190 रनों के भारी अंतर से जीत लिया। मैच के साथ ही भारत ने सीरीज भी 3-2 से अपने नाम कर ली। तो आइए हम आपको मिलवाते हैं भारतीय टीम के उन पांच नायकों से जिन्होंने भारतीय टीम को अपने प्रशंसकों के सामने खलनायक बनने के बचा लिया। तो आइए नजर डालते हैं उन्हीं पांच नायक खिलाड़ियों पर।
5. विराट कोहली:
भारतीय टीम के सबसे भरोसेमंद और काबिल खिलाड़ी विराट कोहली फाइनल मैच में जब बल्लेबाजी के लिए आए तो भारत का स्कोर 9.2 ओवर में 40 रन पर एक विकेट था। ऐसे में कोहली ने एक बार फिर से टीम के संकटमोचक बने और भारत को अच्छी स्थिति में पहुंचाने का काम किया। विराट कोहली ने पूरी सीरीज में एक शतक और दो अर्धशतक लगाए। कोहली ने फाइनल मुकाबले में भी अपने बल्ले का जलवा दिखाया और शानदार अर्धशथक जड़ दिया। [Also Read: भारत ने फाइनल मैच में कीवी टीम को 190 रनों से हराया, पांच मैचों की वनडे सीरीज 3-2 से जीती]
विराट कोहली ने सीरीज के फाइनल मैच में 76 गेंदों में 65 रन बनाए। कोहली ने अपनी पारी में दो चौके और एक बेमिसाल छक्का लगाया। विराट कोहली की पारी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह टीम के लिए कितने जरूरी हैं।
4. उमेश यादव:
टेस्ट मैचों में कुछ खास न कर पाने वाले उमेश यादव पर वनडे में अच्छी गेंदबाजी करने का दबाव था और यह दबाव तब और बढ़ गया जब टेस्ट में शानदार प्रदर्शन करने वाले गेंदबाद भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी चोट के कारण पहले तीन वनडे से बाहर हो गए। उमेश यादव मौजूदा टीम में सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज हैं ऐसे में उन्हें युवा गेंदबाजों के सामने एक उदाहरण भी बनना था।
कहते हैं दबाव में या तो खेल उभरता ता या और बिगड़ जाता है, उमेश यादव ने दबाव को बखूबी झेलते हुए पूरी सीरीज में अपनी गेंदबाजी के दम पर कीवियों की कमर तोड़ कर रख दी। उमेश यादव ने अपनी स्विंग और गति से न्यूजीलैंज के बल्लेबाजों खासकर मार्टिन गप्टिल को खासा परेशान किया और सीरीज में कुल तीन बार आउट करने में कामयाबी पाई। मैच दर मैच यादव के प्रदर्शन में निखार आता गया और टीम को उन्होंने अपनी गेंदबाजी से काफी फायदा पहुंचाया। सीरीज के फाइनल में भी यादव ने गजब की गेंदबाजी करते हुए 4 ओवर में 1 विकेट हासिल किया।
3. अक्षर पटेल:
सीरीज में चार मैचों तक सबके निशाने पर रहने वाले गेंदबाद अक्षर पटेल ने अंतिम मैच में सभी आलोचकों को करारा जवाब दे दिया। अक्षर पटेल ने पहले बल्ले से टीम के लिए 18 गेंदों में 24 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली फिर उन्होंने गेंद से भी कमाल दिखाते हुए 4.1 ओवर में सिर्फ 9 खर्च करते हुए 2 विकेट हासिल किए। अक्षर पटेल ने अपने प्रदर्शन से साबित कर दिया कि वह टीम के लिए भविष्य में और अचच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। अक्षर पटेल ने जिस तरह से बल्ले के साथ भी सबको प्रभावित किया है उसे देखकर वह निचले क्रम में टीम के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं और संकट में टीम के काम भी आ सकते हैं।
2. रोहित शर्मा:
कहते हैं ‘बड़ी रेस का घोड़ा बड़े मैचों में चलता है’, बिल्कुल यही हुआ रोहित शर्मा के साथ। सीरीज के चार मैचों में सिर्फ (11, 13, 14, 15) का स्कोर करने वाले रोहित शर्मा ने फाइनल मुकाबले में अपने बल्ले का दम दिखाते हुए टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए। रोहित ने मुश्किल विकेट पर पहले तो अपनी नजरें जमाईं और नजरें जम जाने के बाद अपने आक्रामक अंदाज में 65 गेंदों में 70 रनों की पारी खेली। रोहित ने अपनी पारी में 5 चौके और 3 गगनचुंबी छक्के लगाए।
रोहित शर्मी सीरीज के शुरुआती चार मैचों में लगातार फ्लॉप साबित हुए थे और तबसे वह आलचकों के रडार पर थे, लेकिन सीरीज के फाइनल मुकाबले में रोहित शर्मा ने उन सभी को बल्ले से जवाब दे दिया जो उन्हें टीम पर बोझ समझते थे। रोहित की पारी उस समय आई जब टीम को उनसे सबसे ज्यादा जरूरत थी।
1. अमित मिश्रा:
टीम में अपनी जगह स्थापित करने के लिए खेल रहे अमित मिश्रा के सामने ढेरों चुनौतियां थीं। अश्विन और जडेजा की अनुपस्थिति में स्पिन गेंदबाजी की कमान संभाल रहे अमित मिश्रा पर काफी दबाव भी था। अमित मिश्रा को टेस्ट मैचों में खेलने का मौका नहीं मिला था, ऐसे में उन्हें अपनी फिरकी का दम दिखाने का मौका नहीं मिल पाया था। लेकिन जैसे ही अमित मिश्रा को वनडे में खेलने का मौका मिला उन्होंने ये साबित कर दिया कि वह एक खतरनाक स्पिन गेंदबाज हैं।
अमित मिश्रा पर इस बात का दबाव था कि अश्विन-जडेजा की अनुपस्थिति में वह अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे या नहीं, लेकिन अमित मिश्रा ने अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया कि वह टीम के लिए उपयोगी खिलाड़ी हैं। अमित मिश्रा ने सीरीज में कुल 15 विकेट हासिल किए। वहीं फाइनल में तो वह बेहद खतरनाक दिखे और पांच विकेट लेकर टीम को एकतरफा जीत दिला दी। मिश्रा ने फाइनल मैच में कीवी टीम के कुल पांच खिलाड़ियों को पवेलियन की राह दिखाई। अमित मिश्रा को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए ‘मैन ऑफ द सीरीज’ के खिताब से भी नवाजा गया, वहीं फाइनल मुकाबले में अमित मिश्रा ‘मैन ऑफ द मैच’ भी रहे
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