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जानें आईपीएल की चीयरलीडर्स के जीवन की दंग करने वाली सच्चाई

भारत में पहली बार आईपीएल सन् 2008 में शुरू हुआ था और यही साल था जब इस खेल में ग्लैमर का तड़का लगा।

user-circle cricketcountry.com Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - April 7, 2016 11:41 AM IST

आईपीएल क्रिकेट में   चीयरलीडर्स अहम हिस्सा हैं  © IANS (File Photo)
आईपीएल क्रिकेट में चीयरलीडर्स अहम हिस्सा हैं © IANS (File Photo)

भारत में पहली बार आईपीएल सन् 2008 में शुरू हुआ था और यही साल था जब इस खेल में ग्लैमर का तड़का लगा। कई फिल्मी सितारों ने अपनी-अपनी टीमें खरीदीं और चीयरलीडर्स इस खेल का हिस्सा बनी जो हर चौके-छक्के व विकेट के बाद मैदान के बाहर अपने डांस स्टेप करती नजर आती थी। खेल के इस स्टाइल को पूरे विश्व में बड़ी ख्याति मिली और यह टूर्नामेंट हिट हो गया। साथ ही चीयरलीडर्स भी इस खेल की पर्मानेंट हिस्सा बन गईं। आईपीएल के अब तक आठ सीजन गुजर चुके हैं, लेकिन चीयरलीडर्स की जिंदगी के बारे में बहुत कम बातें निकलकर के सामने आई हैं। ये भी पढ़ें: कैसे शुरू हुआ IPL? जानें पूरी इनसाइड स्टोरी

सवाल यह भी है कि चीयरलीडर्स विदेशी ही क्यों होती हैं? भारतीय लड़कियों को चीयरलीडर्स बनने का मौका क्यों नहीं दिया जाता। इन सबसे जुदा और महत्वपूर्ण सवाल है कि आखिर इन ग्लैमर से लबरेज चीयरलीडर्स की सैलरी क्या होती होगी? इन तमाम तरह के सवालों के जवाब पिछले साल एक चीयरलीडर्स ने एक सोशल मीडिया साइट के माध्यम से दिए थे। चीयरलीडर्स ने बताया था कि वह मुंबई की एक एजेंसी के साथ डांस कॉन्ट्रेक्ट पर है। वह बॉलीवुड म्यूजिक वीडियो में बैकग्राउंड डांस भी करती है। डांस बैकग्राउंड के कारण ही उसे आईपीएल में डांस करने का मौका दिया गया। चीयरलीडर्स ने आगे बताया कि क्रिकेट खिलाड़ियों और उनके बीच कोई बातचीत नहीं होती, क्योंकि नियम के मुताबिक उन्हें खिलाड़ियों से बातचीत करने की मनाही है। ये भी पढ़ें: टी20 विश्व कप खत्म अब आईपीएल की बारी

वहीं सबसे चौंकाने वाली बात थी उनकी सैलरी। ग्लैमर से लबरेज इन बालाओं ने बताया कि उन्हें भुगतान बहुत कम किया जाता है। चीयरलीडर ने भारतीय लोगों के बारे में बात करते हुए कहा, “जब मैं मैदान पर लोगों के हुजूम के सामने होती हूं तो मैं लोगों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती। मैदान पर ऐसे भी कई नामुराद लोग होते हैं जो मेरी तस्वीर खींचते हैं और मुझे देखकर अजीब-अजीब चेहरे बनाते हैं, लेकिन मैदान पर कुछ अच्छे लोग भी होते हैं जो हमें देखकर प्यारी सी मुस्कान बिखरते हैं और यही वे लोग होते हैं जिन पर हम पूरे खेल के दौरान ध्यान से देखते हैं। जब भी लोग गंदी नजरों से हमारी ओर देखते हैं तो मुझे उनसे नफरत हो जाती है।”

चीयरलीडर ने आगे बताया कि इस खेल में और तो सब सही है लेकिन काले और गोरे का भेद-भाव इसमें बहुत ज्यादा है। क्योंकि हमारी टीम में 99 प्रतिशत तक श्वेत लड़कियां ही होती हैं। भारतीय लोग सोचते हैं कि छोटे कपड़ों में श्वेत लड़कियां ही अच्छी लगती हैं और वह भारतीय लड़कियों को चीयरलीडर बनने का मौका नहीं देते। चीयरलीडर ने एक बात कही कि हम वैश्या नहीं है। मैंने जितनी भी चीयरलीडर्स के साथ काम किया है वह ज्यादातर इज्जतदार महिलाएं थीं। भारतीय लोगों की यह धारणा गलत है। उसने यह भी बताया कि चीयरलीडर्स ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं होती। कुछ ही पढ़ी लिखी होती हैं और मैं ग्रेजुएट हूं। जब चीयरलीडर्स से उनके रहने की व्यवस्थाओं के बारे में कुछ लोगों ने पूछा तो उन्होंने जो बताया वह शायद ही किसी ने सोचा होगा।

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चीयरलीडर ने बताया कि सबसे पहले जिस होटल में हमें ठहराया गया था व 1 स्टार होटल जैसा था लेकिन उसकी व्यवस्थाएं बड़ी खस्ताहाल थीं क्योंकि हर जगह होटल में चूहे निकल रहे थे। हमारे मैनेजर ने पैसे बचाने के लिए यह सब किया था जब बाद में हमने उससे शिकायत की तब जाकर उसने हम लोगों को एक बढ़िया होटल में शिफ्ट करवाया। बहरहाल एक बार फिर से चीयरलीडर्स मैदान में एक लोगों का इंटरटेनमेंट करती नजर आने वाली हैं। आईपीएल का नौंवा सीजन 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इस सीजन का पहला मैच मुंबई इंडियंस और नई नवेली टीम राइजिंग पुणे सुपरजॉइंट्स के बीच खेला जाएगा।
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