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आज ही के दिन महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा था

भारत के सबसे सफल कप्तान बन चुके महेंद्र सिंह धोनी अपने पहले मैच में खाता भी नहीं खोल सके थे।

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Published: Dec 23, 2017, 11:12 AM (IST)
Edited: Dec 23, 2017, 11:16 AM (IST)

23 दिसंबर 2004 को भारत के लिए पहली बार खेलने उतरे थे महेन्द्र सिंह धोनी ©Getty Images
23 दिसंबर 2004 को भारत के लिए पहली बार खेलने उतरे थे महेन्द्र सिंह धोनी ©Getty Images

23 दिसंबर 2004 को एक छोटे से शहर का लड़का भारतीय टीम की नीली जर्सी पहन कर बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरा। लंबे-लंबे बॉल और अजीब सी चाल वाला ये जब बल्लेबाज विकेट पर पहुंचा तो किसी ने नहीं सोचा था कि ये आगे चलकर ना सिर्फ दुनिया का सबसे बेहतरीन फिनिशर बनेगा बल्कि भारतीय टीम का सबसे सफल कप्तान बनेगा भी कहलाएगा। जी हां बात कर रहे हैं भारत को दो बार विश्व विजेता बनाने वाले महेंद्र सिंह धोनी की। आज ही के दिन धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। अपने 13 साल लंबे अपने करियर में धोनी ने भारतीय टीम को सफलता की नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया।

2004 में बांग्लादेश दौरे पर गई भारतीय टीम में धोनी को जगह दी गई थी। झारखंड के रांची शहर के इस लड़के ने घरेलू क्रिकेट में अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से काफी नाम कमाया था। इसके बाद धोनी को भारत की ओर से खेलने का मौका दिया गया। बांग्लादेश के खिलाफ पहले वनडे मैच में धोनी सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए। उस समय टीम का स्कोर 5 विकेट पर 180 रन था। सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और युवराज सिंह जैसे बड़े खिलाड़ी पवेलियन में आराम फरमा रहे थे। एक कमजोर टीम के खिलाफ भारतीय टीम का यह स्कोर अच्छा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता था। [Also Read: एक बार पहले भी दोहरा शतक जमाने से चूके थे लोकेश राहुल और तब भी करुण नायर ने जड़ा था तिहरा शतक]

ऐसे में धोनी पहली बार नीली जर्सी में भारत के लिए बल्लेबाजी करने उतरे। उनसे किसी को बहुत उम्मीदें तो नहीं थी लेकिन लोगों ने इस युवा बल्लेबाज की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी स्टाइल के बारे में सुना जरूर था। आखिरी ओवर चल रहे थे तो ये उम्मीद थी कि इस युवा बल्लेबाज के बल्ले से कुछ छक्के-चौके जरूर देखने को मिल जाएंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। धोनी अपनी पहली पारी में सिर्फ एक गेंद खेल सके और रन आउट होकर पवेलियन लौट गए। [Also Read: स्टंप माइक में कैद हुए धोनी के मजेदार कमेंट्स]

धोनी जिस तेजी के साथ विकेट पर पहुंचे थे उसी तेजी के साथ पवेलियन भी लौट गए। लेकिन उनके लिए संतोष सिर्फ इतना था कि वह अपनी गलती से नहीं बल्कि दूसरे छोर पर बल्लेबाज की गलतफहमी का शिकार होकर रन आउट हुए थे। धोनी ने बांग्लादेश के स्पिनर मोहम्मद रफीक की गेंद को लेग साइड में खेला और एक रन लेने के लिए तेजी से दूसरे छोर की तरफ दौड़ पड़े। दूसरे छोर पर खड़े मोहम्मद कैफ भी क्रीज से आगे बढ़े लेकिन जैसे ही उन्होंने देखा कि बांग्लादेश के फील्डर तापस बैश्य तेजी से गेंद पर झपट रहे हैं उन्होंने धोनी को वापस क्रीज में जाने को कहा।

विकेट की आधी दूरी तय कर चुके धोनी को वापस लौटना पड़ा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बांग्लादेश के विकेटकीपर खालिद मसूद स्टंप बिखेर चुके थे। धोनी को ना चाहते हुए अपने पहले मैच में शून्य के स्कोर पर रन आउट होकर पवेलियन लौटना पड़ा। हालांकि उनके शून्य पर आउट होने के बावजूद भारतीय टीम यह मैच जीत गई थी। इस पूरी सीरीज में धोनी बल्ले से कुछ खास नहीं कर सके। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ अगली सीरीज में उन्होंने विशाखापत्तनम के वीडीसीए स्टेडियम पर 148 रनों की पारी खेल कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

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तब से लेकर आज तक धोनी ने सफलता की ऊंचाईयों को छुआ है, उनकी कप्तानी में भारत ने टी20 और वनडे विश्व कप जीता था। धोनी ही वो कप्तान थे जिसने टीम इंडिया को टेस्ट में नंबर एक बनाया। 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर धोनी ऐसे अकेले कप्तान बन गए जिसके कैबिनेट में आईसीसी की सारी ट्रॉफियां जमा हैं। साल 2017 की शुरुआत में धोनी ने भारतीय टीम की कप्तानी छोड़कर लाखों-करोड़ों फैंस को रुलाया लेकिन 2017 में उनका एक अलग ही रूप देखने को मिला। कप्तानी छोड़ने के बाद भी धोनी टीम इंडिया के अनाधिकृत उप-कप्तान और मेंटोर हैं। विराट कोहली हो या रोहित शर्मा दोनों ही बिना धोनी की सलाह के कोई बड़ा फैसला नहीं लेते। आज भारत के इस महान क्रिकेटर ने अपने करियर के 13 साल पूरे कर लिए हैं लेकिन मैदान पर धोनी की फुर्ती किसी भी युवा खिलाड़ी को शर्मिंदा करने के लायक है।