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क्या टीम इंडिया में वापसी कर पाएंगे गौतम गंभीर?

गंभीर ने इस टूर्नामेंट में 77, 59, 90 और 94 रनों की पारियां खेली हैं। गंभीर ने भारतीय टीम की ओर से अंतिम टेस्ट मैच साल 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में खेला था।

user-circle cricketcountry.com Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - September 11, 2016 1:49 PM IST

© AFP
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दिलीप ट्रॉफी अपने अंतिम दौर की ओर अग्रसर है। आजकल इस टूर्नामेंट की चर्चा खासकर पिंक बॉल को लेकर खूब हो रही है। पिंक बॉल का इस्तेमाल इस टूर्नामेंट के माध्यम से भारत में पहली बार हुआ। इसके अलावा इंडिया ब्लू के कप्तान गौतम गंभीर का बैट से बेहतरीन प्रदर्शन भी सबको मंत्रमुग्ध कर रहा है। गंभीर ने अब तक इस टूर्नामेंट में तीन मैचों में बल्लेबाजी करते हुए एक बेहतरीन औसत के साथ 320 रन बनाए हैं। गंभीर ने इंडिया रेड के खिलाफ फाइनल मैच में पहली पारी में एक बार फिर से 94 रनों का पारी खेली और जता दिया कि वह टीम इंडिया में वापसी को लेकर कितने फिट हैं। गंभीर ने इस टूर्नामेंट में 77, 59, 90 और 94 रनों की पारियां खेली हैं। गंभीर ने भारतीय टीम की ओर से अंतिम टेस्ट मैच साल 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में खेला था। तबसे वह लगातार टीम इंडिया में अपनी वापसी को लेकर प्रयासरत हैं।

हाल फिलहाल में गौतम गंभीर की बदली हुई बैटिंग मुद्रा के बारे में खूब चर्चा हो रही है। अब वह झुककर बैट पकड़ते हुए बल्लेबाजी नहीं करते बल्कि सीने को खोलकर और थोड़ा खड़े होकर बल्लेबाजी करते हैं। गंभीर ने अपनी मुद्रा को क्यों बदला इस पर उन्होंने कहा, “देखिए मैं एक परफेक्शनिस्ट हूं और मैंने सोचा कि मेरे गेम के साथ कुछ है जो सही नहीं है। आप खुद के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं कि कब आप नियंत्रण में हैं और कब नहीं। मुझे उसे सही करना था और इसलिए मैंने अपनी मुद्रा बदल दी।”

पिछले समय में गंभीर ने अपने क्रिकेट करियर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से जीवित करने के लिए यहां वहां खूब प्रयास किए हैं। पिछले दिनों वह अपनी बैटिंग को संजोने के लिए एक नए नवेले आइडिया के तलाश में थे और उनकी तलाश ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी जस्टिन लैंगर के पास जाकर रुकी। गंभीर पिछले साल लैंगर से मिलने सिडनी गए थे। गंभीर ने जब वहां अभ्यास किया तो उन्हें अपनी मुद्रा में बल्लेबाजी करने में ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों को खेलने में दिक्कत हो रही थी। वह पगबाधा भी आउट हो रहे थे क्योंकि उनका सिर बार- बार पैड के ऊपर आ जाता था। इसके अलावा सबसे खराब बात ये थी शॉर्ट गेंदों से भी उन्हें परेशानी हो रही थी। गौरतलब है कि शॉर्ट बॉल ने शायद ही कभी गौतम गंभीर को उनके करियर में परेशान किया हो।

हालांकि गंभीर ने लैंगर के कहने पर ही अपनी मुद्रा नहीं बदली बल्कि उनकी मुद्रा में परिवर्तन उनके कोच नील नोडी के कहने पर आया। दिलीप ट्रॉफी में जिस तरह का प्रदर्शन उन्होंने अब तक किया है उससे पता चलता है कि इस नई मुद्रा से उन्हें काफी फायदा हुआ है। वह अब पहले के मुकाबले ज्यादा खुलकर स्ट्रोक खेलते हैं। जाहिर है कि जिस तरह का प्रदर्शन उन्होंने हाल फिलहाल में किया है उसे देखते हुए चयनकर्ता उनकी वापसी पर विचार कर सकते हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के लिए भारतीय टीम का चुनाव सोमवार को होना है ऐसे में उनके पास 16 सदस्यीय भारतीय टीम में जगह बनाने का सुनहरा मौका है। लेकिन किसकी जगह जगह गंभीर स्क्वाड में जगह बनाएंगे। वेस्टइंडीज गए टेस्ट स्कवाड में स्टुअर्ट बिन्नी ही एक कमजोर कड़ी नजर आते हैं।

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बिन्नी को टेस्ट मे अंतिम एकादश में जगह नहीं दी गई थी लेकिन फ्लोरिडा में खेले गए पहले टी20 में वह भारतीय टीम का हिस्सा थे जहां उन्होंने एक ओवरमें 32 रन दे डाले थे। वहीं दिलीप ट्रॉफी में भी उनका प्रदर्शन अब तक कुछ खास नहीं रहा है। ऐसे में उनकी जगह जरूर गौतम गंभीर अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन गंभीर के अतिरिक्त भी अन्य बल्लेबाज हैं जो टीम इंडिया में वापसी के लिए प्रबल दावेदार हैं ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि वह न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए भारतीय टीम में वापसी कर पाते हैं कि नहीं।