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'मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात नहीं कर पाया क्योंकि लगता था किसी को परवाह नहीं'

भारतीय टेस्ट सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद ने मानसिक स्वास्थय पर खुलकर बात की।

user-circle cricketcountry.com Written by India.com Staff
Last Updated on - November 21, 2019 5:03 PM IST

इंग्लैंड महिला क्रिकेट टीम की प्रतिभाशाली विकेटकीपर बल्लेबाज सारा टेलर (Sarah Taylor) के एंजाइटी की वजह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद खिलाड़ियों के बीच मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को लेकर एक चर्चा की शुरुआत हुई। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के तीन खिलाड़ियों ग्लेन मैक्सवेल (Glenn Maxwell), विल पुकोव्स्की (Will Pucovski) और निक मैडिनसन (Nic Maddinson) ने मानसिक स्वास्थय को ध्यान में रखते हुए क्रिकेट से ब्रेक लिया। जिसके बाद भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने भी इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया दी और इन खिलाड़ियों की हिम्मत की तारीफ की।

अब एक और भारतीय क्रिकेटर ने आगे बढ़कर मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात की है। भारतीय सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद (Abhinav Mukund) ने बताया कि जब वो मुश्किल दौर से गुजर रहे थे तो उनके अंदर मानसिक समस्या को लेकर किसी से बात करने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि उन्हें लगता था कि कोई इन चीजों की परवाह नहीं करता है। लेकिन मुकुंद ने माना कि अब समय बदल गया है और इस विषय को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

अपने भावुक आर्टिकल में मुकुंद ने मानसिक स्वास्थय की समस्याओं से जूझ रहे खिलाड़ियों के लिए लिखा, “मैं अपने साथी खिलाड़ियों से अपील करूंगा कि खुद के साथ ईमानदार रहें, इससे लड़ने की कोशिश करें, टिके रहें और ये सोचें कि आखिर आपने किस लक्ष्य के साथ शुरुआत की थी। लेकिन अगर ये सारे प्रयास असफल रहते हैं और आपको लगता है कि आप और सहन नहीं कर सकेंगे तो ब्रेक लें। ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है।”

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भारतीय टेस्ट क्रिकेटर ने आगे लिखा, “मुझमें खुलकर इस बारे में बात करने की हिम्मत नहीं थी, इस वजह से क्योंकि मुझे लगता था कि किसी को फर्क नहीं पड़ता। यही कारण है कि मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति से पीड़ित 10 प्रतिशत से भी कम लोग सामने आए हैं और बाकी लोग आज भी इस बोझ को ढो रहे हैं।”

उन्होंने लिखा, “खुलकर आगे आएं, इस बारे में चिंता ना करें कि दूसरे आपके बारे में क्या सोच सकते हैं या आपके करियर का क्या होगा। मेरा विश्वास करो, जितनी जल्दी आप अपने काम से खुश होंगे, उतनी जल्दी ही आप सफलता की राह पर आगे बढ़ेंगे।”

अपने मुश्किल अनुभवों को याद करते हुए मुकुंद ने लिखा, “साल 2011 में मैं अपने खेल के सर्वश्रेष्ठ स्तर पर था, आसानी  से शतक लगा रहा था। लेकिन अचानक से मुझे राष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया, मैं स्टेट टीम के लिए रन बनाता रहा लेकिन इसके बावजूद मुझ पर सवाल उठे। आखिर में रनों का सूखा पड़ गया और देश के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने से सिर्फ 18 महीने पहले मुझे स्टेट टीम से हटा दिया गया।”

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उस सीजन राष्ट्रीय और स्टेट दोनों ही टीमों से बाहर हो चुके मुकुंद आईपीएल में भी किसी फ्रेंचाइजी से नहीं जुड़े सके। जिसके बाद उन्होंने देश से बाहर जाकर क्लब क्रिकेट खेलने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “आईपीएल नीलामी आई और उसमें ना चुने जाने की बेइज्जती से बचने के लिए मैं क्लब क्रिकेट खेलने इंग्लैंड चला गया। हां, क्लब क्रिकेट, काउंटी नहीं। बता दूं कि मैं तब भी 50 की औसत से खेल रहा था। करीबन 30 काउंटी टीमों में से किसी में भी खेलने का मौका ना मिल पाने के बाद मैंने लीग क्रिकेट खेलन का फैसला किया।”

उन्होंने लिखा, “किसी दिन काउंटी क्रिकेट खेलने की उम्मीद में, जब भी कोई काउंटी टीम घर पर खेलते थी तो मैं वहां पहुंच जाता था, केवल उनका 12वां खिलाड़ी बनने के लिए। मैने GBP के लिए ये काम किया ताकि दिन के आखिर में कोच नेट में मुझे 100 गेंद खिलाएं, यही सौदा था। कुछ साल पहले, मैं अपनी राष्ट्रीय टीम के साथ उनके देश के खिलाफ खेल रहा था। लेकिन यहां मैं आज उन खिलाड़ियों के लिए ड्रिंक्स लेकर जा रहा था, जिन्होंने मुझसे आधे रन भी नहीं बनाए थे। और मैं केवल 24 साल का था। ये मेरे लिए आखिरी प्वाइंट था।”

हालांकि मुकुंद के लिए ये मुश्किल समय था लेकिन देश और राष्ट्रीय टीम से दूर बिताए इस समय ने उन्हें काफी कुछ सिखाया। इस बारे में उन्होंने लिखा, “भारत से दूर बिताए चार महीनों ने मुझे जिंदगी को देखने का नया नजरिया दिया। मेरे अंदर का एक हिस्सा राष्ट्रीय और स्टेट टीम में जगह बनाने के दबाव से आजाद हो गया। मैं अपने स्टेट के लिए प्री सीजन टूर्नामेंट खेलने घर वापस लौटा और अकेले दम पर अपनी टीम को टूर्नामेंट जिता दिया। तो आखिर क्या बदलाव हुआ? क्या अपनी तकनीकि में कोई बदलाव किया? नहीं। मेरा पास खोने को कुछ नहीं था। मैं वापस आकर, केवल खेलकर खुश था।”

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