विराट कोहली जैसे स्टार क्रिकेटर के बिना रणजी मैचों को नहीं मिलते दर्शक
पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर का कहना है कि बड़े खिलाड़ियों के ना रहते रणजी मैचों के स्टैंड्स खाली पड़े रहते हैं।
भारत का प्रमुख घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी बड़े सितारे की गैरमौजूदगी की वजह से दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है और ज्यादातर स्टैंड काफी हद तक खाली रहे हैं।
भारतीय राजधानी के फ़िरोज़ शाह कोटला स्टेडियम में दिल्ली और आंध्र प्रदेश के बीच हाल ही में हुए एक मैच में स्टैंड में बैठे लोगों की संख्या मैदान पर खेल रहे खिलाड़ियों के बराबर थी। अंतिम दिन ये 20 से बढ़कर 150 हो गई क्योंकि वो दिन भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का आखिरी मैच था।
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समस्या ये है कि विराट कोहली जैसे खिलाड़ी रणजी को बड़ा बना सकते हैं लेकिन व्यक्त अंतर्राष्ट्रीय शेड्यूल की वजह से उनक पास रणजी के लिए कोई समय नहीं है। क्रिकेटके लिए पागल भारत में लोगों को अब चार-दिवसीय रणजी खेलों के लिए बहुत ज्यादा जुनून नहीं है।
इस बारे में भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा, “आज के युवाओं का ध्यान घट गया है, वो हर चीज फटाफट चाहते हैं। (लेकिन) सबसे महत्वपूर्ण बात अंतरराष्ट्रीय सितारों की अनुपस्थिति है जो भीड़ को आकर्षित करने में मदद नहीं करता है। अंतर्राष्ट्रीय शेड्यूल खिलाड़ियों को बांध कर रखता है।”
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रणजी भारत के भविष्य के सितारों के लिए बड़ा मंच है। भारत की सीनियर टीम में हाल ही जगह बनाने वाले पृथ्वी शॉ इसका सबूत हैं। भारत को अंडर -19 विश्व कप जिताने और आईपीएल में धमाल मचाने से पहले शॉ ने मुंबई के लिए घरेलू सर्किट में काफी रन बनाए थे।
दिग्गज खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली याद करते हैं कि कैसे रणजी मैचों में खेलने के लिए सितारे अतिरिक्त कोशिश करते थे। उन्होंने कहा, “सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, वीरेंद्र सहवाग भारत के लिए नहीं खेलने पर हमेशा अपनी राज्य की टीमों के लिए उपलब्ध थे।”
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बीसीसीआई खेल के लंबे फॉर्मेट में भीड़ को खींचने की पूरी कोशिश कर रहा है। बीसीसीआई के महाप्रबंधक सबा करीम ने एएफपी को बताया, “हमने सभी राज्य संघों को खेल को पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए लिखा है। उन्हें स्कूलों और कॉलेजों तक जाकर मैदान में ज्यादा से ज्यादा दर्शक लाने की कोशिश करनी होगी।”
(एएफपी)