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मुंबई आज भी है घरेलू क्रिकेट का पावर हाउस: अमोल मजूमदार

मुंबई की टीम कुल 41 बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन रह चुकी है।

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Published: Oct 21, 2018, 06:15 PM (IST)
Edited: Oct 21, 2018, 06:20 PM (IST)

विजय हजारे ट्रॉफी 2018-19 के फाइनल मुकाबले मे शनिवार को मुंबई ने दिल्‍ली को चार विकेट से मात देकर खिताब पर कब्‍जा किया। ये तीसरी बार है जब मुंबई विजय हजारे ट्रॉफी के खिताब को जीतने में कामयाब रही है। मुंबई ने साल 2007 में आखिरी बार विजय हजारे ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया था। पिछले 11 सालों में खिताब नहीं जीत पाने के कारण क्रिकेट सर्केट में लगातार ये बाते होने लगी थी कि मुंबई अब घरेलू क्रिकेट का हब नहीं रहा है।

मुंबई के पूर्व बल्‍लेबाज अमोल मजूमदार ने इन सभी बातों को दरकिनार करते हुए कहा, “आज भी मुंबई घरेलू क्रिकेट में टॉप पर बना हुआ है। इस साल मुंबई की टीम को विजय हजारे ट्रॉफी में कोई नहीं हरा पाया।” ईएसपीएन क्रिकइनफो से बातचीत के दौरान अमोल मजूमदार ने कहा, “मुंबई की धाक कम होने को लेकर जो भी चर्चाएं की जा रही थी वो महज चर्चा ही थी। सच्‍चाई ये है कि हम लगातार अच्‍छा प्रदर्शन करते रहे हैं। अगर आप टीम को देखेंगे तो पाएंगे कि वो कितनी योग्‍य और मजबूत है।”

अमोल मजूमदार ने कहा, “आप ऐसा कैसे कह सकते हैं मुंबई क्रिकेट लगातार नीचे गिर रहा था। अगर हम पिछले तीन सालों की बात करें तो हमने काफी अच्‍छा प्रदर्शन किया है। साल 2015-16 में सौराष्‍ट्र को हराकर हमने रणजी ट्रॉफी खिताब अपने नाम किया था। इसके बाद पिछले साल हम रणजी ट्रॉफी में उपविजेता रहे। इस साल हमने विजय हजारे का टाइटल जीता है। किस आधार पर ये कहा जा रहा है कि हमारी धाक कम हुई है।”

अमोल मजूमदार ने कहा, “90 के दशक में हमने पूरी तरह से डॉमिनेट किया। पिछले 16-17 सालों में दुनिया बदल गई है। इसका ये मतलब नहीं है कि मुंबई की टीम अब पहले से खराब हो गई है। ये कहा जा सकता है कि बाकी टीमें पहले से बेहतर हुई हैं। मौजूदा भारतीय टीम में अजिंक्‍य रहाणे, रोहित शर्मा, शार्दुल ठाकुर, श्रेयस अय्यर और पृथ्‍वी शॉ मुंबई से ही आते हैं।”

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उन्‍होंने कहा, “हो सकता है कि इस वक्‍त हम सफेद गेंद के क्रिकेट पर जितना ध्‍यान देते हैं उतना वनडे पर नहीं दे पाते। आमतौर पर हमारा फोकस रणजी ट्रॉफी पर रहता है, जो मुंबई क्रिकेट में काफी महत्‍व रखती है। शायद रणजी के बाद विजय हजारे खेले जाने के बाद खिलाड़ियों में एनर्जी का स्‍तर कुछ कम हो जाता हो, जिसके कारण काफी सालों बाद हमने विजय हजारे ट्रॉफी अपने नाम की।”