Cricket Country Staff
Editorial team of CricketCountry.
Written by Cricket Country Staff
Last Updated on - September 17, 2016 4:57 PM IST
इंग्लैंड के ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने अपनी किताब ‘फायरस्टार्टर’ में लिखा है कि वह वेस्टइंडीज के बल्लेबाज मर्लोन सैम्युअल्स को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। स्टोक्स के ओवर में वर्ल्ड टी20, 2016 फाइनल में लगातार चार छक्के जड़े गए थे और वेस्टइंडीज ने उसी के साथ टी20 वर्ल्ड कप पर कब्जा कर लिया था। सैम्युअल्स को मैच में उनके खराब व्यवहार के लिए जुर्माने के रूप में अपनी मैच फी से 30 प्रतिशत जुर्माने के तौर पर देने पड़े थे। वहीं स्टोक्स इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए थे और मैदान पर बैठकर ही फूट- फूटकर रो पड़े थे। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सैमुअल्स ने सवालों के जवाब देने के दौरान टेबल पर दोनों पैर रख लिए थे और स्टोक्स सोचते हैं कि सैम्युअल्स का यह व्यवहार खेल के प्रति अनादर दिखाता है।
स्टोक्स ने लिखा है, “वेस्टइंडीज की जीत के बाद मर्लोन का व्यवहार खेल के प्रति अनादर दिखाता है।” cricket.com.au.के मुताबिक स्टोक्स ने लिखा है, “पैड पहने हुए सैम्युअल्स प्रेस कॉन्फ्रेन्स में पहुंचे, बैठे और अपने पैर डेस्क में टिका दिए। जो शिष्टाचार की कमी दिखाता। मैं मानता हूं कि खेल का आदर करो। मुझे नहीं लगता कि वह खेल का सम्मान करता है।”
स्टोक्स ने लिखा कि उन्होंने उस मैच में सैम्युअल्स से उस समय बातचीत की थी जब वेस्टइंडीज का स्कोर 14/3 था और उन्हें मैच जीतने के लिए 156 रन बनाने थे। वे लिखते हैं, “मैं उस समय मिड ऑफ में फील्डिंग कर रहा था, मैं उस समय उत्साह में था और इसी बीच मैंने देखा कि नॉन स्ट्राइकिंग छोर पर खड़े सैम्युअल्स बड़े आराम से टहल रहे थे। मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और सैम्युअल्स से कहा कि अभी भी तुम इठला रहे हो, मर्लोन, ये देखते हुए कि तुम्हारी टीम का स्कोर 14/3 है। इस पर वह मुझे गालियां देने लगा। मैंने उसे फिर से स्कोर बताया और फिर से उसने उन्हीं शब्दों से मेरा स्वागत किया।”
स्टोक्स ने मैच के बाद की अपनी निराशा के बारे में भी लिखा है। उन्होंने लिखा है, “मेरी पूरी जिंदगी में लोग इस बात पर हमेशा चर्चा करेंगे कि कर्लोस ब्रेथवेट ने मेरी गेंदों पर लगातार चार छक्के जड़े। मैं इसका सामना कर सकता हूं। मैं मैच हारने का सामना नहीं कर सकता। वह सन्न रह जाने वाला अनुभव था। मैं खोखला महसूस कर रहा था। मेरे इंग्लैंड के टीममेट जो मेरी वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। हम बड़ी मेहनत के साथ टूर्नामेंट के फाइनल ओवर में पहुंचे थे। लेकिन थोड़ी ही देर में सबकुछ मिट्टी में मिल गया। अन्य खिलाड़ी वहां थे। मैंने उनका हाथ अपनी पीठ पर और कंधे पर महसूस किया। मैं उनके दयालु और सहायक शब्दों से परिचित था लेकिन इसके बावजूद मैं शायद ही सुन रहा था। और मैं शुक्रिया भी नहीं कह सकता था। मैं बात भी नहीं कर पा रहा था। मैच के बाद लोगों ने लगातार पूछा कि क्या मैं फिर कभी डेथ ओवरों में गेंदबाजी करूंगा। मुझे ज्यादा सुझावों की जरूरत नहीं है। 100 प्रतिशत मैं डेथ ओवरों में गेंदबाजी करूंगा।”
This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.
Strictly Necessary Cookie should be enabled at all times so that we can save your preferences for cookie settings.
If you disable this cookie, we will not be able to save your preferences. This means that every time you visit this website you will need to enable or disable cookies again.