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सुनील गावस्कर ने बताया, पर्थ में कोहली ने क्या किया ऐसा जिसका मिला इतना फायदा
पर्थ: पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) का मानना है कि पर्थ में खेले गए पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में ‘स्टांस’ में बदलाव के कारण विराट कोहली (Virat Kohli) को ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण को कुंद करने और फॉर्म में वापसी करने में मदद मिली. कोहली पिछले कुछ समय से सभी फॉर्मेट में उम्मीद...
Written by Press Trust of India
Last Updated on - November 27, 2024 5:05 PM IST

पर्थ: पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) का मानना है कि पर्थ में खेले गए पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में ‘स्टांस’ में बदलाव के कारण विराट कोहली (Virat Kohli) को ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण को कुंद करने और फॉर्म में वापसी करने में मदद मिली.
कोहली पिछले कुछ समय से सभी फॉर्मेट में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे. स्पिनरों के मददगार विकेट पर वह संघर्ष करते हुए नजर आए . इसके बाद उन पर कई सवाल उठने लगे थे.
लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने नाबाद शतक लगाकर फॉर्म में वापसी की. कोहली ने इससे पहले अपना आखिरी शतक जुलाई 2023 में वेस्टइंडीज के खिलाफ लगाया था.
गावस्कर ने स्टार स्पोर्ट्स से कहा,‘जब वह दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए उतरे तो काफी सहज नजर आ रहे थे. पहली पारी में भारत ने दो विकेट जल्दी गंवा दिए थे और अन्य खिलाड़ियों की तरह वह भी दबाव में थे.’
उन्होंने कहा,‘‘दूसरी पारी में ‘स्टांस’ बदलने के अलावा उन्होंने अपने पांवों को भी अच्छी तरह से जमाया. मुझे लगता है कि छोटी-छोटी चीजों से सामंजस्य बिठाने से वह उस स्थिति में पहुंचे जैसा कि वह चाहते थे. ऑस्ट्रेलिया की उछाल वाली पिचों पर आपके लिए इस तरह की छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण हो जाता है.’
गावस्कर ने कहा, ‘मुझे उनका जोश हेजलवुड पर मिडविकेट पर लगाया गया चौका बहुत अच्छा लगा. इस तरह का शॉट खेलना आसान नहीं होता है.’
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज मैथ्यू हेडन ने भी कहा कि कोहली को ‘स्टांस’ बदलने का फायदा मिला.
उन्होंने कहा, ‘भारत का दौरा करने पर भी खिलाड़ियों को अपने ‘स्टांस’ में हल्का बदलाव करना पड़ता है. मैंने भी ऐसा किया. लेकिन यहां थोड़ा सीधा खड़े होकर बल्लेबाजी करने का मतलब है कि आपका सिर ऐसी स्थिति में होगा जिससे कि आप उछाल लेती गेंद को अच्छी तरह से खेल सको. ऐसा करने से आपको फायदा मिलता है.’
गावस्कर ने कोहली के हाल के संघर्ष की तुलना उस समय से की जब रोजर फेडरर, राफेल नडाल और नोवाक जोकोविच जैसे टेनिस दिग्गज खिताब नहीं जीत पाए थे.
उन्होंने कहा, ‘मैंने कमेंट्री करते हुए कहा था कि रोजर फेडरर, नोवाक जोकोविच और राफा नडाल जैसे चैंपियन खिलाड़ी अगर सेमीफाइनल में हार जाते हैं तो लोग कहते हैं कि वह फॉर्म में नहीं थे. अगर कोई अन्य सेमीफाइनल में पहुंचता है तो कहा जाता है कि क्या शानदार प्रदर्शन है.’
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गावस्कर ने कहा,‘यही बात विराट कोहली पर भी लागू होती है क्योंकि लोग उनसे हर समय शतक की उम्मीद रखते हैं. अगर वह 70 या 80 रन भी बनाता है तो लोग कहेंगे कि देखो वह रन नहीं बना पा रहा है. भारतीय प्रशंसक लालची हैं. वे अपने स्टार खिलाड़ी के 70 या 80 रन बनाने से खुश नहीं होते.’