Cricket Country Staff
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Written by Cricket Country Staff
Last Updated on - August 31, 2020 2:08 PM IST
IPL 2020 News: कोलकाता नाइटराइडर्स (KKR) के बल्लेबाज नितीश राणा (Nitish Rana) ने कहा कि अपने प्रेरणादायी व्याख्यान के लिये मशहूर माइक होर्न की बातें सुनने के बाद उन्होंने असफलता को आत्मसात करना सीखा और तेज गेंदबाजों का सामना करने का डर दूर करने में सफल रहे।
होर्न ने 2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम और 2014 की विश्व कप विजेता जर्मन फुटबॉल टीम के साथ काम किया था। पिछले कुछ वर्षों से वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) फ्रेंचाइजी नाइटराइडर्स से भी जुड़े रहे। राणा ने केकेआर की वेबसाइट से कहा, ‘‘मैं केकेआर की टीम से जुड़ने से पहले ही इंस्टाग्राम पर माइक होर्न से जुड़ चुका था।’’
140 KMPH की गेंद खेलने से डरता था
घरेलू स्तर पर दिल्ली की तरफ से खेलने वाले राणा 2018 में केकेआर से जुड़े थी। उसी वर्ष उनके आदर्श गौतम गंभीर केकेआर को अपार सफलताएं दिलाने के बाद वापस दिल्ली कैपिटल्स की टीम से जुड़ गये थे। राणा ने कहा, ‘‘मैं जब उन्हें (होर्न) देखता हूं तो हैरान होता हूं कि वे इतनी अधिक चीजों से कैसे तालमेल बिठाते हैं। जब मैं युवा था तो तेज गेंदबाजी का सामना करने से डरता था और मुझे संदेह था कि क्या मैं कभी 140 किमी की रफ्तार वाली गेंदबाजी का सामना कर पाऊंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं निजी तौर पर उनसे मिला और उनके व्याख्यान सुने तो तब मुझे अहसास हुआ कि वह असफलता से नहीं डरते। वह केवल इतना जानते हैं कि उनसे कैसे लाभ हासिल करना है। मैंने उनका यह गुण आत्मसात करने का प्रयास किया। अगर आप ऐसी मानसिकता से कुछ भी करते हो तो आपको कुछ नुकसान नहीं होगा। आपको फायदा ही होगा और आप बेहतर प्रदर्शन करोगे।’’
गंभीर को अपनी कप्तानी में खिलाना यादगार क्षण
राणा की जिंदगी का वह यादगार क्षण था जब उन्होंने दिल्ली में गंभीर की मौजूदगी वाली टीम की कप्तानी की क्योंकि वह भारतीय सलामी बल्लेबाज को देखते हुए ही आगे बढ़े थे।
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई कहता था कि मैं क्रिकेटरों के एक्शन की अच्छी नकल करता हूं। इसलिए सभी कहते थे कि दादा (सौरव गांगुली) की तरह एक्शन करो। इसलिए मैं शुरू में उनकी तरह खेला करता था। लेकिन जब मैं क्रिकेट को गंभीरता से लेना लगा तो वह गौतम गंभीर थे क्योंकि मैंने उन्हें क्लब में करीब से बल्लेबाजी करते हुए देखा था। मैंने उन्हें बल्लेबाजी करते हुए देखकर काफी कुछ सीखा। ’’
दोनों दिल्ली में क्लब क्रिकेट में साथ में खेले और राणा ने दिल्ली की तरफ से जब पहला रणजी मैच खेला तो गंभीर उनके कप्तान थे। गंभीर ने 2018 में कप्तानी छोड़ी जिसके बाद राणा दिल्ली के कप्तान बने थे।
दिल्ली रणजी का कप्तान बनना बड़ी उपलब्धि
राणा ने कहा, ‘‘अगर आप मेरे करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि कहोगे तो वह दिल्ली का कप्तान बनना थी। सबसे अच्छा अहसास यह था कि मैं कप्तान था और गंभीर (घरेलू क्रिकेट में) अपने आखिरी साल में खेल रहे थे। मैं अपना पहला साल उनकी कप्तानी में खेला और वह अपना आखिरी साल मेरी कप्तानी में खेले। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘गंभीर ने कहा कि मैं दिल्ली की अगुवाई करने के लिये सही व्यक्ति हूं। जो व्यक्ति आपका आदर्श रहा हो यह उसका बयान था। यह मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था।’’
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