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'सिक्योरिटी गार्ड' को मिला नॉर्थ जोन से खेलने का मौका!

जम्मू कश्मीर के ऑलराउंडर हैं मंजूर अहमद।

user-circle cricketcountry.com Written by Devbrat Bajpai
Published: Sep 03, 2017, 04:20 PM (IST)
Edited: Sep 03, 2017, 04:20 PM (IST)

© Getty Images (Representational image)
© Getty Images (Representational image)

जब इरादा कर लिया हो ऊंची उड़ान का, तो फिर कद क्या देखना आसमान का। जम्मू कश्मीर के क्रिकेटर मंजूर अहमद दार ने यही कर दिखाया है। वह एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करने वाले मंजूर अमहद को नॉर्थ जोन से खेलने का प्रस्ताव मिला है। जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा के रहने वाले मंजूर अहमद एक ऑलराउंडर हैं। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बाद वो क्रिकेट जगत में छा गए हैं।

हाल ही में मंजूर अहमद ने एएनआई से बातचीत में कहा, “मेरी आर्थिक समस्या खराब थी जिसके कारण मुझे स्कूल बीच में छोड़ना पड़ा और परिवार की मदद करने के लिए काम करना पड़ा। इसलिए मैंने टाटा मोटर्स में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर नौकरी कर ली लेकिन क्रिकेट मेरी जिंदगी का जुनून था और मैं इसे नहीं छोड़ सकता था। यहां तक कि क्रिकेट ने भी मुझे नहीं छोड़ा। इसलिए मैं रात को नौकरी करता था और दिन में प्रैक्टिस। मेरे परिवार और दोस्तों ने तब से अबतक अच्छा समर्थन किया और ये सिर्फ उनकी वजह से हो पाया कि मैं क्रिकेट खेलना जारी रख पाया।”

मंजूर अहमद को घरेलू क्रिकेट के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से एक माना जाने लगा है। कश्मीर में शायद ही ऐसा कोई स्टेडियम हो जहां इस ताबड़तोड़ बल्लेबाज ने लोगों का मनोरंजन न किया हो। रणजी ट्रॉफी में धमाकेदार प्रदर्शन के बाद इस ऑलराउंडर को नॉर्थ जोन से खेलने का प्रस्ताव मिला है जो कि बड़ी उपलब्धि है। वादी के रवींद्र जडेजा के नाम से मशहूर मंजूर अब टीम इंडिया में जगह बनाना चाहते हैं।

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दार ने कहा, “मुझे ये याद नहीं है कि कितने रन मैंने अबतक बनाए हैं। लेकिन मैं आश्वस्त हूं कि अबतक मैं 40 से ज्यादा शतक लगा चुका हूंगा। मेरे करियर का सर्वोच्च स्कोर 211 है जो मैंने नर्बल के मैदान पर बनाए थे।” दार ने कहा कि पढ़ाई जितना ही खेल जरूरी और हर किसी को अपना सपना पूरा करने का मौका मिलना चाहिए। वादी के एक अन्य सीनियर खिलाड़ी मजीद दार ने कहा, “वादी में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए अच्छी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की जरूरत है।”