2 अप्रैल 2011 यह वो तारीख है जिस दिन आज से ठीक 11 साल पहले भारत ने 50 ओवरों के क्रिकेट में दूसरो विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया था. सभी भारतीयों की नजर मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर थी. भारत ने आज ही के दिन दुनिया को बताया दिया कि वनडे फॉर्मेट के वो बादशाह हैं. महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) के लिए भी यह दिन बेहद खास था क्योंकि उन्होंने विश्व कप (ICC World Cup 2011) जीतकर रिकॉर्ड बुक में भारत के सबसे सफल कप्तान के रूप में अपना नाम दर्ज कराया.
विश्व कप के सेमीफाइनल में 31 मार्च 2011 को पाकिस्तान को मात देते के बाद एक पत्रकार के रूप में मैं भी चंडीगढ़ से खचाखच भरी हुई फ्लाइट से मुंबई पहुंच गया था. हमारी यात्रा पूरी तरह सुखद नहीं थी. प्लेन में टीम के साथ विदेशी मेहमान थे. मुंबई पहुंचने से पहले प्लेन गोते खाने लगा. हालांकि अंत में हमारी लैंडिंग सेफ रही. मैं और मेरे जैसे बहुत से पत्रकार होटल सी ग्रीन साउथ में रुके. यह होटल सभी के बजट में आ जाता है. साथ ही होटल वानखेड़े स्टेडियम के गेट के एक दम करीब है. विश्व कप 2003 के बाद यह पहला मौका था जब टीम इंडिया ने फाइनल तक का सफर तय किया था. तब ऑस्ट्रेलिया ने भारत के विश्व कप जीतने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. हमारे पास तब कहने के लिए केवल 1983 विश्व कप की जीत ही थी.
2011 विश्व कप का नतीज क्या रह यह किसी से भी छुपा नहीं है. महेंद्र सिंह धोनी द्वारा लगाए गए जीत के छक्के के बाद फैन्स के बीच जश्न का माहौल देखने को मिला. अगले दिन सुबह तक फैन्स पार्टी करते हुए नजर आए. मैच के बाद हमने तेजी से अपना काम निपटाया. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान धोनी और युवराज सिंह अलग ही उत्साह में नजर आए. इसके बाद एक पत्रकार के नाते हमने भी फोटो खिचवाई. हम पिच के पास तक गए और जश्न मनाया.
हमें ड्रेसिंग रूम के बाहर लसिथ मलिगा बैठै हुए मिले. आधी रात तक भी फैन्स का हुजूम ऐसा था कि आपको सड़क नजर नहीं आ रही थी. लोग मैच के बाद बाहर टीम इंडिया की बस के निकलने का इंतजार कर रहे थे. हम कोलाबा में खाना खाने पहुंचे. वहां रेस्त्रां भी फैन्स से खचाखच मिला. लोग नाच रहे थे. गाना गा रहे थे. सुबह चार बजे जाकर हम अपने होटल रूम में पहुंचे.