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भारतीय टीम से भुला दिए जाने के बाद जान देना चाहता था ये पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज

पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया था।

user-circle cricketcountry.com Written by India.com Staff
Last Published on - January 19, 2020 11:26 AM IST

भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाना और फिर अपना स्पॉट बचाए रखना बेहद मुश्किल काम है। कड़ी प्रतिद्वंदिता के इस दौर में आपकी एक गलती आपको टीम से बाहर कर सकती है। और फिर शुरू होती है टीम में वापसी की जद्दोजहत जिसमें अक्सर खिलाड़ी खुद को अकेला पाते हैं। अभिनव मुकुंद, श्रेयस अय्यर कुछ ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने इस संघर्ष के बारे में बात की है। अब संन्यास ले चुके भारतीय तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार ने टीम इंडिया से बाहर होने के बाद अपने संघर्ष को लेकर खुलकर चर्चा की है। पूर्व पेसर ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब वो अपनी जिंदगी खत्म कर देना चाहते थे।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक भावुक इंटरव्यू में कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य और भारतीय टीम में वापसी की कोशिशों को लेकर बात की। अपने जीवन के सबसे मुश्किल समय को याद कर उन्होंने कहा, “मैंने खुद से कहा कि क्या है ये सब? बस खत्म करते हैं।”

ये वाकया कुछ महीनों पहले का है, जब एक सुबह कुमार अपनी रिवॉल्वर लेकर घर से निकले और कार को हरिद्वार हाईवे की तरफ ले गए। भारतीय टीम से बाहर होने का दुख और आसानी से भुला दिए जाने का गम उन पर हावी हो गया था लेकिन फिर अपने परिवार और बच्चों के ख्याल ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने कहा, “मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने फूल जैसे बच्चों के साथ ये नहीं कर सकता, उन्हें इससे गुजरने पर मजबूर नहीं कर सकता।”

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साल 2014 में भारतीय टीम से बाहर होने और फिर आईपीएल में भी मौका ना मिलने पर प्रवीण पर डिप्रेशन का असर दिखने लगा था लेकिन संन्यास के बाद स्थिती और बिगड़ती चली गई। खेल और उसकी चकाचौंध से दूर मेरठ में अपने घर पर प्रवीण घंटो तक खुद को अपने कमरे में बंद कर अपनी गेंदबाजी के वीडियोज देखते रहते थे। उन्हें खुद भी समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या हो रहा है क्योंकि उनके दिमाग में एक ख्याल हमेशा रहता था कि ‘इंडिया में किसी को डिप्रेशन थोड़े ही होता है’

ये नई बात नहीं है- दुनिया के कई हिस्सों, खासकर कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य आज भी एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कोई बात नहीं करता है। जिस वजह से कुमार को मदद मांगने में इतना समय लग गया।

क्रिकेट से पूरी तरह दूर होने की वजह से कुमार की परेशानी और बढ़ गई। कई पूर्व खिलाड़ी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कमेंटेटर, कोच या मेंटोर को रूप में खेल से जुड़े गए। कुमार ने कहा, “मेरे पास करने को कुछ नहीं था, मैं कुछ करना चाहता था लेकिन कुछ नहीं कर सकता था।”

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साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान करने वाले कुमार ने अपने मानसिक स्वास्थय को प्राथमिकता देते हुए थेरेपी शुरू की। 33 साल के भारतीय खिलाड़ी फिलहाल नियमित तौर डिप्रेशन के लिए दवा लेते हैं।

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भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी कुछ समय पहले दिए एक बयान में मानसिक स्वास्थय के बारे में खुलकर बात की थी। कोहली ने ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल की प्रशंसा की थी, जिन्होंने अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के ब्रेक लिया था। जिसका सकारात्मक नतीजा भी मिला, मैक्सवेल क्रिकेट के मैदान पर वापसी कर चुके हैं और बिश बैश लीग में शानदार बल्लेबाजी और कप्तानी कर रहे हैं।