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पाकिस्तान की हार में है इस भारतीय का हाथ, 4 साल से जिम्बाब्वे की टीम को दे रहे हैं कोचिंग
लालचंद राजपूत ने जुलाई 2018 में जिंबाब्वे की पुरुष टीम के मुख्य कोच का पद संभाला और अगले ही दिन पाकिस्तान के खिलाफ पांच मैचों की वनडे इंटरनेशनल की शुरुआत हुई।
Written by Press Trust of India
Last Published on - October 29, 2022 12:02 PM IST

पर्थ। लालचंद राजपूत सही तारीख भूल गए लेकिन उन्हें याद है कि यह जुलाई 2018 की बात है जब भारत के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने जिंबाब्वे की पुरुष टीम के मुख्य कोच का पद संभाला और अगले ही दिन पाकिस्तान के खिलाफ पांच मैचों की वनडे इंटरनेशनल की शुरुआत हुई। पाकिस्तान के खिलाफ पहला वनडे मैच 13 जुलाई 2018 को खेला गया।
राजपूत ने पीटीआई को बताया, ‘‘मैच से एक दिन पहले मुझे जिंबाब्वे क्रिकेट ने सूचित किया कि सीन इर्विन, क्रेग विलियम्स, सिकंदर रजा और ब्रेंडन टेलर बोर्ड के साथ चल रहे वेतन विवाद के कारण बाहर हो गए हैं। मैं हैरान था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जिंबाब्वे क्रिकेट के प्रबंध निदेशक गिवमोर मकोनी ने मुझसे कहा कि हम सीरीज रद्द नहीं कर सकते। हमें अनुभवहीन टीम मिली और पहले मैच में हम 100 रन (107 रन) और फिर तीसरे मैच में 50 के आसपास (67 रन) ऑल आउट हो गए। ऐसा होने के बाद मुझे पता था कि मुझे चीजों को बदलने के लिए रुकना होगा।’’
इस पूर्व भारतीय बल्लेबाज ने कहा,“हम 2019 वनडे वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे और फिर निलंबित हो गए। वह सबसे खराब दौर था इसलिए मुझे केवल चार वर्षों में इस परिवर्तन पर गर्व है।’’
जिंबाब्वे ने बुधवार को पाकिस्तान को एक रन से हराकर T20 वर्ल्ड कप में अपनी सबसे बेहतरीन जीत में से एक हासिल की और इससे राष्ट्रीय टीम के मौजूदा तकनीकी निदेशक राजपूत से ज्यादा खुश कोई नहीं हो सकता था।
राजपूत ने कहा, ‘‘मेरा सपना उन्हें ऑस्ट्रेलिया में T20 वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई करते देखना था। यह सोने पर सुहागा है और मुझे अपने लड़कों पर गर्व है।’’
भारत ने जब 2007 में पहले T20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता था था तो उसके कोच भी राजपूत ही थे। राजपूत क्वालीफायर तक टीम के साथ थे लेकिन वह दिवाली के समय अपने परिवार के साथ रहना चाहते थे और इसलिए वापस लौट गए।
नील जॉनसन, फ्लावर बंधु एंडी और ग्रांट, मरे गुडविन, पॉल स्ट्रैंग, हेनरी ओलोंगा और हीथ स्ट्रीक जैसे खिलाड़ियों के जाने के बाद जिंबाब्वे का क्रिकेट कभी पहले जैसी सफलता हासिल नहीं कर पाया। इसे प्रशासनिक अक्षमता कहें या खिलाड़ियों की गुणवत्ता में गिरावट या कम वेतन को दोष दें, जिंबाब्वे का क्रिकेट बद से बदतर होता गया। सरकार ने इसके बाद क्रिकेट बोर्ड को निलंबित कर दिया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने जिंबाब्वे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से छह महीने के लिए निलंबित कर दिया।
प्रशासनिक मोर्चे पर स्थिति में सुधार हुआ है। इस बीच खिलाड़ियों और राजपूत को उनकी सेवाओं के लिए सीधे आईसीसी ने भुगतान किया।
स्टार बल्लेबाज सिकंदर रजा ने सिर्फ 2022 में ही पांच वनडे शतक बनाए हैं जबकि मौजूदा सत्र से पहले 50 ओवर के प्रारूप में उनका एकमात्र शतक 2015 में बना था। बुधवार को रजा ने अपनी ऑफ स्पिन से तीन विकेट चटकाए और मैच का रुख बदलते हुए टीम को एक रन से जीत दिलाई।
राजपूत ने कहा, ‘‘सिकंदर एक भावुक लड़का है। वह देर से 36 साल की उम्र में निखर रहा है। मुझे याद है कि कुछ साल पहले जब मैंने पद संभाला था तो उससे पूछा था, “तूने कितने मैच जिम्बाब्वे को जिताएं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उसने लंबे समय से शतक नहीं बनाया था। वह 40 के आसपास रन और कभी कभी अर्धशतक बना रहा था जिससे कि टीम में उसकी जगह सुरक्षित रही।’’
पूर्व टेस्ट सलामी बल्लेबाज राजपूत इसके बाद रजा में मुंबई की शैली लाए और उनके अलावा विलियम्स, इर्विन और कप्तान रेगिस चकाब्वा जैसे सीनियर खिलाड़ियों के साथ दिल से बात की। राजपूत ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि अगर आप सीनियर्स आगे नहीं आओगे और मैच जिताने में अधिक जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो जिंबाब्वे के लिए खेलने का कोई मतलब नहीं है।’’
उन्होंने कहा, “अगर टीम को हारना है तो मैं युवाओं को चुनना पसंद करूंगा और परिणामों के बारे में नहीं सोचूंगा। इसने काम किया क्योंकि उनकी मानसिकता बदल गई।’’ राजपूत की असल में जिंबाब्वे से जुड़ने की कोई योजना नहीं थी क्योंकि वह ग्रेटर नोएडा में अफगानिस्तान टीम को कोचिंग देकर खुश थे। लेकिन चीजें तब बदल गईं जब अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (एसीबी) के अधिकारी चाहते थे कि वह जूनियर विश्व कप की अंडर-19 राष्ट्रीय टीम तैयार करने के लिए काबुल आएं।
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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे विशेष रूप से कहा था कि मैं काबुल कभी नहीं जाऊंगा। इसलिए जैसे ही उन्होंने जोर दिया तो मैंने इस्तीफा दे दिया। इसे मीडिया ने कवर किया और फिर एक हफ्ते के भीतर मकोनी ने मुझे फोन किया और मुझे मुख्य कोच की नौकरी की पेशकश की।’’