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टेस्ट टीम से ड्रॉप होने के बाद टूट गए थे पृथ्वी शॉ लेकिन नहीं अब कहा 'मैं विरार का लड़का हूं, मुझे वापसी करना आता है'
युवा सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में खेले गए पहले मैट के बाज टेस्ट टीम से ड्रॉप कर दिया गया था।
Written by India.com Staff
Last Published on - March 12, 2021 5:46 PM IST

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खराब प्रदर्शन की वजह से केवल एक मैच के बाद भारतीय टेस्ट टीम से ड्रॉप होने के बाद युवा सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) बेहद निराश हो गए थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अपनी गलती को कैसे सुधार जाय। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के दौरान शॉ बल्ले और पैड के बीच गैप की वजह से कई बार आउट हुए। एडिलेड में खेले गए सीरीज के पहले मैच की दोनों पारियों में शॉ इसी तरह से बोल्ड हुए, जिसके बाद उन्हें स्क्वाड से ड्रॉप कर दिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में शॉ ने टीम से ड्रॉप होने के अनुभव को याद किया। उन्होंने कहा, “जब मुझे पहले टेस्ट से ड्रॉप किया गया था तो मैं बेहद परेशान था। मुझे ऐसा एहसास हुआ कि मेरा कोई महत्व ही नहीं है। हालांकि मैं टीम के लिए खुश था। मैंने खुद से कहा ‘मुझे खुद को संभालना होगा’। ऐसी कहावत है कि ‘मेहनत प्रतिभा से बड़ी होती है’। मैंने खुद से कहा कि ये प्रतिभा ठीक है लेकिन इसका कोई मतलब नहीं अगर मैं मेहनत नहीं करता हूं तो।”
शॉ ने कहा, “वो मेरे जिंदगी का सबसे दुखद दिन था। मैं अपने कमरे में गया और फूट-फूटकर रोया। मुझे लग रहा था कि कुछ गलत हो रहा है। मुझे जवाब चाहिए थे।”
हालांकि शॉ टीम से ड्रॉप होने पर बेहद निराश थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी थी और विजय हजारे टूर्नामेंट में 754 रन बनाकर शानदार वापसी की।
असफलता से निपटने के अपने तरीके पर शॉ ने कहा, “मैं आसानी से हार नहीं मानता हूं। मैं विरार का लड़का हूं। मैं गलियों से आया हूं। मुझे पता है कि वापसी कैसे करते हैं। मैंने हमेशा टीम को खुद से ऊपर रखा है, चाहे क्लब हो या मुंबई या भारत। अगर आप चाहते हैं मैं 100 गेंदो पर एक रन बनाऊं, फिर मैं कोशिश कर सकता हूं लेकिन वो मैं नहीं हूं, वो मेरा खेल नहीं है, मैं उस तरह से नहीं खेल सकता। मैंने कभी भी ऑस्ट्रेलिया जैसे हालातों का सामना नहीं किया लेकिन अब मैंने कड़ी मेहनत की है। सुधार करने के लिए नेट्स में घंटों बिताए हैं।”
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शॉ ने आगे कहा, “एक बार आप टीम से ड्रॉप हो जाते हैं त फिर आप पर प्रदर्शन करने और वापसी करने का दबाव होता है। मैं रन बनाने को उत्साहित हूं। मुझे बड़ी पारियां खेलनी है। उस दिन क्वार्टर फाइनल (विजय हजारे) के दौरान मुझे पीठ में दर्द था और हमारे फीजियो और टीम मैनेजमेंट ने मुझे ड्रेसिंग रूम लौटने को कहा लेकिन मैंने ना कहा। उन्होंने मुझे दवा दी और मैंने बल्लेबाजी जारी रखी। मैं बल्लेबाजी करते समय हालात को संभालने की कोशिश कर रहा हूं।”