Rohit sharma on cheteshwar Pujara: चेतेश्वर पुजारा की गिनती टेस्ट के दिग्गज खिलाड़ियों में की जाती है. भारत के लिए 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेल चुके चेतेश्वर पुजारा फिलहाल टीम इंडिया से बाहर है. इंग्लैंड दौरे पर एक बार फिर उन्हें नहीं चुना गया, हालांकि उन्होंने कहा है कि अगर उन्हें मौका मिला तो वह देश के लिए खेलने के लिए तैयार हैं. चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर वाइफ’ के विमोचन के मौके पर रोहित शर्मा ने चेतेश्वर पुजारा को लेकर जूनियर क्रिकेट से जुड़ा एक किस्सा बताया है.
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जीत या हार का अंतर होता था पुजारा का विकेट: रोहित
रोहित ने कहा, जूनियर क्रिकेट में पुजारा का विकेट अक्सर आयु वर्ग के मैचों में उनकी टीम के लिए जीत या हार का अंतर होता था, यह उस साहसी बल्लेबाज की शुरुआती निशानी थी जिसने 103 टेस्ट मैचों में 19 शतक और 35 अर्द्धशतक के साथ 43.60 की औसत से 7,195 रन बनाए. रोहित कहा, मुझे अभी भी याद है कि टीम की बैठकें केवल इस बात पर केंद्रित होती थीं कि उसे कैसे आउट किया जाए और अगर हम उसे आउट नहीं करते हैं, तो शायद हम मैच हार जाएंगे.
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एक बल्लेबाज है जो तीन दिनों से बल्लेबाजी कर रहा है: रोहित
पूर्व भारतीय कप्तान ने मजाक में कहा कि पुजारा के खिलाफ धूप में खेलने के बाद उनका लुक इतना बदल जाता था कि उनकी मां भी थोड़ी परेशान हो जाती थीं। उन्होंने कहा, मुझे बस इतना याद है कि जब मैं 14 साल का था और मैदान पर जाता था और शाम को वापस आता था, तो मेरे चेहरे का रंग बिल्कुल अलग होता था, क्योंकि वह पूरे दिन बल्लेबाजी करता था और हम 2-3 दिन धूप में फील्डिंग करते थे. रोहित शर्मा ने कहा, मेरी मां ने मुझसे कई बार पूछा था कि जब तुम घर से खेलने जाते हो, तो तुम अलग दिखते हो और जब तुम एक हफ्ते या 10 दिन बाद घर आते हो, तो तुम अलग दिखते हो, मैं कहता था, ‘मां, मैं क्या करूं चेतेश्वर पुजारा नाम का एक बल्लेबाज है, वह तीन दिनों से बल्लेबाजी कर रहा है.
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खेल को खेलने के लिए पुजारा में बहुत समर्पण था: रोहित
रोहित ने पुजारा को अपने करियर की शुरुआत में ही दोनों घुटनों में एसीएल (पूर्वकाल क्रूसिएट लिगामेंट) की चोट लगने के बाद 100 से अधिक टेस्ट खेलने का श्रेय दिया. उन्होंने कहा, बहुत बड़ी और बुरी चोट थी, उसके दोनों एसीएल चले गए थे, किसी भी क्रिकेटर के लिए, अगर आप एथलीट नहीं हैं या कोई खेल नहीं खेल रहे हैं, तो यह बहुत कठिन है, अगर आप अपने दोनों एसीएल खो देते हैं, लेकिन वह उसके बाद भारत के लिए 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलने में सफल रहा, जिस तरह से उसने इसे संभाला, उसका बहुत सारा श्रेय उसे जाता है. रोहित ने कहा, खेल को खेलने के लिए उनमें बहुत समर्पण और जुनून था.
2016-17 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को पुजारा ने बताया सबसे कठिन सीरीज
वहीं इस मौके पर चेतेश्वर पुजारा ने 2016-17 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू मैदान पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को अपने करियर की सबसे कठिन सीरीज बताया. पुजारा ने कहा, मैं एक घटना का जिक्र कर सकता हूं, 2017 में, जब भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 200 रन पर आउट हो गया था, वह मेरे लिए सबसे कठिन टेस्ट सीरीज में से एक थी. बैंगलोर में दूसरा टेस्ट मैच था, और टीम ने पहली पारी में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, और हम दूसरी पारी में फिर से परेशानी में थे, लेकिन मैंने अनिल (कुंबले) भाई से नाथन लियोन से निपटने के तरीके के बारे में बात की, और उन्होंने एक तकनीकी सुझाव दिया, जो कारगर साबित हुआ.
Cheteshwar-Pujara
मेरी मां को विश्वास था कि मैं देश के लिए खेलूंगा: पुजारा
पुजारा ने कहा, मैंने अपनी मां को खो दिया और मैं 17 साल का था, लेकिन जब मैं छोटा था और उन पलों को फिर से जीने के लिए मेरे माता-पिता ने मुझे जिस तरह का समर्थन दिया, क्योंकि उन्होंने (पूजा) इस बात का वास्तव में बहुत अच्छा वर्णन किया है. पुजारा ने कहा, मुझे अभी भी अपनी मां की सलाह याद है कि आप अपने जीवन में क्या करते हैं, और उन्हें पूरा विश्वास था कि मैं देश के लिए खेलूंगा, उन्होंने मुझसे कहा कि आपको पहले एक अच्छा इंसान बनना होगा.
Rohit sharma
मां और पिता के समर्थन से यहां तक हूं: रोहित
वहीं रोहित ने कहा, जब से मैं पैदा हुआ हूं, तब से लेकर अब तक मेरी मां और पिता का समर्थन बहुत ज़्यादा रहा है. मैं जानता हूं कि उन्होंने मेरे और मेरे भाई के लिए जो त्याग किया है, उसके लिए हमें अपने जीवन में जो करना चाहिए था, वो किया है, लेकिन जब आप बैठकर इसके बारे में सोचते हैं, तो आप वास्तव में सराहना करते हैं, आप जानते हैं कि माता-पिता क्या झेलते हैं,. जब आप उस उम्र में होते हैं, तो आपको एहसास नहीं होता है.
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