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न्यायालय ने दिया आदेश आईपीएल के 13 मैच होंगे महाराष्ट्र से बाहर

अदालत ने कहा कि 30 अप्रैल तक होने वाले मैच राज्य में आयोजित किए जा सकते हैं

user-circle cricketcountry.com Written by Indo-Asian News Service
Last Updated on - April 14, 2016 3:35 PM IST

IPL © Getty Images
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बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में पानी की समस्या को देखते हुए बुधवार को 30 अप्रैल के बाद होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 13 मैचों को महाराष्ट्र से बाहर स्थानांतरितकरने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि 30 अप्रैल तक होने वाले मैच राज्य में आयोजित किए जा सकते हैं। अदालत ने कहा कि वह राज्य में फैली सूखे की बुरी स्थिति को नजरअंदाज नहीं कर सकती। इस फैसले के बाद अब बीसीसीआई को 13 आईपीएल मैच महाराष्ट्र के बाहर स्थानांतरित करने होंगे, जिनमें फाइनल मैच भी शामिल है।इस महीने आईपीएल के पांच मैच महाराष्ट्र में खेले जाएंगे। जिन 13 मैचों को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है, उनमें छह मैच पुणे, चार मैच मुंबई और तीन मैच नागपुर में खेले जाने थे। ये भी पढ़ें: आईपीएल- 9: मुंबई इंडियंस ने केकेआर को 6 विकेट से हराया

न्यायमूर्ति वी.एम.कनाडे और न्यायामूर्ति एम.एस. कार्निक की खंडपीठ ने यह आदेश स्वयंसेवी संस्था लोकसत्ता मूवमेंट की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में आईपीएल मैचों के लिए स्टेडियम में उपयोग किए जाने वाले पानी पर यह कहते हुए सवाल उठाए गए थे कि राज्य में पहले से ही पानी की समस्या है।

अदालत ने कहा, “लाखों गरीब लोगों की बुरी स्थिति की हम अनदेखी नहीं कर सकते।” अदालत ने कहा कि आईपीएल के मैचों को स्थानांतरित करने से पानी की समस्या का हल तो नहीं होगा, लेकिन पिचों के लिए जिस पानी का उपयोग किया जाता, उसे प्रभावित इलाकों को दे दिया जाएगा।

अदालत ने कहा, “आईपीएल के मैचों को स्थानांतरित करने से समस्या का हल तो नहीं मिलेगा लेकिन अगर प्रभावित इलाकों में पानी पहुंचाया जाता है तो थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।” आईपीएल के अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने याचिका दायर करने के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि पानी के दुरुपयोग को लेकर पहले चिंता जताई जानी चाहिए थी।

उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, “हमें जब लिखित आदेश मिलेगा तभी हम आईपीएल के मैचों को स्थानांतिरत करने के बारे में रणनीति बनाएंगे। मैचों को स्थानांतरित करना बहुत बड़ी समस्या है। पानी की समस्या के बावजूद कई सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें पानी की जरूरत होती है। सिर्फ आईपीएल को ही क्यों खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।”

बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर ने फैसला आने से पहले कहा था, “हमने सूखा प्रभावित इलाकों को मदद करने के बारे में चर्चा की है। बीसीसीआई पीने के पानी का उपयोग नहीं कर रही है।” आईपीएल के नौवें संस्करण का पहला मैच अदालत की इजाजत के बाद मुंबई में नौ अप्रैल को खेला गया था। इससे पहले बुधवार को बीसीसीआई ने बचे मैचों को महाराष्ट्र से बाहर न ले जाने की भरसक कोशिश की थी। ये भी पढ़ें: टी20 विश्व कप में भारत से मिली हार को भुलाना बेहद कठिन: महमुदुल्ला

बोर्ड ने अदालत से कहा था कि मैचों को राज्य से बाहर ले जाना सही नहीं होगा क्योंकि दो फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस और राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स का ताल्लुक महाराष्ट्र से है। इन दोनों ही फ्रेंचाइजी ने काफी निवेश किया है और मैचों को स्थानांतरित करने से इन दोनों पर बुरा असर पड़ेगा।

बीसीसीआई ने अदालत को बताया था कि महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए) सूखा प्रभावित इलाकों में 64 लाख लीटर गैर पीने के पानी की आपूर्ति करने को तैयार है और मुंबई और पुणे फ्रेंचाइजी भी पांच करोड़ रुपये देने को तैयार हैं। ये भी पढ़ें: दिल की गंभीर बीमारी के कारण जेम्स टेलर ने लिया क्रिकेट से संन्यास

बीसीसीआई के वकील रफीक दादा ने अदालत में कहा था, “पुणे से मैचों को स्थानांतरित करना सही नहीं होगा। इससे पुणे की टीम की साख और माली हालात पर असर पड़ेगा।” किंग्स इलेवन पंजाब के मालिक नेस वाडिया अदालत के इस फैसले से खुश नजर आए। उन्होंने कहा, “मैं काफी खुश हूं और हम फैसले का सम्मान करते हैं। महाराष्ट्र में पानी की समस्या काफी गहरी है। इसलिए यह सही कदम है।”

मुंबई और पुणे फ्रेंचाइजी इस फैसले से खुश नहीं हैं। पुणे फ्रेंचाइजी के वरीष्ठ वकील जनक द्वारकादास ने कहा, “हमने पहले से ही काफी निवेश किया है। मैचों को स्थानांतरित करने से सिर्फ वित्तीय हालत पर असर नहीं पड़ेगा बल्कि अगर घरेलू टीम के मैच दूसरे मैदान पर स्थानांतरित कर दिए जाएंगे तो टीम को समर्थन भी नहीं मिलेगा।”

महाराष्ट्र सरकार के कार्यकारी अधिवक्ता रोहित देव ने कहा कि अगर पीने के पानी की दुरुपयोग नहीं होना है तो सरकार को आईपीएल से कोई ऐतराज नहीं है। देव ने कहा, “अगर गैर पीने का पानी पिचों के लिए उपयोग में लाया जाना है, तो फिर सरकार आईपीएल के मैचों को स्थानांतरित करने के पक्ष में नहीं है।”

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उन्होंने अदालत से कहा, “हम जानते हैं कि यहां सूखा पड़ा है। अगर पानी का दुरुपयोग नहीं होना है तो सरकार कोई भी निर्णायात्मक रुख क्यों अपनाए? क्या (सूखा प्रभावित) मराठवाड़ा के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए हम सभी तरह की मनोरंजन की गतिविधियों पर रोक लगा दें? यह मांग भी उठ सकती है कि फिल्में रोक दो? अगर पीने के पानी का दुरुपयोग नहीं होना है तो फिर हम मामला आपकी अंतरात्मा पर छोड़ते हैं।”