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'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में शामिल हुई सचिन की आत्मकथा 'प्लेइंग इट माई वे'

क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भी सचिन का रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला थमा नहीं है

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Published on - February 19, 2016 11:18 AM IST

क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भी सचिन का रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला थमा नहीं है © © IANS
क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भी सचिन का रिकॉर्ड बनाने का सिलसिला थमा नहीं है © © IANS

क्रिकेट में भगवान का दर्जा रखने वाले सचिन तेंदुलकर भले ही क्रिकेट को अलविदा कह चुके हो, लेकिन उनके लिए उनके फैंस के प्यार में कोई कमी नहीं आई है। शायद यही कारण है कि उनकी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ ने एक नया कीर्तिमान बना दिया है। नवभारत टाइम्स के अनुसार क्रिकेट में रिकॉर्डों के अंबार लगाने वाले सचिन की आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माई वे’ ने लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में कीर्तिमान स्थापित किया है। यह कथा और गैर कथा आधारित वर्ग में सबसे ज्यादा बिकने वाली पेपरबैक किताब बन गई है। ALSO READ: अश्विन ने अपनी जुनूनी महिला फैन के बारे में साझा की ये बात

किताब का प्रकाशन हैचेट इंडिया ने किया है जिसे छह नवंबर 2014 को जारी किया गया था। इसने कथा आधारित और गैर कथा आधारित वर्ग के वयस्क वर्ग के पेपरबैक में सारे रिकार्डों को तोड़ दिया है। अब तक प्लेइंग इट माई वे की 1,50,289 प्रतियां आर्डर सब्सक्रिप्शंस से बिकी हैं। किताब के पहले दिन के आर्डर ही प्री आर्डर और लाइफटाइम सेल्स दोनों में सबसे आगे है। प्लेइंग इट माई वे ने दुनिया की शीर्ष वयस्क हार्डबैक डैन ब्राउन की इनफर्नो, वाल्टर इसाकसन की स्टीव जाब्स और जेके रॉलिंग की कैजुअल वैकेंसी जैसी किताबों को पीछे छोड़ते हुए ये रिकॉर्ड अपने नाम किया।

प्रसिद्ध स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट बोरिया मजूमदार सचिन तेंदुलकर की इस आत्मकथा के सह लेखक थे। इसने खुदरा मूल्य के मामले में भी रिकार्ड बनाया है, इसकी कीमत 899 रुपये थी जिससे 13.51 करोड़ रुपये की कमाई हुई।

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16 साल की उम्र में करियर की शुरूआत करने वाले सचिन तेंदुलकर ने 16 नवंबर को वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद क्रिकेट को अलविदा कहा था। तेंदुलकर के नाम क्रिकेट के सैंकड़ों रिकॉर्ड दर्ज हैं।