Devbrat Bajpai
देवब्रत वाजपेयी क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ senior correspondent के पद पर कार्यरत हैं
Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - February 25, 2016 9:55 AM IST
सीमित ओवरों की क्रिकेट में पावरप्ले के लिए कुछ ओवर निर्धारित किए जाते हैं। इसके दौरान क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को 30 गज के घेरे के बाहर एक निश्चित संख्या में क्षेत्ररक्षक रखने की इजाजत होती है। मौजूदा नियमों के मुताबिक एक पारी में पावरप्ले के 15 ओवर होते हैं। इन पावरप्ले को दो ब्लॉकों में बांटा गया है जिनके नाम अनिवार्य पावरप्ले, और गेंदबाजी पावरप्ले हैं। पावरप्ले के नियम समय समय पर परिवर्तित होते रहे हैं। कासकर साल 2000 के बाद से इन नियमों में कई बार तब्दीली की जी चुकी है। जानिए पावरप्ले की पूरी इनसाइड स्टोरी। ये भी पढ़े: यह क्रिकेट खिलाड़ी जो भारत-पाकिस्तान दोनों टीमों के लिए खेला
कैसे हुई पावरप्ले की शुरुआत?: पावरप्ले को आधुनिक क्रिकेट की आत्मा कहा जाता है। पावरप्ले के कारण ही मैदान में जबरदस्त हिटिंग देखने को मिलती है। 1970 में पहली बार क्रिकेट का हिस्सा बने पावरप्ले को एक प्रयोग के रूप में क्रिकेट में शामिल किया गया था। इसका इस्तेमाल सबसे पहले वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट में किया गया। हालांकि पावरप्ले
को पहले पांच विश्व कप में स्थान नहीं दिया गया और पहली बार इसे 1996 के विश्व कप में लागू किया गया। इसके बाद से पावरप्ले सीमित ओवर की क्रिकेट का मुख्य अंग बन गया। पावरप्ले ने आगे के सालों में कई आतिशी सलामी बल्लाबाजों को जन्म दिया जो आते ही विरोधी गेंदबाजों की बखिया उधेड़ने लगे। कालांतर में पावरप्ले में सर्वाधिक सफल होने वाले बल्लेबाज श्रीलंका के सनथ जयसूर्या रहे। ये भी पढ़ें: एशिया कप 2016: भारतीय टीम की बांग्लादेश पर जीत के पांच कारण
इस दौरान आज की तरह पावरप्ले 15 ओवरों का ही होता था, लेकिन यह पावरप्ले अनिवार्य पावरप्ले होता था जो पहले 15 ओवरों तक चलता था। इस पावरप्ले के दौरान तीन खिलाड़ियों को 30 गज के घेरे के बाहर रहने की इजाजत रहती थी। 16वें ओवर के बाद घेरे के बाहर पांच खिलाड़ी रखने की इजाजत होती थी साथ ही पावरप्ले के दौरान दो खिलाड़ियों के कैचिंग पॉजीशन पर रहना भी जरूरी होता था।
बदल गए पावरप्ले के नियम: सन् 2005 में क्रिकेट को अधिक मनोरंजक बनाने के लिए इसके नियमों में तब्दीलियां की गईं और पावरप्ले को 20 ओवरों का बना दिया गया। साथ ही पावरप्ले को तीन ब्लॉकों में भी बांट दिया गया। ताकि इनमें से एक ब्लॉक को बीच के ओवरों में इस्तेमाल करके बल्लेबाजी करने वाली टीम तेजी से रन बना सके और खेल को और मनोरंजक बनाया जा सके। ये तीन पावरप्ले अनिवार्य पावरप्ले, बैटिंग पावरप्ले और बॉलिंग पावरप्ले थे।
अनिवार्य पावरप्ले: क्रिकेट मैच की हर पारी के शुरू के 10 ओवरों को अनिवार्य पावरप्ले के रूप में रखा जाता है। इस दौरान फील्डिंग करने वाली टीम 30 गज के घेरे के बाहर अधिकतम दो फील्डर रख सकती है। यह आवश्यक है कि ये क्षेत्ररक्षक स्ट्राइकिंग छोर पर खड़े बल्लेबाज से 15 गज पर हों। इस पावरप्ले में बल्लेबाज अपने शुरुआती विकेट बचाते हुए जमकर हिटिंग करते हैं।
गेंदबाजी पावरप्ले: यह पावरप्ले अनिवार्य पावरप्ले(10 ओवर) के तुरंत बाद लिया जा सकता है। इस पावरप्ले में ओवरों की संख्या 5 होती है। साथ ही इसके इस्तेमाल करने का हक क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम के पास होता है। ज्यादातर देखा जाता है कि अगर मैच कुछ हद तक फील्डिंग करने वाली टीम के हाथ में होता है तो वह इस पावरप्ले को तुरंत लेकर बल्लेबाजों पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर टीम आतिशी अंदाज में खेल रही हो तो वे इस पावरप्ले को लेने के लिए सही समय का इंतजार करते हैं। इस पावरप्ले में तीन क्षेत्ररक्षकों को 30 गज के घेरे के बाहर रखा जा सकता है। साथ ही इस पावरप्ले को 40 ओवरों तक खत्म करना जरूरी रहता है।
बल्लेबाजी पावरप्ले: पांच ओवर का यह पावरप्ले कब लिया जाए यह बैटिंग करने वाली टीम तय करती है। इसका मकसद बीच के ओवरों में भी बल्लेबाजों को रन बनाने के ज्यादा मौके देना और इस तरह खेल को ज्यादा दिलचस्प बनाना होता है। इस पावरप्ले में भी बॉलिंग पावरप्ले के नियम लागू होते हैं। इस दौरान 30 गज के सर्कल के बाहर तीन से ज्यादा फील्डर नहीं हो सकते।
विश्व कप 2015 में बैटिंग पावरप्ले की वजह से क्रिकेट में असंतुलन देखा गया जब गेंदबाजों की पूरे विश्व कप में बेतरतीब धुनाई की गई। विश्व कप के तुरंत बाद आईसीसी ने एक बैठक बुलाई और पावरप्ले के नियमों में एक बार फिर से बदलाव किए गए। नए नियमों के मुताबिक बैटिंग पावरप्ले को हटा दिया गया और अंतिम 10 ओवरों में क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को मैदान में 5 खिलाड़ी रखने की इजाजत दी गई जो इसके पहले चार थी। साथ ही अनिवार्य पावरप्ले में दो कैचरों की बाध्यता को हटा दिया गया। चूंकि गेंदबाजी पावर प्लेको बरकरार रखा गया जिसके अंतर्गत 3 क्षेत्ररक्षकों को 30 गज के घेरे के बाहर क्षेत्ररक्षण करने की इजाजत होती है। साथ ही पावरप्ले खत्म होने के बाद 40 ओवरों तक चार क्षेत्ररक्षकों को 30 गज के घेरे के बाहर रखने की इजाजत दी गई।
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