Devbrat Bajpai
देवब्रत वाजपेयी क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ senior correspondent के पद पर कार्यरत हैं
Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - September 16, 2016 4:20 PM IST
अभी कुछ समय पहले की ही तो बात है जब भारतीय टीम में हर तरह के प्रयोग किए जा रहे थे। ये सिलसिला खासतौर पर तबसे शुरू हुआ जबसे कुछ बड़े औहदे वाले क्रिकेटरों ने संन्यास ले लिया और कुछ अन्य को अपने खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। लेकिन साल 2014 में खेली गई बॉर्डर- गावस्कर ट्रॉफी और उसके बाद खेले गए आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2015 के बाद से भारतीय टेस्ट टीम अपनी सीमित ओवरों की टीम के मुकाबले ज्यादा स्थिर नजर आती है। टेस्ट मैचों में भारतीय टीम ने ओपनरों की तलाश बंद कर दी है और वे अब शिखर धवन और मुरली विजय की जोड़ी पर ज्यादा भरोसा जताने लगे हैं।
वही बात मिडिल ऑर्डर में भी लागू होती है और वहां पर भी ज्यादा फेरबदल देखने को पिछली सीरीजों में तो नहीं मिला है। विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे जो इस टीम की अगुआई कर रहे हैं वे अगले सप्ताह शुरू हो रही सीरीज में जाहिर तौर पर एक सोची- समझी रणनीति के साथ मैदान पर उतरेंगे। टीम में कुछ खिलाड़ियों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है। ये वे खिलाड़ी हैं जो मुख्य हैं। टीम में खासतौर पर बाद करें तो रोहित शर्मा, चेतेश्वर पुजारा और रोहित शर्मा के बीच अंतिम एकादश में शामिल होने को लेकर आपस में ही कंपटीशन है।
वर्तमान में इन बल्लेबाजों के बीच सबसे ज्यादा और लगातार रन लोकेश राहुल बना रहे हैं। वह वेस्टइंडीज में रनों का पहाड़ लगाकर आए हैं। वहां उनके प्रतिस्पर्धी शर्मा और रहाणे के पास भी शतक जड़ने का मौका था लेकिन वे शतक मुकम्मल नहीं कर पाए और न ही अच्छा स्कोर मुकम्मल कर पाए लेकिन राहुल ने किया। जिसके चलते राहुल ने अपनी जगह अंतिम एकादश में लगभग पुख्त कर ली है। जैसा कि पहले से चयनकर्ताओं ने कुछ अतिउत्साही निर्णय लेकर के आउट ऑफ- फॉर्म बल्लेबाजों शिखर धवन और रोहित शर्मा को टीम में मौका दिया है तो ऐसे में कप्तान कोहली के लिए इस संबंध में निर्णय लेना कठिन होगा कि वह उस बल्लेबाज का समर्थन करें जिसकी साख तो बहुत अच्छी है लेकिन वर्तमान में टेस्ट क्रिकेट में वह फिसड्डी साबित हो रहा है। रोहित शर्मा लगातार रनों के सूखे से जूझ रहे हैं। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपना अंतिम अर्धशतक पिछले साल श्रीलंका के खिलाफ अगस्त में जड़ा था। वहीं दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज में व वेस्टइंडीज के खिलाफ विदेशी सीरीज में वह फिसड्डी साबित हुए।
अंतिम एकादश में सम्मिलित होने की जहां तक बात करें तो धवन से ज्यादा तलवार रोहित पर अटकी हुई है जिन्होंने पिछले तीन सालों में टेस्ट क्रिकेट में कोई भी शतक नहीं बनाया है। वहीं बात करें धवन की तो वह लगातार रन बनाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। पिछले साल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरे में धवन का बल्ला पूरी तरह से खामोश रहा था। ऐसे में उन्हें बड़े रन बनाने की जरूरत थी। उन्होंने बांग्लादेश में 173 रन ठोककर अपनी फॉर्म में वापसी के कुछ संकेत तो दिए और अगली सीरीज में श्रीलंका के खिलाफ 134 रन ठोककर उन्होंने फिर से टीम प्रबंधन का भरोसा जीत लिया।
भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका सीरीज बल्लेबाजों के लिए एक बुरा सपना साबित हुई थी। लेकिन धवन ने यहां ठीक ठाक पदर्शन किया और एक बार फिर से अपनी जगह टीम में बचा ली। एक सवाल जो धवन को लेकर पिछले दिनों से उठ रहा था कि वह बड़ा स्कोर नहीं बना पा रहे उसका जवाब उन्होंने एंटीगुआ में खेले गए पहले टेस्ट मैच में दिया और 84 रन ठोके जो 147 गेंदों में आए। उस टेस्ट मैच में कोहली के साथ शतकीय साझेदारी निभाने वाले शिखर धवन ने यह संदेश दिया कि भले ही वह लगातार रन बनाने में असफल हो रहे हों लेकिन वह रोहित के मुकाबले ज्यादा अच्छी स्थिति में हैं। वर्तमान परिदृश्य को देखते रोहित शायद ही पहले टेस्ट के लिए अंतिम एकादश में जगह बना पाएं। क्योंकि राहुल पहले से ही रनों का अंबार वेस्टइंडीज में लगाकर आए हैं वहीं पुजारा ने दिलीप ट्रॉफी में जबरदस्त प्रदर्शन किया है।
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