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भारत-न्यूजीलैंड के बीच खेले गए 7 ऐतिसाहिक मुकाबले
भारत ने विदेशी धरती पर अपना पहला टेस्ट और पहली टेस्ट सीरीज न्यूजीलैंड के खिलाफ ही जीता था
Written by Jay Jaiswal
Last Published on - September 18, 2016 5:33 PM IST


भारत और न्यूजीलैंड 22 सितंबर को एक बार फिर से आमने सामने होंगे। भारत अपना 500वां टेस्ट खेलेगा। न्यूजीलैंड की टीम भारत के लिए हमेशा महत्वपूर्ण साबित हुई है। भारतीय टीम ने विदेशी धरती पर पहला टेस्ट मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ ही जीता था, तो विदेशी धरती पर पहली सीरीज जीतने का कारनामा भी भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड के खिलाफ ही अंजाम दिया था। भारत और न्यूजीलैंड अब तक टेस्ट क्रिकेट में 54 बार आमना सामना कर चुकी हैं, जिनमें 18 बार भारतीय टीम का पलड़ा भारी रहा है। वैसे तो दोनों टीमों के बीच कई यादगार टेस्ट मैच हुए हैं लेकिन क्रिकेटकंट्री हिंदी आपके लिए उन पलों में भी 7 चुनिंदा पल चुनकर लाया है। आइए जानते हैं इन 7 चुनिंदा पलों के बारे में।
1. मुंबई टेस्ट, 1955(भारत की न्यूजीलैंड पर पहली जीत):
न्यूजीलैंड की टीम पहली बार भारतीय सरजमीं पर दिसंबर 1955 में खेलने आई। हैदराबाद में पहला टेस्ट ड्रॉ कराने के बाद न्यूजीलैंड टीम दूसरा टेस्ट खेलने मुंबई पहुंची। भारत ने इस मैच में न्यूजीलैंड को एक पारी और 27 रनों से हराकर किवी टीम के खिलाफ पहली जीत हासिल की। भारतीय टीम ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। वीनू मांकड़ ने 223 रनों की शानदार पारी खेलकर टीम को 421 रनों का पहाड़ सरीखे स्कोर तक पहुंचा दिया। जवाब में न्यूजीलैंड की टीम सुभाष गुप्ते और जीएस रामचंद के आगे 258 रनों पर सिमट गई और उसे फॉलोआन खेलना पड़ा। गुप्ते ने दूसरी पारी में भी न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों को विकेट पर टिकने का मौका नहीं दिया और दूसरी पारी में 5 विकेट झटक कर किवी टीम को 136 रनों के स्कोर पर समेट दिया। इस तरह न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने दूसरे टेस्ट में ही भारतीय टीम को बड़ी जीत मिली।
2. मद्रास टेस्ट, 1956( वीनू मांकड़ और पंकज रॉय की 413 रनों की साझेदारी और न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली सीरीज जीत):

भारत के अपने पहले ही दौरे पर ही न्यूजीलैंड को चारों खाने चित होना पड़ा। पूरी सीरीज में भारतीय टीम न्यूजीलैंड पर हावी रही। मद्रास(चेन्नई) में खेले गए सीरीज के पांचवे और अंतिम टेस्ट में भारत ने न्यूजीलैंड को पारी और 109 रनों से हराकर न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली बार सीरीज पर कब्जा जमाया। इस मैच को एक अन्य रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है ये है वीनू मांकड़ और पंकज रॉय की पहले विकेट के लिए 413 रनों की साझेदारी। यह साझेदारी उस दौर की सबसे बड़ी ओपनिंग साझेदारी थी। मांकड़ ने इस साझेदारी में 231 रनों का योगदान दिया तो पंकज रॉय ने 173 रनों का योगदान दिया। इन दोनों के शतकों की बदौलत भारत ने पहली पारी में 537 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। जवाब में न्यूजीलैंड की टीम एक बार फिर से सुभाष गुप्ते के स्पिन के जाल में फंस गई और दोनों पारियों में 209 और 219 का स्कोर ही बना पाई। इस तरह भारत ने न्यूजीलैंड को इस टेस्ट में हराकर सीरीज में 2-0 से कब्जा जमाया। [Also Read: भारत बनाम न्यूजीलैंड: क्या लोकेश राहुल बरकरार रख पाएंगे शतकों का सिलसिला?]
3. डूनेडिन टेस्ट, 1968 (विदेशी जमीन पर पहली जीत):

भारतीय टीम को विदेशी धरती पर पहली जीत भी न्यूजीलैंड के खिलाफ ही नसीब हुई। 1968 में डूनेडिन टेस्ट में भारत ने न्यूजीलैंड को 5 विकेट से हराकर विदेशी धरती पर अपनी जीत का खाता खोला था। इस मैच में न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 350 रन का स्कोर खड़ा किया। जिसके जवाब में भारतीय टीम ने अजीत वाडेकर और फारूख इंजीनियर के अर्धशतकों की बदौलत 359 रन बनाकर 9 रनों की बढ़त हासिल की। दूसरी पारी में न्यूजीलैंड की टीम 208 रन ही बना सकी। इरापल्ली प्रसन्ना के 6 विकेट किवी टीम के इस कम स्कोर के लिए जिम्मेदार थे। चौथी पारी में 200 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने वाडेकर के अर्धशतक की बदौलत ये लक्ष्य 5 विकेट खोकर पा लिया। [Also Read: भारत बनाम न्यूजीलैंड: रोहित शर्मा के लिए अंतिम मौका?]
4. ऑकलैंड टेस्ट, 1968( विदेशी धरती पर पहली सीरीज जीत):
1968 में नवाब पटौदी के नेतृत्व में न्यूजीलैंड के दौरे पर गई भारतीय टीम ने इतिहास रचते हुए विदेशी धरती पर अपनी पहली सीरीज जीती। ऑकलैंड में खेले गए चौथे टेस्ट से पहले तक भारतीय टीम सीरीज में 2-1 की बढ़त ले चुकी थी। भारत को ये सीरीज जीतने के लिए इस मैच को जीतना या ड्रॉ कराना था। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम ने 252 रन बनाए जिसके जवाब में किवी टीम प्रसन्ना की शानदार स्पिन के आगे 140 रनों पर ढेर हो गई। दूसरी पारी में भारत ने रूसी सूरती की 99 और चंदू बोर्डे की 65 रनों की पारी के बाद 5 विकेट पर 261 रनों के स्कोर पर पारी घोषित कर न्यूजीलैंड को 374 रनों का लक्ष्य दिया। जवाब में किवी टीम एक बार फिर भारतीय स्पिन के जाल में फंस गई और सिर्फ 101 रनों पर सिमट गई। इस तरह भारत ने ये मैच 272 रनों से जीत कर विदेशी धरती पर अपनी पहली सीरीज जीतने का कारनामा अंजाम दिया। [Also Read: कप्तान के भरोसे के बगैर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं चेतेश्वर पुजारा]
5. हैमिल्टन टेस्ट, 1999( राहुल द्रविड़ ने जमाए दोनों पारियों में शतक):

साल 1999 में खेला गया हैमिल्टन टेस्ट ड्रॉ रहा था लेकिन इस मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया खासकर राहुल द्रविड़ ने। द्रविड़ ने इस टेस्ट की दोनों पारियों में शतक बनाकर एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम किया। दोनों पारियों में शतक जमाने वाले वो तीसरे भारतीय बल्लेबाज बने। इससे पहले विजय हजारे और सुनील गावस्कर ही भारत के लिए ये कारनामा अंजाम दे पाए थे। द्रविड़ ने पहली पारी में शानदार 190 रन बनाए तो दूसरी पारी में भी उन्होंने 103 रनों की तेज पारी खेली। द्रविड़ के अलावा सौरव गांगुली ने भी दूसरी पारी में शानदार शतक जमाया। मैच में शतक बनाने के अलावा 6 विकेट चटकाने वाले न्यूजीलैंड के ऑलराउंडर क्रिस केन्यर्स को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
6. नेपियर टेस्ट, 2009( गौतम गंभीर ने खूंटागाड़ बल्लेबाजी से मैच बचाया):

साल 2009 में खेले गए इस टेस्ट में गौतम गंभीर ने ऐतिहासिक पारी खेलते हुए मैच को न्यूजीलैंड के पाले से खींचकर ड्रॉ कराया था। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड ने जेसी राइडर के दोहरे शतक, रॉस टेलर के 151 रन और ब्रैंडन मैकुलम की 115 रनों की पारी की बदौलत 619 रनों का स्कोर खड़ा किया। जिसके जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में द्रविड़ और लक्ष्मण की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत 305 रन बना सकी और भारत को फॉलोऑन खेलना पड़ा। तीसरे दिन दूसरी पारी खेलने उतरी भारतीय टीम ने पांचवे दिन तक बल्लेबाजी जारी रखते हुए मैच को ड्रॉ कराया। इसके लिए गंभीर की 137 रनों की पारी जिसके लिए उन्होंने 643 मिनट क्रीज पर गुजारा था जिम्मेदार थी। दूसरी पारी में भारतीय टीम ने 180 ओवरों में 4 विकेट खोकर 476 रन बनाए और मैच को ड्रॉ कराया। इस पारी में गंभीर के अलावा लक्ष्मण ने भी शतक बनाते हुए 124 रनों की पारी खेली थी। इसके अलावा द्रविड़ और युवराज सिंह ने अर्धशतकीय पारियां खेली थी।
7. नागपुर टेस्ट, 2010( भारत की न्यूजीलैंड पर सबसे बड़ी जीत):
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भारतीय टीम ने 2010 में नागपुर टेस्ट में टेस्ट क्रिकेट में न्यूजीलैंड के खिलाफ सबसे बड़ी और टेस्ट क्रिकेट की अपनी तीसरी सबसे बड़ी जीत हासिल की। इस मैच में न्यूजीलैंड पहले बल्लेबाजी करते हुए मात्र 193 रनों पर सिमट गई, जबकि भारतीय टीम ने अपनी पहली पारी में द्रविड़ की 191 रनों की पारी की बदौलत 566 रन बनाकर 373 रनों की भारी भरकम लीड हासिल की। न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी दूसरी पारी में भी नाकाम रही और पूरी टीम सिर्फ 175 रनों पर सिमट गई। इस तरह भारत ने इस मैच को एक पारी और 198 रनों से जीता। यह भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास की तीसरी सबसे बड़ी जीत है।