Jay Jaiswal
जय जायसवाल क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर सीनियर राइटर कार्यरत हैं
Written by Jay Jaiswal
Last Updated on - September 18, 2016 1:20 PM IST
क्रिकेट इतिहास में ऐसे बहुत से बल्लेबाज रहे हैं जो क्रिकेट के बड़े प्रारूप में उस तरह की सफलता नहीं बटोर पाए जैसा उन्होंने छोटे प्रारूपों(वनडे और टी20) में बटोरी। अजय जडेजा, युवराज सिंह, सुरेश रैना जैसे कई नाम आपके जेहन में आ जाएंगे। मौजूदा टीम की बात करें तो रोहित शर्मा भी इसी ओर जाते दिख रहे हैं। अपार टैलेंट और शानदार बल्लेबाजी तकनीक के बावजूद भी वो टेस्ट क्रिकेट में खुद को अभी तक साबित नहीं कर पाए हैं, जबकि वनडे क्रिकेट में उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा है। सबको उनमें एक बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज नजर आता है और यही कारण है कि उन्हें लगातार मौका भी दिया जा रहा है। मगर न्यूजीलैंड के खिलाफ शायद उनके लिए खुद को बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज साबित करने का आखिरी मौका भी हो सकता है। ऐसा क्यों हो सकता है आइए जानते हैं।
टेस्ट करियर का लाजवाब आगाज:
6 साल वनडे क्रिकेट खेलने के बाद रोहित ने 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने टेस्ट करियर का आगाज किया। अपने पहले टेस्ट में उनके बल्ले से 177 रनों की पारी निकली तो लोगों को ऐसा लगा जैसे वो वीवीएस लक्ष्मण की जगह भरने के लिए ही आए हैं। वही क्लासिकल शाट, कमाल की टाइमिंग उनको बिल्कुल सही विकल्प भी साबित कर रही थी। अगले टेस्ट में फिर से उन्होंने शानदार शतक बनाते हुए 111 रनों की नाबाद पारी खेली। अब लोगों को यकीन हो गया था कि मिस्टर टैलेंट का सही टैलेंट टेस्ट क्रिकेट में ही देखने को मिलेगा।
तेज पिचों पर सामने आई कमजोरी:
भारतीय सरजमीं पर कमाल का प्रदर्शन करने के वाले रोहित साउथ अफ्रीकी धरती पर एक अलग तरह के बल्लेबाज नजर आए। जिस बल्लेबाज ने अपने पहले 2 टेस्ट में 2 शतक जमाए थे। साउथ अफ्रीका आते हुए फुस्स हो गया। रोहित साउथ अफ्रीका में चार पारियों में कुल 50 रन भी नहीं बना सके। इस दौरे पर उनका सर्वाधिक स्कोर रहा 25 रन और दौरे पर उनका कुल स्कोर रहा 45 रन। इसके बाद भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड का दौरा किया। यहां रोहित का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा लेकिन ये प्रदर्शन रोहित की प्रतिभा के साथ न्याय भी नहीं कर रहा था। रोहित ने इस दौरे पर एक अर्धशतक समेत 4 पारियों में कुल 122 रन बना पाए। इंग्लैंड में भी उनका प्रदर्शन निराश करने वाला रहा, हालांकि इसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उनका प्रदर्शन ठीक ठाक रहा। [Also Read: छक्के लगाकर ही शतक पूरा करते हैं ये दोनों भाई]
एशियाई विकेटों पर भी नहीं चला बल्ला:
साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड की विकेटों पर फ्लॉप रहने के बाद रोहित बांग्लादेश और श्रीलंका में भी कुछ खास नहीं कर सके। यानी वो एशियाई विकेटों पर भी रन बनाने में नाकाम साबित हुए जबकि एशियाई विकेट भारतीय विकेटों से अगल नहीं थे। इसके बाद रोहित साउथ अफ्रीका के खिलाफ भारत में भी फ्लॉप रहे। वेस्टइंडीज में भी उनके बल्ले ने कोई कमाल नहीं दिखाया। [Also Read: कप्तान के भरोसे के बगैर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं चेतेश्वर पुजारा]
अब उठने लगे हैं सवाल:
लगातार फ्लॉप होते रहने के बावजूद रोहित को टीम मैनेजमेंट ने हमेशा मौका दिया। कभी उनको टैलेंटेड बल्लेबाज बता कर टीम में चुना गया तो कभी कप्तान के भरोसे की वजह से रोहित टीम में बने रहे। लेकिन अगर उनके प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो साल 2013 में अपने दूसरे टेस्ट के बाद से वो टेस्ट क्रिकेट में शतक नहीं बना पाए हैं। यानी 16 टेस्ट से उनके बल्ले से कोई तीन अंकों वाली पारी नहीं निकली है। अगर बात करें साल दर साल उनके प्रदर्शन की तो 2013 में अपने 4 टेस्ट मैचों में उन्होंने 66 की औसत से 333 रन बनाए। ये साल उनके टेस्ट करियर का सबसे बेहतरीन साल रहा था, लेकिन रोहित इसके बाद कभी भी टेस्ट क्रिकेट में 26 से ज्यादा की औसत से रन नहीं बना सके। 2014 में उनका औसत 26.33 रहा तो 2015 में वो 25.07 पर आ गया। साल 2016 में अभी तक रोहित का औसत 25.00 है। यानी साल दर साल उनके प्रदर्शन में निखार की जगह गिरावट ही आई है। शायद यही वजह है कि उनको टीम में बनाए रखने के फैसले पर सवाल किया जा रहा है। आखिर कब तक वो टैलेंट के नाम पर टेस्ट टीम में अन्य बल्लेबाजों की जगह घेरते रहेंगे? [Also Read: क्या लोकेश राहुल बरकरार रख पाएंगे शतकों का सिलसिला?]
न्यूजीलैंड दौरा हो सकता है अंतिम मौका:
इतनी नाकामी के बाद भी कप्तान विराट कोहली ने रोहित शर्मा में भरोसा दिखाया है। विराट ने रोहित के लिए टीम के बल्लेबाजी क्रम तक में छेड़छाड़ कर दी और पुजारा जैसे बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज को दरकिनार कर दिया। हालांकि पुजारा का प्रदर्शन भी पहले जैसा नहीं रहा लेकिन अभी भी उनका प्रदर्शन रोहित की तुलना में बहुत अच्छा है। ऐसे में रोहित के लिए शायद ये अंतिम मौका होगा। रोहित इस सीरीज में अच्छा प्रदर्शन कर टीम में खुद की जगह बना सकते हैं, अगर वो ऐसा करने में नाकाम रहे तो उनकी जगह लेने के लिए बहुत से युवा खिलाड़ी तैयार बैठे हैं। इसलिए रोहित को हर हाल में इस सीरीज में अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा। वरना उनके लिए भारतीय टेस्ट टीम के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं।
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