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ON THIS DAY IN 1990 : सचिन के पहले इंटरनेशनल शतक के 30 साल पूरे, ऐसे किया याद

मास्टर ब्लास्टर बोले- पाकिस्तानी गेंदबाज वकार यूनिस का बाउंसर और दर्द में खेलते रहने से मैं मजबूत हुआ

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Updated on - August 14, 2020 2:46 PM IST

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 14 अगस्त 1990 को टेस्ट करियर का पहला शतक लगाया था. 30 साल पहले टेस्ट बचाने वाले शतक को जमाने वाले दिग्गज तेंदुलकर ने बताया कि मैनचेस्टर में खेली गई शतकीय  पारी की नींव पाकिस्तान के खिलाफ सियालकोट में ही पड़ गई थी. तेंदुलकर ने अपने सौ शतकों में से पहला शतक इंग्लैंड के खिलाफ लगायाा था. वह टेस्ट मैच के पांचवें दिन 119 रन बनाकर नाबाद रहे और भारत को हार से बचाया.

उन्होंने अपने पहले शतक की 30वीं सालगिरह पर पीटीआई से कहा,‘मैंने 14 अगस्त को शतक बनाया था और अगला दिन स्वतंत्रता दिवस था तो वह खास था. अखबारों में हेडलाइन अलग थी और उस शतक ने सीरीज को जीवंत बनाए रखा .’

‘टेस्ट बचाने की कला मेरे लिए नई थी’

यह पूछने पर कि वह कैसा महसूस कर रहे थे , उन्होंने कहा ,‘टेस्ट बचाने की कला मेरे लिए नई थी .’उन्होंने हालांकि कहा कि वकार युनूस का बाउंसर लगने के बाद नाक से खून बहने के बावजूद बल्लेबाजी करते रहने पर उन्हें पता चल गया था कि वह मैच बचा सकते हैं.

उन्होंने कहा ,‘सियालकोट में मैंने चोट लगने के बावजूद 57 रन बनाए थे और हमने वह मैच बचाया जबकि चार विकेट 38 रन पर गिर गए थे . वकार का बाउंसर और दर्द में खेलते रहने से मैं मजबूत हो गया.’

मैनचेस्टर टेस्ट में भी डेवोन मैल्कम ने तेंदुलकर को उसी तरह की गेंदबाजी की थी. तेंदुलकर ने कहा ,‘डेवोन और वकार उस समय सबसे तेज गेंदबाज हुआ करते थे. मैंने फिजियो को नहीं बुलाया क्योंकि मैं यह जताना नहीं चाहता था कि मुझे दर्द हो रहा है. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.’

‘आचरेकर सर हमें एक ही पिच पर लगातार 25 दिन तक खेलने को उतारते थे’

उन्होंने कहा ,‘मुझे शिवाजी पार्क में खेलने के दिनों से ही शरीर पर प्रहार झेलने की आदत थी. आचरेकर सर हमें एक ही पिच पर लगातार 25 दिन तक खेलने को उतारते थे जो पूरी तरह टूट फूट चुकी होती थी. ऐसे में गेंद उछलकर शरीर पर आती थी .’

यह पूछने पर कि क्या उन्हें आखिरी घंटे में लगा था कि टीम मैच बचा लेगी, उन्होंने कहा ,‘बिल्कुल नहीं . हम उस समय क्रीज पर आए जब छह विकेट 183 रन पर गिर चुके थे . मैंने और मनोज प्रभाकर ने साथ में कहा कि ये हम कर सकते हैं और हम मैच बचा लेंगे .’

‘तब मैं सिर्फ 17 साल का था’

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उस मैच की किसी खास याद के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘मैं सिर्फ 17 साल का था और मैन ऑफ द मैच पुरस्कार के साथ शैंपेन की बोतल मिली थी. मैं पीता नहीं था और मेरी उम्र भी नहीं थी. मेरे सीनियर साथियों ने पूछा कि इसका क्या करोगे .’ उन्होंने बताया कि उस शतक के बाद उनके साथी खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने उन्हें सफेद कमीज तोहफे में दी थी और वह भावविभोर हो गए थे.