Devbrat Bajpai
देवब्रत वाजपेयी क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ senior correspondent के पद पर कार्यरत हैं
Written by Devbrat Bajpai
Last Published on - February 28, 2016 4:27 PM IST
भारत और पाकिस्तान का बंटवारा साल 1947 में हो गया और इस तरह भारत और पाकिस्तान जो अब तक एक देश थे दो अलग-अलग देश बन गए। पाकिस्तान ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ही सिंध प्रांत के बेहतरीन क्रिकेटरों को इकट्ठा करते हुए एक बेहतरीन राष्ट्रीय क्रिकेट टीम तैयार की। भारत ने पाकिस्तान को टेस्ट दर्जा दिलाने के लिए सिफारिश की और साल 1952 में लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में हुई बैठक में पाकिस्तान को टेस्ट दर्जा प्रदान किया गया। पाकिस्तान ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज भारत के खिलाफ भारतीय सरजमीं पर 1952 में खेली। इस सीरीज में भारत ने पाकिस्तान टीम को 2-1 से हराया। इसके बाद पाकिस्तान ने अपना पहला विदेशी दौरा इंग्लैंड में साल 1954 में किया। इंग्लैंड के साथ खेली गई यह सीरीज 1-1 से बराबर रही। पाकिस्तान ने इस दौरान ओवल में बेहतरीन जीत दर्ज की, जो उस दौर में पाकिस्तान की सबसे बेहतरीन जीत के रूप में याद की जाती है। इस मैच में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज फैजल महमूद ने 12 विकेट लिए थे। पाकिस्तान ने अपनी सरजमीं पर पहला टेस्ट मैच दक्का में साल 1955 में भारत के विरुद्ध खेला। इसके बाद सीरीज के अगले चार मैच भावलपुर, लाहौर, पेशावर और कराची में खेले गए। ये सभी मैच ड्रॉ पर खत्म हुए। इस तरह का वाकया क्रिकेट इतिहास में पहली बार घटा था। ये भी पढ़ें: यह क्रिकेट खिलाड़ी जो भारत-पाकिस्तान दोनों टीमों के लिए खेला
ऑस्ट्रेलिया-एशिया कप में पाकिस्तान की रोमांचक जीत: साल 1986 में ऑस्ट्रेलिया-एशिया कप शारजाह में खेला गया। इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान ने अंतिम गेंद पर भारत के खिलाफ जीत दर्ज की थी और इस जीत के नायक रहे जावेद मियांदाद रातों-रात हीरो बनकर उभरे। मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान को 245 रनों का लक्ष्य दिया। इस तरह पाकिस्तान को मैच जीतने के लिए निर्धारित ओवरों में 4.92 के औसत से रन बनाने थे। जावेद मियांदाद तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान टीम एक निश्चित अंतराल में विकेट गंवाने लगी, लेकिन जावेद मियांदाद ने गजब का धैर्य दिखाया और भारतीय गेंदबाजों का डटकर मुकाबला किया। लेकिन इस बीच पाकिस्तान का आस्किंग रेट बहुत बढ़ गया और अंतिम तीन ओवरों में पाकिस्तान को 31 रन बनाने थे जो लगभग मुश्किल नजर आ रहा था। लेकिन मियांदाद ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार भारतीय गेंदबाजों पर प्रहार किया।
इस तरह मैच की आखिरी गेंद पर 4 रन चाहिए थे। इसी बीच उन्होंने चेतन शर्मा की अंतिम गेंद पर छक्का जड़ते हुए मैच को पाकिस्तान की झोली में डाल दिया। पाकिस्तान की बेहतरीन जीत के चर्चे पूरे विश्व में फैल गए। इस जीत के बारे में जब जावेद मियांदाद से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें लग रहा था कि वह मैच हार सकते हैं लेकिन उन्होंने यह निश्चय किया कि अगर वह हारेंगे तो पूरी इज्जत के साथ हारेंगे। इसी विश्वास ने मियांदाद को जीत दिला दी।
पाकिस्तान ने जीता क्रिकेट विश्व कप: पाकिस्तान ने इस सीरीज जीत के 6 साल बाद आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में जीत दर्ज करके पूरे विश्व को चौंका दिया। इस विश्व कप में पाकिस्तान के फाइनल से ज्यादा उनके न्यूजीलैंड के साथ हुए हाइवोल्टेज सेमी-फाइनल मुकाबले को याद किया जाता है। इस मैच में न्यूजीलैंड ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करते हुए 262 रन बनाए। लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान टीम ने एक निश्चित अंतराल में विकेट गंवाए। पाकिस्तान ने सलीम मलिक और इमरान खान के विकटों को जल्दी-जल्दी गंवा दिया। अभी भी पाकिस्तान को 7.67 के रन रेट से 115 बनाने की दरकार थी और क्रीज पर एक ही जाना माना चेहरा जावेद मियांदाद मौजूद थे। दूसरे छोर पर उनके साथ 22 साल के युवा बल्लेबाज इंजमाम उल हक थे जो उस समय कोई बड़े खिलाड़ी नहीं थे।
इंजमाम ने जिस तरीके की तूफानी बल्लेबाजी इस मैच में की उसने पाकिस्तान टीम को बेहतरीन जीत दिला दी। इंजमाम ने तूफानी 37 गेंदों में 60 रन ठोंके। जब इंजमाम आउट हुए उस समय पाकिस्तान को जीतने के लिए 30 गेंदों में 36 रनों की जरूरत थी। इसके बाद मोर्चा विकेटकीपर बल्लेबाज मोईन खान ने संभाला और अपने लंबे-लंबे छक्कों से न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को दहला दिया और इस तरह पाकिस्तान ने न्यूजीलैंड को सेमीफाइनल में हराते हुए इंग्लैंड को फाइनल में हराया और पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया।
विश्व कप 2007 में जब आयरलैंड से हार बाहर हुआ पाकिस्तान: वेस्टइंडीज में साल 2007 में आयोजित किए गए विश्व कप में पाकिस्तान टीम को गहरा सदमा लगा जब वह नॉकआउट स्टेज में आयरलैंड जैसी छोटी टीम से हारकर बाहर हो गए। इसके बाद टीम के कोच बॉब बूल्मर अपने होटल रूम में मृत पाए गए। वूल्मर की मौत किस कारण से हुई इस गुत्थी का पता नहीं लगाया जा सका। विश्व कप में करारी हार के बाद पाकिस्तान के कप्तान इंजमाम उल हक ने कप्तानी से इस्तीफा दे दिया और साथ ही वनडे क्रिकेट को भी अलविदा कह दिया। पाकिस्तान ने उसी साल खेले गए टी20 विश्व कप में गजब का प्रदर्शन किया। लेकिन फाइनल में भारत के हाथों पाकिस्तान को करीबी हार का सामना करना पड़ा। इस तरहपाकिस्तान पहले टी20 विश्व कप में उप-विजेता रहा।
पाकिस्तान खिलाड़ियों ने जब किया विद्रोह: पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है। साथ ही टीम में इस दौरान खिलाड़ियों के विद्रोह भी कई बार देखे गए हैं। साल 1981 में टीम के 10 खिलाड़ियों ने जावेद मियांदाद की कप्तानी में खेलने से इंकार कर दिया था। इन खिलाड़ियों में इमरान खान, आसिफ इकबाल और माजिद खान शामिल थे। मियांदाद को टीम के विरोध का सामना एक बार फिर से साल 1992 में करना पड़ा जो वसीम अकरम ने रिटायर्ड इमरान खान के समर्थन से किया। खामियाजन मियांदाद की जगह अकरम को टीम का कप्तान बना दिया गया। इसके बाद साल 1993 में अकरम की कप्तानी के दौरान वकार युनुस और मियांदाद ने उनका भारी विरोध किया और उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया। अकरम को फिर से साल 1996 में कप्तान बनाया गया।
साल 2009 में कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने टीम के कप्तान युनुस खान के खिलाफ विद्रोह जताया। खबरों के मुताबिक शोएब मलिक के नेतृत्व में टीम के 8 खिलाड़ी पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक के घर में गए थे जहां उन्होंने कुरान-शरीफ पर हाथ रख कर कसमें खाई थीं कि वह भविष्य में कभी भी युनुस खान की कप्तानी में नहीं खेलेंगे। टीम के माहौल को देखते हुए युनुस ने टीम की कप्तानी को छोड़ दिया और नए कप्तान मोहम्मद युसुफ बने।
ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान युसुफ और टीम के अन्य खिलाड़ियों के बीच मनमुटाव सबके सामने आ गया और बीच दौरे में ही युसुफ ने कप्तानी त्याग दी। टीम के अगले कप्तान शाहिद अफरीदी बने। शोएब मलिक ने टीम की कमान टी20 में संभाली(जब अफरीदी को बॉल टेंपरिंग करने के कारण निलंबितत कर दिया गया)।
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