Devbrat Bajpai
देवब्रत वाजपेयी क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ senior correspondent के पद पर कार्यरत हैं
Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - September 15, 2016 12:50 PM IST
एमएस धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए करीब एक दशक तक विकेटकीपिंग की। धोनी ने जिस अंदाज में विकेटों के पीछे और बतौर सशक्त बल्लेबाज अपनी भूमिका निभाई उनके पहले शायद ही कोई अन्य भारतीय विकेटकीपर ये दोहरी भूमिका निभा पाया। जब धोनी ने साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज के बाद संन्यास लेने की घोषणा की तो उनके उत्तराधिकारी को लेकर सवाल खड़े हुए और इस दौरान चयनकर्ताओं ने कई नामों पर गौर फरमाया जिनमें दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा अनुभव प्राप्त कर चुके विकेटकीपरों के नाम भी थे।
लेकिन चयनकर्ताओं ने अंततः रिद्धिमान साहा पर अपना भरोसा जताया। साहा जिनका प्रथम श्रेणी क्रिकेट में बल्लेबाजी औसत 42.91 का है उन्होंने भारतीय टीम के लिए पहला टेस्ट मैच साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। लेकिन इस मैच में उन्हें बतौर विकेटकीपर नहीं बल्कि बतौर बल्लेबाज खिलाया गया था। इस मैच में साहा पहली पारी में शून्य और दूसरी पारी में 36 रन बनाकर आउट हुए थे। इस मैच के बाद उन्हें भारतीय टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया और साल 2012 में एक बार फिर से उन्हें भारतीय टेस्ट टीम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडीलेड में खेले गए टेस्ट मैच में शामिल किया गया।
एडीलेड में खेले गए इस टेस्ट मैच में साहा पहली बार बतौर विकेटकीपर अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच में उतरे। साहा ने इस मैच में भले ही कुल दो कैच लिए। लेकिन विकटों के पीछे की उनकी चपलता ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा जिसको लेकर वह पहले से ही घरेलू क्रिकेट में खासे चर्चित थे। लेकिन साहा ने एक बार फिर से बल्लेबाजी विभाग में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया। पहली और दूसरी पारी में उन्होंने क्रमशः 35 और 3 रन बनाए। धोनी के ठीक होते ही साहा को फिर से टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। साहा ने तीसरी बार फिर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही साल 2014 में एडीलेड टेस्ट में फिर से वापसी की। इस मैच में भी साहा ने दो कैच लिए।
इस दौरान उन्होंने दोनों पारियों में 25 और 13 रनों की पारी खेली। लेकिन एक मैच के बाद ही उन्हें एक बार फिर से टीम इंडिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लेकिन साहा ने फिर भी हार नहीं मानी और घरेलू क्रिकेट में एक बार फिर से चमकते हुए एम एस धोनी के संन्यास लेने के बाद सिडनी टेस्ट मैच में उन्होंने फिर से वापसी की। साहा ने इस मैच में भी दो कैच मुकम्मल किए। साहा ने इस मैच में पहली पारी में 35 और दूसरी पारी में शून्य रन बनाए। लेकिन इसके बावजूद उनके विकेटकीपिंग कौशल ने ये जता दिया कि वह विकटों के पीछे जरूर एमएस धोनी की कमी पूरी कर सकते हैं।
तबसे ही साहा भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा हैं। साहा ने पिछले एक साल में दो अर्धशतक और एक शतक जड़ा है। साहा हर दिन के साथ निखरते जा रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में ऐसे समय में 104 रनों की पारी खेली जब टीम इंडिया संकट में थी। इसके अलावा उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 40 और 47 रनों की उपयोगी पारियां भी खेलीं। साहा ने वेस्टइंडीज सीरीज में कुल 5 पारियों में 228 रन बनाए। इस दौरान विकटों के पीछे उन्होंने 11 शिकार भी किए हैं। साहा अब तक 15 टेस्ट मैचों में कुल 30 शिकार कर चुके हैं। इनमें उन्होंने 23 कैच लपके हैं और 7 स्टंपिंग की हैं। साहा के प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाएं तो वह बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज शानदार दिखाई देता है। उन्होंने 85 प्रथम श्रेणी मैचों में 4,849 रन बनाने के साथ 231 शिकार किए हैं। इनमें उन्होंने 201 कैच और 30 स्टंपिंग की हैं।
साहा से एक बार फिर से कप्तान विराट कोहली को वैसे ही प्रदर्शन की आस होगी जैसा उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था। वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में साहा ने 7 शिकार किए थे और वेस्टइंडीज की पहली पारी को ढहाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जहां तक टीम इंडिया में टेस्ट मैचों में विकेटकीपर पोजीशन की बात करें तो अभी साहा के रहते हुए शायद ही कोई अन्य विकेटकीपर इस पोजीशन के लिए दावा प्रस्तुत कर पाए। वहीं अगर साहा कुछ मैचों के लिए अनफिट भी हो जाते हैं तो वैकल्पिक तौर पर केएल राहुल उनकी जगह कुछ दिनों के लिए विकेटकीपर की भूमिका निभा सकते हैं। जाहिर तौर पर साहा अपने आपको धोनी के उत्तराधिकारी के तौर पर खरा साबित कर रहे हैं। न्यूजीलैंड सीरीज में वह एक बार फिर से निचले क्रम में भारतीय टीम के अगुआ के रूप में बल्लेबाजी करते नजर आएंगे।
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