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टीम इंडिया के साथ बिताए 7 साल मेरे जीवन के सर्वश्रेष्ठ पल, बुरा प्रदर्शन कोचिंग के लिए मौका: आर. श्रीधर

टीम इंडिया में लंबे सयम तक फील्डिंग कोच रहे आर. श्रीधर का कार्यकाल मुख्य कोच रहे रवि शास्त्री (Ravi Shastri) के कोचिंग कार्यकाल के साथ समाप्त हो गया है. श्रीधर ने 7 साल भारतीय टीम के साथ बतौर फील्डिंग कोच काम किया है. इस दौरान उन्होंने टीम के साथ कई उतार-चढ़ाव भी देखे. अपने इन...

user-circle cricketcountry.com Written by India.com Staff
Last Published on - December 10, 2021 9:29 PM IST

टीम इंडिया में लंबे सयम तक फील्डिंग कोच रहे आर. श्रीधर का कार्यकाल मुख्य कोच रहे रवि शास्त्री (Ravi Shastri) के कोचिंग कार्यकाल के साथ समाप्त हो गया है. श्रीधर ने 7 साल भारतीय टीम के साथ बतौर फील्डिंग कोच काम किया है. इस दौरान उन्होंने टीम के साथ कई उतार-चढ़ाव भी देखे. अपने इन पलों को उन्होंने जीवन के सर्वश्रेष्ठ पल करार दिया और साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि जब टीम ‘बुरे दौर’ से गुजरती है, तब वास्तव में कोचिंग के लिए अद्भुत अवसर होते हैं.

भारतीय टीम के फील्डिंग के स्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभाने वाले कोच ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए विशेष इंटरव्यू में एडिलेड (ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 36 रन पर ऑलआउट) और लीड्स (78 रन पर ऑल आउट) में खराब प्रदर्शन के बारे में कहा, ‘यह सीखने का शानदार मौका था. कोच के रूप में मेरे लिए खराब दिन कोचिंग का शानदार अवसर होता है.’

उन्होंने कहा, ‘कोचिंग के अवसर से मेरा मतलब खिलाड़ियों को समझने, उनके साथ अच्छे संबंध बनाने, आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तकनीकी और मानसिक रूप से प्रशिक्षित करने का अवसर देने के बारे में है. इससे आपको खिलाड़ी और टीम के बारे में पता चलता है. मूल रूप से बुरे दिनों का आपका बर्ताव आपके व्यक्तित्व को बताता है.’

श्रीधर से जब पूछा गया कि क्या उनके तत्कालीन मुख्य कोच रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण से मतभेद होते थे? इस पर उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि सर्वश्रेष्ठ निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सभी कोच के बीच मतभेद होना जरूरी है. हमारे बीच हमेशा मतभेद होते थे चाहे वह मैं, रवि भाई (शास्त्री), भरत सर, हों या पहले संजय (बांगड़) और फिर बाद में विक्रम (राठौड़). लेकिन हम सभी एक ही लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम कर रहे थे.

इसमें कई बार दो लोग सहमत होते हैं, कई बार ऐसा नहीं होता है. हम मुद्दे के अलग-अलग दृष्टिकोण पर बातचीत के बाद वही निर्णय लेते हैं जो भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे उपयुक्त है. हमें ऐसा कभी नहीं लगा कि हमारे विचारों को खारिज कर दिया गया है.’

उन्होंने मुख्य कोच शास्त्री की तारीफ करते हुए कहा, ‘रवि भाई (शास्त्री) को आप कभी भी खेल से जुड़े सुझाव दे सकते हैं और वह उसे खारिज नहीं करेंगे. उनमें नेतृत्व गुण और मानव प्रबंधन का शानदार कौशल है. उनमें टीम के हित में बोर्ड से कोई भी फैसला करवा लेने की क्षमता है. उनका कद बहुत बड़ा था और वह खिलाड़ियों की मानसिकता अच्छे से समझते थे.

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टीम के बड़े खिलाड़ियों से सामंजस्य बैठाने के बारे में उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए सभी खिलाड़ी एक जैसे हैं. हमारे किसी भी खिलाड़ी में अहंकार नहीं है और वे सरल, जमीन से जुड़े इंसान हैं. अगर आप उनसे संवाद करते है तो कोई समस्या नहीं होगी. वे सुझावों का स्वागत करते हैं और खेल की रणनीति के बारे में बातचीत करना चाहते हैं.’