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भारत के लिए विश्व कप खेलना सपने जैसा था: एकता बिष्ट

भारत के लिए विश्व कप खेलना सपने जैसा था: एकता बिष्ट

टीम इंडिया की स्पिनर एकता बचपन में प्लास्टिक की गेंद से अभ्यास किया करती थी।

Updated: July 29, 2017 11:15 AM IST | Edited By: Gunjan Tripathi

इंग्लैंड से विश्व कप अभियान पूरा कर लौटी भारतीय टीम का हर जगह स्वागत किया जा रहा है। कल दिल्ली में आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री विजय गोयल ने टीम इंडिया का सम्मान किया। आज महिला क्रिकेट टीम को जो सम्मान और प्रसिद्धि मिल रही है उस तक पहुंचने का सफर हर एक खिलाड़ी से लिए मुश्किल था। इन्हीं में से एक हैं टीम इंडिया की गेंदबाज एकता बिष्ट। पाकिस्तान के खिलाफ लीग मैच में पांच विकेट लेकर लाइमलाइट में आई एकता के लिए ये विश्व कप किसी सपने से कम नहीं था। उत्तराखंड के अल्मोड़ा की रहने वाली एकता ने बचपन से ही अपने देश के लिए खेलने का सपना देखा था।

इस बारे में बात करते हुए एकता ने कहा, "भारत के लिए खेलना बचपन से ही मेरा सपना था। अपने माता-पिता और भाई के समर्थन से मेरा ये सपना पूरा हो सका है। देश के लिए विश्व कप खेलना मेरे लिए परी कथा जैसा है।" एकता आज मैदान में विपक्षी बल्लेबाजों को विकेट चटकाती हैं लेकिन एक समय ऐसा था जब उनके पास अभ्यास के लिए जरूरी सामान भी नहीं था। एकता बचपन में प्लास्टिक की गेंद से अभ्यास किया करती थी। उन्होंने बताया, "मैने 6 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। तब यहां कोई स्टेडियम भी नहीं था, मुझे छोटी जगहों पर खेलना पड़ता था जिससे चोट भी ज्यादा लगती थी।" [ये भी पढ़ें: भारत बनाम श्रीलंका, गॉल टेस्ट, तीसरा दिन (लाइव ब्लॉग): श्रीलंका 150 के पार, पांच विकेट गिरे]

एकता के भाई भी उनके मदद किया करते थे। भारतीय गेंदबाज ने इस बारे में कहा, "ट्रेनिंग आसान नहीं थी लेकिन मैने अपना ध्यान भटकने नहीं दिया। मेरे भाई ने भी मेरा बहुत साथ दिया। उसके और उसके दोस्तों के साथ खेलना मेरे लिए मजेदार और चुनौतीपूर्ण था।" शुरुआती दिनों में एकता तेज गेंदबाजी किया करती थी लेकिन उनके कोच लियाकत अली खान ने उन्हें स्पिन गेंदबाजी करने की सलाह दी, जो आगे चलकर उनके लिए ही फायदेमंद रहा।

पूर्व स्पिन गेंदबाज नीतू डेविड की प्रशंसक एकता ने कहा कि कप्तान मिताली राज और झूलन गोस्वामी ने भी उनका हौसला बढ़ाया। कता ने कहा, "अगर आप बड़ा टूर्नामेंट खेलने जाते हैं तो नर्वस तो होते ही हैं लेकिन टीम के सीनियर खिलाड़ी झूलू दी (झूलन गोस्वामी), मिताली दी काफी साथ देते हैं। ये लोग ऐसा महसूस नहीं होने देते की आप बड़ा टूर्नामेंट खेल रही हो।"
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