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बंगाल से निकाले गए अशोक डिंडा नई टीम के साथ जबरदस्त वापसी करेंगे

पिछले रणजी ट्रॉफी सीजन के दौरान अनुशासनात्मक कारणों से टूर्नामेंट के बीच टीम से बाहर किए गए थे डिंडा।

user-circle cricketcountry.com Written by Press Trust of India
Last Published on - June 21, 2020 7:35 PM IST

पिछले रणजी ट्रॉफी सीजन के दौरान अनुशासनात्मक कारणों से टूर्नामेंट के बीच टीम से बाहर किए गए तेज गेंदबाज अशोक डिंडा ने खुद को बंगाल क्रिकेट की राजनीति का शिकार करार दिया और कहा कि वो इस सीजन में एक नई टीम के साथ दमदार वापसी करेंगे।

उत्पल चटर्जी के बाद बंगाल की तरफ से सर्वाधिक विकेट लेने वाले डिंडा को गेंदबाजी कोच राणादेब बोस के साथ तीखी झड़प के बाद टीम से बाहर कर दिया गया था। बंगाल ने इस विवाद को पीछे छोड़ते हुए फाइनल में जगह बनाई और उप विजेता रहा।

डिंडा ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उनकी कुछ टीमों के साथ बात चल रही है और वो बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के पास जल्द ही अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिये आवेदन कर देंगे। 116 प्रथम श्रेणी मैचों में 420 विकेट लेने वाले डिंडा ने कहा, ‘‘मैं बंगाल की टीम का हिस्सा नहीं रहूंगा, ये पक्का है। ये फैसला मैंने पिछले सीजन में ही कर दिया था। ये मेरा निजी मसला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा कि (अभिनेता) सुशांत सिंह राजपूत किस दौर से गुजरे थे। सब जगह यही हाल है लेकिन मैं मानसिक रूप से मजबूत हूं और किसी की वजह से मैं टूट नहीं सकता। मैं किसी अन्य राज्य की तरफ से खेलूंगा। मेरी कुछ टीमों से चर्चा चल रही है लेकिन मैंने अभी फैसला नहीं किया है कि अगले सीजन में मैं किस टीम का प्रतिनिधित्व करूंगा।’’

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डिंडा पर बंगाल के गेंदबाजी कोच बोस के लिए अपशब्दों का उपयोग करने का आरोप है। बोस बंगाल के पूर्व तेज गेंदबाज हैं जिन्होंने 91 मैचों में 317 विकेट लिए। डिंडा ने माफी मांगने से इंकार कर दिया और उन पर टीम के अंदर मतभेद पैदा करने का आरोप भी लगाया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस कोचिंग स्टाफ के साथ यहां खेलने से खुश नहीं हूं। मेरे साथ जिस तरह से व्यवहार किया गया। मुझे कुछ नहीं कहना है। मैंने उनके लिये अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और अब मेरा कोई उपयोग नहीं है। यह दुनिया स्वार्थी है। ’’

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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे निश्चित तौर पर घरेलू टीम की कमी खलेगी। मुझे पिछले साल भी उसकी कमी खली थी। लेकिन मेरे अपने पूर्व साथियों के साथ अच्छे संबंध हैं। (कैब अध्यक्ष) अविषेक (डालमिया) का व्यवहार मित्रतापूर्ण है और वह अच्छे व्यक्ति हैं। कभी कभी मैं दादा (सौरव गांगुली) से भी बात करता हूं। ’’