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पूर्व कप्तान ने की डीआरएस में बदलाव की मांग, कहा- ये खिलाड़ियों का विरोध बढ़ाता है

ऑस्ट्रेलिया टीम के पूर्व कप्तान इयान चैपल ने इंग्लैंड-वेस्टइंडीज सीरीज के दौरान तीन रीव्यू दिए जाने की आलोचना की।

user-circle cricketcountry.com Written by India.com Staff
Last Published on - July 19, 2020 12:09 PM IST

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल (Ian Chappell) ने डीआरएस में आमूलचूल बदलाव की मांग की है। इस दिग्गज का कहना है कि ये नियम खिलाड़ियों के विरोध को बढ़ावा देता है।

कोरोना वायरस के दौरान इंग्लैंड-वेस्टइंडीज के बीच खेली जा रही एकमात्र टेस्ट सीरीज में नए नियम लागू किए गए है, जिसके तहत दोनों टीमों को एक अतिरिक्त रीव्यू दिया गया है। यानि कि अब दोनों टीमों के पास एक पारी में तीन रिव्यू होंगे।

चैपल ने ईएसपीएनक्रिकइंफो पर अपने कॉलम में लिखा, ‘‘अंपायर हमेशा सही होता है और युवा क्रिकेटर को जो सबक सबसे पहले सिखाया जाता है वो ये है कि आप उसके फैसले पर बहस नहीं करेंगे। अनुशासन और आत्मनियंत्रण की ये सराहनीय प्रक्रिया अब मान्य नहीं है क्योंकि डीआरएस को लागू किए जाने से खिलाड़ियों के विरोध के एक तरीके को बढ़ावा दिया जा रहा है।’’

ऑस्ट्रेलिया के लिए 75 टेस्ट में 5345 रन बनाने वाले 76 साल के चैपल ने इंग्लैंड में मौजूदा सीरीज का उदाहरण दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच पहले टेस्ट के दूसरे दिन की शुरुआते में तीन फैसले बदले जाने के बाद अंपायर रिचर्ड कैटलब्रो के चेहरे पर घृणा के भाव फिलहाल इस प्रणाली को लेकर उनकी सोच का सबूत है।’’

चैपल ने 2008 में पहली बार इस्तेमाल की गई इस तकनीक के संदर्भ में कहा, ‘‘मेरी सहानुभूति कैटलब्रो के साथ है जो अंतरराष्ट्रीय पैनल में बेहतर अंपायरों में से एक हैं और महामारी के समय में तीसरा रिव्यू दिया जाना संकेत है कि इस प्रणाली से हेरफेर की गई है।’’

चैपल ने कहा कि खिलाड़ियों को कभी फैसला लेने की प्रणाली का हिस्सा बनने की स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने लिखा, ‘‘ऐसा समय था जब बीसीसीआई को डीआरएस पर भरोसा नहीं था। मैं अब बीसीसीआई के साथ नहीं हूं क्योंकि अब भी मुझे डीआरएस पर अधिक भरोसा नहीं है।”

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चैपल ने लिखा, ‘‘शुरू से ही डीआरएस अंपायरों के हाथ में होना चाहिए था, खिलाड़ियों को फैसला करने की प्रणाली का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। डीआरएस से जुड़े उपकरणों और कर्मचारियों पर क्रिकेट अधिकारियों का नियंत्रण होना चाहिए, टेलीविजन प्रोडक्शन कंपनी का नहीं।’’