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पूर्व इंग्लिश कप्तान ने माना- अच्छे बैकग्राउंड की वजह से नहीं झेलना पड़ा ज्यादा नस्लवाद

नासिर हुसैन ने कहा कि श्वेत, मध्यवर्गीय परिवार से होने की वजह से उन्हें ज्यादा नस्लवाद नहीं झेलना पड़ा।

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Published on - November 6, 2020 12:37 PM IST

पूर्व इंग्लिश कप्तान नासिर हुसैन का कहना है कि वो खुश्किस्मत थे जो उनकी परवरिश एक इंग्लिश मध्यवर्गीय परिवार में हुई, जिस कारण उन्हें इंग्लैंड में क्लब क्रिकेट खेलने के दौरान नस्लवाद का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ा।

पाकपैशन से बातचीत में हुसैन ने कहा, “एसेक्स में मुझे बहुत कम नस्लवाद का सामना करना पड़ा। भारत में पैदा हुए, इलफ़र्ड के पले-बढ़े और हुसैन उपनाम और नासिर नाम होने की वजह से मुझे लोगों की अज्ञानता की वजह से कुछ बातें सुननी पड़ी थी।”

नासिर ने कहा कि एसेक्स जैसे बहु-सांस्कृतिक क्लब ने सुनिश्चित किया कि उन्होंने कम से कम नस्लवाद का अनुभव करना पड़े। उन्होंने कहा, “मैं खुशकिस्मत था कि एसेक्स जैसे क्लब के लिए खेला जहां मध्यक्रम में नदीम शाहीद, सलीम मलिक और मुझ जैसे खिलाड़ी थे।”

उन्होंने बताया, “इलफर्ड में जहां मैं अपने पिता के साथ रहता था, हमारा काउंटी काफी बहु-सांस्कृतिक था और उनका क्रिकेट स्कूल जहां हमारे पास ब्रिटिश-वेस्ट इंडियन नेट था, ब्रिटिश-इंडियन नेट था और ब्रिटिश-पाकिस्तानी नेट था और जब भारत-पाकिस्तान टीमें खेलती थी या पाकिस्तान वेस्टइंडीज से हारती थो तो हम एक दूसरे का मजाक उड़ाते थे। ये बेहद शानदार बैंटर था और ये मजेदार था।”

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इतना कहने के बाद हुसैन ने ये भी स्वीकार किया कि एक श्वेत मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से आने के कारण वो काफी खुशकिस्मत रहे।

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उन्होंने कहा, “मैं उस बहु-सांस्कृतिक माहौल में बड़ा हुआ और मैं बहुत भाग्यशाली था। लेकिन मैं समझता हूं कि मैं एक श्वेत, मध्यम वर्ग, पब्लिक स्कूल का शिक्षित लड़का था, इसलिए मैं खुद की बराबरी उन ब्रिटिश एशियाई लोगों से नहीं कर सकता, जो ब्रिटेन के दूसरे हिस्सों में बड़े हुए हैं।”