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ऊंची उड़ान के बाद, पिछला साल मुझे वापस जमीन पर ले आया: करुण नायर

टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाने के बाद नायर लबे समय से टीम इंडिया से बाहर हैं।

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Updated on - February 21, 2018 5:35 PM IST

एक समय भारतीय क्रिकेट के उभरते युवा खिलाड़ियों में शामिल करूण नायर काफी लंबे समय से टीम इंडिया के साथ साथ लाइम लाइट से भी बाहर चल रहे हैं। नायर का कहना है कि पिछले एक साल में उन्हें अनुभव हो गया कि खेल में कितना उतार चढ़ाव आ सकता है। दिसंबर 2016 में टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक जड़कर सुर्खियों में आए नायर को दिसंबर 2017 तक किसी भी फॉर्मेट के लिए भारतीय टीम में शामिल नहीं किया गया।

तिहरे शतक के बाद के करियर और जिंदगी बारे में पूछने पर नायर ने कहा, ‘‘पिछले एक साल ने मुझे सब कुछ दिखा दिया है। पहले ये मुझे आसमान पर ले गया और फिर धरती पर पटक दिया। इसने मुझे सिखाया कि कैसे आप भावनात्मक रूप से स्थिर रहें। जब आप शीर्ष पर हो तो ऊंचे नहीं उड़ सकते क्योंकि आप कभी भी नीचे गिर सकते हो। आपको साधारण व्यक्ति की तरह ही रहना होगा। एक साल में ही इसने मुझे मेरे जीवन में सब कुछ दिखा दिया।’’

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नायर कर्नाटक के लिए अलग-अलग टूर्नामेंट में खेले पिछले 10 मैचों में नायर ने 352 रन बनाए हैं, जिसमें दो शतक और एक अर्धशतक शामिल है। आमतौर पर मध्य क्रम में बल्लेबाजी करने वाले नायर के लिए टीम इंडिया में जगह बनाना फिलहाल काफी मुश्किल है, क्योंकि भारतीय टीम में पहले ही मध्य क्रम के लिए कई विकल्प मौजूद हैं।

नायर ने अपने बयान में खुलकर बताया कि खराब फॉर्म से गुजरते समय वो काफी परेशान थे। उन्होंने कहा, “ये निराशाजनक था, में अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था लेकिन सही शुरुआत को बड़े स्कोर में नहीं बदल पा रहा था। इससे मैं और निराश होता चला गया और इससे बाहर आने में मुझे काफी समय लग गया। लेकिन मैने बैठकर ये सोचना शुरू किया कि आखिर मैने ये खेल क्यों चुना था। मैने अलग नजरिए से इस तरफ देखना शुरू किया और इससे मुझे काफी मदद मिली।”

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नायर की नजरें अब चोटिल आर विनय कुमार की गैरमौजूदगी में कर्नाटक को विजय हजारे ट्रॉफी का खिताब दिलाने पर टिकी हैं। विनय कुमार की गैरमौजूदगी में कर्नाटक की कप्तानी करने के बारे में बात करते हुए नायर ने कहा, “मुझे जब भी कप्तानी का मौका मिला है, मैने इसका फायदा उठाया है। जब विनय कप्तान थे, तब भी मैं अपनी सलाह उन्हें देता रहता था। मेरा हिसाब सीधा है, जब मैं बल्लेबाजी करता हूं तो मैं केवल बल्लेबाज हूं, कप्तान नहीं। जब मैं फील्डिंग करता हूं तो मैं कप्तान हूं। मेरा सबसे जरूरी लक्ष्य कल का मैच जीतना है। एक समय पर एक मैच पर ध्यान लगाना है।” कर्नाटक टीम कल क्वार्टर फाइनल में हैदराबाद से दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर भिड़ेगी।