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झारखंड के विद्यार्थी पढेंगे धोनी के बारे में

नई पाठ्यपुस्तकों में बछेंद्री पाल और प्रेमलता अग्रवाल पर भी अध्याय होंगे।

user-circle cricketcountry.com Written by Indo-Asian News Service
Last Published on - January 16, 2016 1:12 PM IST

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी © Getty Images
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी © Getty Images

झारखंड के विद्यार्थी जल्द ही अपने पाठ्यक्रम में राज्य की खेल हस्तियों क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी, निशानेबाज दीपिका कुमारी और पूर्व हाकी कप्तान जयपाल सिंह मुंडा के बारे में पढ़ेंगे। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। कक्षा दो से लेकर आठ तक के बच्चों के पाठ्यक्रम में इन हस्तियों को शामिल किया गया है। इसे नए शैक्षिक सत्र से शुरू किया जाएगा। जयपाल सिंह मुंडा 1928 में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हाकी टीम के कप्तान थे। बाद में उन्होंने आदिवासी महासभा बनाई थी। ये भी पढ़ें: भारत बनेगा अंडर 19 विश्व कप का विजेता: सरफराज

नई पाठ्यपुस्तकों में बछेंद्री पाल और प्रेमलता अग्रवाल पर भी अध्याय होंगे। जमशेदपुर निवासी प्रेमलता पहली ऐसी भारतीय महिला हैं जिन्होंने सातों महाद्वीपों में सर्वोच्च पर्वत शिखरों पर चढ़ाई की है। इनमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है। प्रेमलता ने 2011 में 48 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। प्रेमलता ने आईएएनएस से कहा, “आधिकारिक रूप से हमें कोई सूचना नहीं मिली है। अगर यह सच है तो यह मेरे लिए बेहद खुशी की बात है कि हमारे राज्य के विद्यार्थी मेरे बारे में पढ़ेंगे।” ये भी पढ़ें: जानें दक्षिण अफ्रीका बनाम इंग्लैंड के दूसरे टेस्ट मैच का रिपोर्ट

पाठ्यपुस्तकों में स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा, सिड्डो, कान्हू और अन्य नायकों के बारे में भी अध्याय होंगे। झारखंड की स्थापना 15 नवंबर, 2000 को बिरसा मुंडा की जयंती पर हुई थी। किताबों में राज्य की नदियों, झरनों और देवघर के शिव मंदिर जैसे धार्मिक स्थानों का भी जिक्र होगा। देवघर का शिव मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक है। ये भी पढ़ें: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया तीसरा एकदिवसीय प्रिव्यू: तीसरे एकदिवसीय में जीत के लिए बेकरार भारत

पाठ्यक्रम को बनाने में शामिल एक वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “खिलाड़ियों, पवर्तारोहियों, स्वतंत्रता सेनानियों, धार्मिक स्थानों, नदियों, झरनों की जानकारी विद्यार्थियों को देने का मकसद उन्हें राज्य के इतिहास और भूगोल से परिचित कराना है।”

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उन्होंने कहा, “अतीत में खिलाड़ियों के योगदान को उचित स्थान नहीं दिया गया। मकसद केवल हस्तियों या जगहों के बारे में जागरूकता फैलाना ही नहीं है, बल्कि झारखंड के विद्यार्थियों में गर्व की भावना भी पैदा करना है।”