Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Published on - December 22, 2016 12:46 PM IST
चेन्नई टेस्ट मैच में तिहरा शतक जड़ने वाले करुण नायर ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा। अजिंक्य रहाणे की जगह टीम में शामिल किए गए करुण नायर ने मौके का पूरा फायदा उठाया और तिहरा शतक लगा दिया। नायर की पारी ने चयनकर्ताओं के उन्हें टीम में शामिल करने के फैसले के साथ न्याय किया। भारतीय टीम के मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का नायर की प्रतिभा पर पूरा भरोसा था और हुआ भी ऐसा ही। नायर ने प्रसाद के भरोसे को ज़ाया नहीं जाने दिया और वीरेंद्र सहवाग के बाद तिहरा शतक लगाने वाले दूसरे भारतीय बन गए।
प्रसाद ने कहा, ‘हमें नायर की प्रतिभा पर पूरा भरोसा था, हमें इस बात का भी पूरा भरोसा था कि वह मैच जिताऊ खिलाड़ी है। सबसे पहले हमें युवाओं का प्रतिभा पर भरोसा करना होगा, हमें ये सोचना होगा कि युवा खिलाड़ी टीम में जगह पाने के हकदार हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वो बड़ा योगदान दे सकते हैं।’ नायर ने इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें और आखिरी टेस्ट मैच में 303 रनों की नाबाद पारी खेली थी और सहवाग के बाद तिहरा शतक लगाने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने थे। अपने करियर में 6 टेस्ट और 17 वनडे खेलने वाले एमएसके प्रसाद का मानना है कि किसी भी प्रतिभावान खिलाड़ी को जो भारत की जर्सी पहनने की काबिलीयत रखता हो उसे तब तक बाहर नहीं करना चाहिए जब तक उसे अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका ना मिला हो। ये भी पढ़ें: वनडे क्रिकेट में जब 425 रन बनाने के बाद भी 20 रनों से हार गई टीम
प्रसाद ने कहा कि क्रिकेट में कुछ मैचों में बेहतर ना खेल पाना आम बात है। किसी भी खिलाड़ी से ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वह पहले दिन से ही रन बनाए। आप सिर्फ एक मैच के प्रदर्शन के आधार पर ना तो खिलाड़ी को टीम में चुन सकते हैं और ना ही उसे टीम से बाहर कर सकते हैं। ऐसा करना उस खिलाड़ी के विश्वास को डगमगाना जैसा है। हमें ये समझना होगा कि एक-एक खिलाड़ी को मिलाकर ही टीम बनती है और टीम अच्छा तभी करती है जब हर खिलाड़ी पूरे आत्मविश्वास के साथ मैदान पर उतरे।
नायर ने बहुत ही कम मैचों में बेहतरीन खेल दिखाकर चयनकर्ताओं के सामने एक चुनौती पेश कर दी है, साथ ही उन्होंने अजिंक्य रहाणे के लिए भी मुश्किलें पैदा कर दीं हैं। ऐसे में रहाणे के फिट होने पर चयनकर्ताओं को काफी मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ा सकता है। ऐसे में प्रसाद ने कहा कि टीम में प्रतिस्पर्धा होना टीम के लिए काफी अच्छा है, लेकिन हर किसी को ये समझना होगा कि टीम में सिर्फ 11 खिलाड़ी ही खेल सकते हैं और हम हमेशा सशक्त 11 को ही मैदान पर उतारते हैं। विराट कोहली की कप्तानी में टीम ठीक वैसा ही क्रिकेट खेल रही है जैसे 1993 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी और 2000 में सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम खेल रही है। खिलाड़ियों के अंदर मैच जीतने की भूख है और चेन्नई में टीम ने जिस तरह का प्रदर्शन किया वो वाकई काबिलेतारीफ है।
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