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गौतम गंभीर के कहने पर टीम इंडिया के साथ दक्षिण अफ्रीका नहीं जा रहे हैं नवदीप सैनी

बंगाल के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में 7 विकेट लेकर नवदीप सैनी ने दिल्ली को रणजी ट्रॉफी फाइनल मैच में पहुंचाया।

user-circle cricketcountry.com Written by Press Trust of India
Last Updated on - December 20, 2017 1:18 PM IST

रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में बंगाल की बल्लेबाजी को तहस नहस करने के बाद दिल्ली के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी का कहना है कि उनकी ‘जिंदगी और सफलता’ पूर्व कप्तान गौतम गंभीर की दी हुई है। इस युवा तेज गेंदबाज की घातक गेंदबाजी के दम पर दिल्ली ने बंगाल को पारी और 26 रन से हराकर रणजी ट्रॉफी फाइनल में जगह बनाई। सैनी ने कहा, ‘‘मैं अपनी जिंदगी और सफलता गौतम गंभीर को समर्पित करता हूं। मैं तो कुछ भी नहीं था और गौतम भैया ने मेरे लिए सब कुछ किया।’’

गंभीर के कहने पर नहीं जा रहे हैं दक्षिण अफ्रीका

वह गंभीर ही थे जिन्होंने सैनी को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शुरूआती मौका दिया। इस तेज गेंदबाज को नेट गेंदबाज के रूप में दक्षिण अफ्रीका जाना था लेकिन अब उनकी जगह उत्तर प्रदेश के अंकित राजपूत को भेजा जा रहा है। सैनी ने कहा, ‘‘मैं दक्षिण अफ्रीका जाने को लेकर खुश था लेकिन मैंने गौतम भैया से पूछा। उन्होंने कहा कि दिल्ली को अभी सेमीफाइनल में तुम्हारी जरूरत है और अगर तुम अच्छा प्रदर्शन करते हो तो अपने आप ही भारतीय ड्रेसिंग रूम में पहुंच जाओगे। मैंने इसके बाद इस पर दोबारा विचार नहीं किया।’’

टेनिस टूर्नामेंट से हुई थी शुरुआत

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वह 2013-14 का सत्र था जब दिल्ली के पूर्व क्रिकेटर सुमित नारवाल ने करनाल के एक गेंदबाज को टेनिस बॉल टूर्नामेंट में यॉर्कर करते हुए देखा। सैनी को तब एक मैच के लिये 200 रूपये मिलते थे। नारवाल ने दिल्ली के तत्कालीन कप्तान गंभीर को इस गेंदबाज के बारे में बताया और उसे नेट पर आजमाने के लिए कहा। गंभीर ने जो नेट पर देखा वो हरियाणा के खिलाड़ी को दिल्ली की टीम में लेने के लिए डीडीसीए के उपाध्यक्ष चेतन चौहान के साथ बहस के लिए पर्याप्त था। सैनी ने उस दौर को याद किया जब डीडीसीए अधिकारियों ने उन्हें बाहर करने के लिये पर्चे तक बांटे थे। उन्होंने कहा, ‘‘गौतम भैया, आशीष भैया (नेहरा), मिथुन मन्हास ने मेरा साथ दिया था। उन्होंने कहा कि जो कुछ हो रहा है उससे मुझे परेशान नहीं होना चाहिए। हम उसे देख लेंगे, तुम केवल गेंदबाजी करो।’’ सैनी के पिता हरियाणा सरकार में ड्राइवर थे।

मुश्किल भरी थी करियर की शुरुआत

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उन्होंने कहा, ‘‘शुरूआती दिन काफी मुश्किल भरे थे लेकिन अब इसमें कुछ बदलाव आ गया है। मैं कोटला मुबारकपुर में अपने दोस्तों के साथ किराए के मकान में रहता हूं। मैं अब भी वोल्वो बस से अपने घर जाता हूं। मैंने कार नहीं खरीदी है।’’ उनके दादा करम सिंह सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में ड्राइवर थे। सैनी ने कहा, ‘‘दादाजी लगभग 100 साल के हैं। वो नेताजी के साथ जापान गए थे। मैंने कई बार उनसे इसके किस्से सुने हैं। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं और जब मेरा मैच टीवी पर आ रहा होता है तो वो हमेशा देखते हैं। उन्होंने आज भी मुझे गेंदबाजी करते हुए देखा।’’