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मैंने आत्महत्या करने की सोच लिया था, लगा बालकनी से कूद जाऊंगा : रॉबिन उथप्पा

राजस्‍थान रॉयल्‍स ने रॉबिन उथप्‍पा को तीन करोड़ रुपये में अपनी टीम में शामिल किया है।

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Published on - June 4, 2020 2:28 PM IST

भारत की 2007 टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2007) विजेता टीम के अहम सदस्य रहे रॉबिन उथप्पा (Robin Uthappa) ने बताया कि अपने कैरियर में वह दो साल तक अवसाद और आत्महत्या के ख्यालों से जूझते रहे जब क्रिकेट ही एकमात्र वजह थी जिसने उन्हें ‘बालकनी से कूदने’ से रोका।

भारत के लिये 46 वनडे और 13 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके रॉबिन उथप्पा (Robin Uthappa) को इस साल आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने तीन करोड़ रूपये में खरीदा था। कोरोना वायरस महामारी के कारण आईपीएल स्थगित कर दिया गया है।

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उथप्पा ने रॉयल राजस्थान फाउंडेशन के लाइव सत्र ‘ माइंड , बॉडी एंड सोल’ में कहा ,‘‘ मुझे याद है 2009 से 2011 के बीच यह लगातार हो रहा था और मुझे रोज इसका सामना करना पड़ता था। मैं उस समय क्रिकेट के बारे में सोच भी नहीं रहा था।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मैं सोचता था कि इस दिन कैसे रहूंगा और अगला दिन कैसा होगा , मेरे जीवन में क्या हो रहा है और मैं किस दिशा में आगे जा रहा हूं। क्रिकेट ने इन बातों को मेरे जेहन से निकाला। मैच से इतर दिनों या ऑफ सीजन में बड़ी दिक्कत होती थी।’’

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उथप्पा ने कहा ,‘‘ मैं उन दिनों में इधर उधर बैठकर यही सोचता रहता था कि मैं दौड़कर जाऊं और बालकनी से कूद जाऊं लेकिन किसी चीज ने मुझे रोके रखा।’’

उथप्पा ने कहा कि इस समय उन्होंने डायरी लिखना शुरू की। ‘‘ मैंने एक इंसान के तौर पर खुद को समझने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद बाहरी मदद ली ताकि अपने जीवन में बदलाव ला सकूं।’’

इसके बाद वह दौर था जब ऑस्ट्रेलिया में भारत ए की कप्तानी के बावजूद वह भारतीय टीम में नहीं चुने गए। उन्होंने कहा, ‘‘ पता नहीं क्यो , मैं कितनी भी मेहनत कर रहा था लेकिन रन नहीं बन रहे थे। मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि मेरे साथ कोई समस्या है। हम कई बार स्वीकार नहीं करना चाहते कि कोई मानसिक परेशानी है।’’

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इसके बाद 2014 – 15 रणजी सीजन में उथप्पा ने सर्वाधिक रन बनाये। उन्होंने अभी क्रिकेट को अलविदा नहीं कहा है लेकिन उनका कहना है कि अपने जीवन के बुरे दौर का जिस तरह उन्होंने सामना किया, उन्हें कोई खेद नहीं है।

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‘‘मुझे अपने नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं है क्योंकि इससे मुझे सकारात्मकता महसूस करने में मदद मिली। नकारात्मक चीजों का सामना करके ही आप सकारात्मकता में खुश हो सकते हैं।’’