Devbrat Bajpai
देवब्रत वाजपेयी क्रिकेटकंट्री हिंदी के साथ senior correspondent के पद पर कार्यरत हैं
Written by Devbrat Bajpai
Last Updated on - January 2, 2017 12:51 PM IST
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाने के निर्देश दिए हैं। उनके अलावा बीसीसीआई के सचिव अजय शिर्के को भी उनके पद से हटाने के निर्देश दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट दो हफ्तों में बीसीसीआई का नया पर्यवेक्षक नियुक्त करेगा। तब तक, बीसीसीआई के दो वरिष्ठ वाईस- प्रेज़ीडेंट बोर्ड के कार्य- भार को संभालेंगे। यह माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट के जज टीएस ठाकुर पूर्व यूनियन होम सेक्रेटरी जीके पिल्लई को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त कर सकते हैं। लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई में उच्च पदों पर नियुक्त कर्मचारियों को हटाने के लिए व जीके पिल्लई को नियुक्त करने के लिए स्टेटस रिपोर्ट में जिक्र किया था। पिछली सुनवाई में एमिकस न्यायमित्र और सीनियर लॉयर गोपाल सुब्रमण्यम ने पिल्लई, पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय और पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ के नाम की अनुशंसा की थी।
एएनआई के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुलाई 18, 2016 के ऑर्डर के मुताबिक ये दोनों अधिकारी(अनुराग और अजय शिर्के) ने ऑर्डर को नहीं माना और यही कारण रहा कि इन्हें पद से हटाया गया। कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई और स्टेट बोर्ड ने उसके द्वारा दिए गए ऑर्डर को क्रिकेट बॉडी में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए लागू नहीं किया।”
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने ठाकुर को चेतावनी देते हुए कहा था कि झूठी गवाही के लिए बोर्ड अध्यक्ष को सजा क्यों नहीं दी जाए। अनुराग पर आरोप था कि उन्होंने कोर्ट से झूठ बोला और सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश की। हालांकि ठाकुर ने इन आरोपों से इंकार किया था। मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर जस्टिस लोढ़ा ने कहा, “यह तो होना ही था। अब जाकर हुआ है। हमने सुप्रीम कोर्ट में तीन रिपोर्ट फाइल की थीं। इसके बावजूद इन्हें लागू नहीं किया गया।’ उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश दूसरे खेल संघों के लिए एक नजीर की तरह होना चाहिए। यह क्रिकेट की जीत है। प्रशासक आएंगे और जाएंगे, पर इस फैसले से क्रिकेट का भला होगा।”
गौरतलब है कि क्रिकेट में पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई को विभिन्न सुझाव लागू करने के लिए कहा था। लेकिन कई मीटिगों के बाद भी बीसीसीआई बीसीसीआई सुझावों को लागू करने में आनाकानी करता रहा।
This is a revolution the kind of which I haven’t seen in all the years I have followed Indian cricket. Await the calm beyond the storm.
— Harsha Bhogle (@bhogleharsha) January 2, 2017
This is the ICC’s best chance at independence. https://t.co/xghRBOesT9
— Jarrod Kimber (@ajarrodkimber) January 2, 2017
बीसीसीआई की सिफारिशें निम्न हैं।
1. कमेटी की पहली सिफारिश में कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता।
2. लोढ़ा समिति का सबसे अहम सुझाव है कि एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा।
3. आईपीएल और बीसीसीआई के लिए अलग-अलग गवर्निंग काउंसिल हों। इसके अलावा समिति ने आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को सीमित अधिकार दिए जाने का भी सुझाव दिया है।
4. समिति ने बीसीसीआई पदाधिकारियों के चयन के लिए मानकों का भी सुझाव दिया है। उनका कहना है कि उन्हें मंत्री या सरकारी अधिकारी नहीं होना 5. चाहिए, और वे नौ साल अथवा तीन कार्यकाल तक बीसीसीआई के किसी भी पद पर न रहे हों।
6. लोढ़ा कमेटी का यह भी सुझाव है कि बीसीसीआई के किसी भी पदाधिकारी को लगातार दो से ज़्यादा कार्यकाल नहीं दिए जाने चाहिए।
7. लोढ़ा समिति की रिपोर्ट में खिलाड़ियों के एसोसिएशन के गठन तथा स्थापना का भी प्रस्ताव है।
8. समिति का सुझाव है कि बीसीसीआई को सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में लाया जाना चाहिए।
9. समिति के मुताबिक, बीसीसीआई के क्रिकेट से जुड़े मामलों का निपटारा पूर्व खिलाड़ियों को ही करना चाहिए, जबकि गैर-क्रिकेटीय मसलों पर फैसले छह सहायक प्रबंधकों तथा दो समितियों की मदद से सीईओ करेंगे।
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