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बॉलीवुड में नहीं बल्कि क्रिकेट में ज्यादा दिलचस्पी रखते थे विनोद खन्ना

दिलचस्प बात ये है कि खन्ना ने 1970 के दशक में कई फिल्म स्टार्स क्रिकेट मैचों में भाग लिया था। इस दौरान उन्होंने एक बल्लेबाज की भूमिका निभाई थी।

user-circle cricketcountry.com Written by Devbrat Bajpai
Last Published on - April 28, 2017 11:16 AM IST

विनोद खन्ना, Photo courtesy: India.com archive
विनोद खन्ना, Photo courtesy: India.com archive

बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता विनोद खन्ना का गुरुवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित चल रहे थे। बॉलीवुड की कई जानी- मानी फिल्मों में काम करने वाले विनोद खन्ना की सबसे ज्यादा दिलचस्पी बॉलीवुड में नहीं बल्कि क्रिकेट में थी। इस बात का खुलासा इस दिग्गज अभिनेता के देहावसान के एक दिन बाद हुआ है। खन्ना ने ओशो का भक्त बनने के लिए अपना फिल्म करियर उस वक्त छोड़ दिया था जब वह चरम पर थे। इसके बाद वह दूसरी पारी के लिए इंडस्ट्री में एक बार फिर से लौटे। कुछ फिल्में करने के बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गए। वह बीजेपी की ओर से चार बार सांसद बने। मौजूदा समय में खन्ना पंजाब की गुरदासपुर सीट से सांसद हैं।

मिड- डे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक खन्ना ने 10 जून 1979 को इंडिया वर्ल्ड कप स्पेशल इलेस्ट्रेटेड वीकली को एक इंटरव्यू में बताया था, “मेरा पहला प्यार क्रिकेट है, फिल्म नहीं।” खबरों के मुताबिक खन्ना मानते थे कि जितने रोल उन्होंने फिल्मों में निभाए हैं उनसे ज्यादा क्रिकेट खेलना कठिन है। क्योंकि क्रिकेट में कोई रीटेक नहीं होता। दिलचस्प बात ये है कि खन्ना ने 1970 के दशक में कई फिल्म स्टार्स क्रिकेट मैचों में भाग लिया था। इस दौरान उन्होंने एक बल्लेबाज की भूमिका निभाई थी। उन्हें खेल की अच्छी समझ थी और वह अक्सर इस पर अपनी राय देते थे। उस समय एक मैच के दौरान विनोद खन्ना ने कहा था, “आपको पता है कि कैसे सुनील गावस्कर ने ज्योफरी बॉयकॉट को बतौर ओपनर टक्कर दी? क्योंकि सनी जानते थे कि बॉब विलिज की किस गेंद को छोड़ना है। अगर आप ये जान जाते हैं कि किस गेंद को छोड़ना है, तो आप गेंद को अपने आप हिट करने लगते हो।”

सुनील गावस्कर खन्ना के पसंदीदा क्रिकेटर थे। उन्होंने एक बार कहा था, “भले ही विश्वनाथ एक क्लास क्रिकेटर हों, लेकिन मेरे पसंदीदा गावस्कर हैं। गेंद की लाइन में आने के लिए सनी कितने सावधान रहते हैं। वह बायां पैर हमेशा एक जगह रहता है। और कैसे, इस दिन उन्होंने अपने कदमों का इस्तेमाल किया। मैंने देखा है कि जैसे ही बल्लेबाज कई साल खेल चुके होते हैं तो वे कदमों का इस्तेमाल करना भूल जाते हैं। लेकिन गावस्कर अपवाद हैं।”

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खन्ना का सुझाव ये भी था कि गावस्कर ‘बागी केरी पेकर’ की वर्ल्ड सीरीज में भाग लें। उन्होंने कहा था, “गावस्कर ने कहा था कि वह पेकर के पास जाना चाहते हैं। ताकि वे सबसे बेहतरीन गेंदबाजों का सामना कर पाएं और जान पाएं वह कितने अच्छे हैं। यहां क्रिएटिव प्रतिभा बोलती है। यह सिर्फ क्रिएटिव प्रतिभा है जो इस तरह की चुनौती को आमंत्रण देगी, कम प्रतिभा वालों को मुंह की खानी पड़ेगी। लेकिन हमने इस बात का गलत मतलब निकाला और गुस्से में आकर कहा कि गावस्कर पैकर के पैसों के पीछे है। हमने पैकर के पास सुनील को नहीं जाने दिया, ये उनकी प्रतिभा के साथ नाइंसाफी थी।” खन्ना ने कहा था, “हमें इस मौके का स्वागत करना चाहिए था और ये जानने की कोशिश करनी चाहिए थी कि दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों के आगे विश्वनाथ और गावस्कर कैसे हैं। हमें उनके रास्ते में अड़चने नहीं लगानी चाहिए थीं।”