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"मैं खुद को एक महिला क्रिकेटर नहीं, सामान्य क्रिकेटर के रूप में देखती हूं"
"अब मैं अब खुद को एक महिला क्रिकेटर के रूप में नहीं बल्कि सामान्य रूप से एक क्रिकेटर के रूप में देखती हूं।
Written by Indo-Asian News Service
Last Published on - May 8, 2019 6:31 PM IST

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उप कप्तान स्मृति मंधाना का मानना है कि हाल के समय में महिला क्रिकेटर्स की ओर सही तरीके से लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ है। महिला टी-20 चैलेंज में ट्रेलब्लेजर्स टीम की कप्तानी कर रही मंधाना ने कहा कि मैदान पर उनकी पहचान केवल उनके प्रदर्शन से है ना कि उनकी लैंगिक पहचान से।
मंधान (22) ने आईएएनएस से कहा, “अब मैं अब खुद को एक महिला क्रिकेटर के रूप में नहीं बल्कि सामान्य रूप से एक क्रिकेटर के रूप में देखती हूं। किसी लेबल को क्यों होना चाहिए जब इसकी कोई जरूरत ही नहीं है।”
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नौ साल की उम्र में ही महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुनी गई मंधाना ने कहा कि वह लैंगिकता पर आधारित सामाजिक मूल्य मान्यताओं से ऊपर उठ रही हैं और कोई समझौता किए बिना अपने सपनों को पूरा कर रही हैं।
मंधाना ने पिछले साल 12 वनडे मैचों में 669 रन बनाए थे। जून 2018 में उन्हें बीसीसीआई ने बेस्ट वूमेन इंटरनेशनल क्रिकेटर के सम्मान से सम्मानित किया था। अपनी अबतक की सफलका का श्रेय अपने परिवार को देते हुए मंधाना ने कहा, “मैं सुबह पांच बजे उठती थी और अपने भाई की क्रिकेट कोचिंग प्रैक्टिस खत्म होने का इंतजार करती थी ताकि आखिरी की 10-15 गेंद मैं खेल सकूं।”
उन्होंने कहा, “जैसे ही मैं 15 गेंद खेल लेती थी, उसके बाद यह सोचना शुरू कर देती थी कि अगले दिन की 15 गेंद के लिए मुझे कैसे खुद को बेहतर बनाना है।”
सलामी बल्लेबाज ने कहा कि देश से बाहर खेलने के लिए शरीर वहां के मौसम के अनुकूल होनी चाहिए।
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उपकप्तान ने कहा, “मेरे लिए यह एक सम्मान की बात है कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हूं। इसके अलावा जब हम मैदान पर होते हैं तो काफी दबाव भी होता है। इससे मदद भी मिलती है। जो भी टीम का हिस्सा हैं वह अपने घर से दूर हैं, इसलिए जब जरूरत पड़ती है तो एक दूसरे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं।”