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बच्चों का खेल बना IPL, वैभव सूर्यवंशी और आयुष म्हात्रे ने बल्ले की दहाड़ से किया साबित

वैभव सूर्यवंशी और आयुष म्हात्रे ने अपने प्रतिभा से साबित कर दिया कि आईपीएल अब बच्चों का खेल बन गया है.

Vaibhav Suryavanshi

Youngsters Shine in IPL: चेन्नई सुपर किंग्स के कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ रोमांचक मैच को दो रन गंवाने के बाद कहा, ‘मुझे आगामी अंडर-19 विश्व कप में उन टीमों के बारे में सोच कर चिंता हो रही है जिन्हें भारत का सामना करना होगा’.

Ayush Mhatre

फ्लेमिंग ने यह बात थोड़े चुटीले अंदाज में कही लेकिन आईपीएल के मौजूदा सत्र में वैभव सूर्यवंशी और आयुष महात्रे जैसे युवा सितारों ने उम्र को धता बताते हुए जो निडरता और परिपक्वता दिखाई है उससे भारतीय क्रिकेट का भविष्य काफी मजबूत दिखता है.

Vaibhav Suryavanshi (Image Credit- X)

महात्रे ने 48 गेंद में 94 रन की पारी खेल कर आरसीबी के खिलाफ चेन्नई के लिए जीत का मंच तैयार कर दिया था हालांकि उनकी टीम दो रन से पीछे रह गयी. महात्रे की इस पारी ने प्रशंसकों को कुछ दिन पहले सूर्यवंशी की 35 गेंद में खेली गयी शतकीय पारी की याद दिला दी. महात्रे की पारी से 214 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही चेन्नई को आखिरी तीन ओवर में जीत के लिए सिर्फ 23 रन चाहिये थे. महात्रे ने अपनी पारी के दौरान चौथे ओवर में अनुभवी भुवनेश्वर कुमार के खिलाफ पांच चौके और एक छक्का लगाकर प्रभावित किया. उन्होंने इस दौरान कोई भी आड़ा-तिरछा शॉट नहीं खेला.

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यह उस भरोसे का प्रमाण था जो चेन्नई सुपर किंग्स ने कुछ महीने पहले म्हात्रे को अपने चयन ट्रायल के नेट सत्र के दौरान देखा था. कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ की चोट ने उन्हें मुंबई के इस खिलाड़ी को चुनने मौका दे दिया. चेन्नई की टीम के प्रबंधन के मुताबिक वह ट्रायल में गुजरात के उर्विल पटेल और केरल के सलमान निजार से बहुत आगे थे. फ्लेमिंग ने म्हात्रे को चुनने के पीछे के तर्क को समझाते हुए कहा, ‘‘जब उन्होंने ट्रायल दिया और सत्र के शुरुआती हिस्से में हमारे साथ थे, तो हम उनके कौशल से बहुत प्रभावित हुए थे. उनका संयम काफी प्रभावशाली था. बहुत सारे शॉट लगाने में माहिर होना अच्छी बात है लेकिन दुनिया के बड़े खिलाड़ियों के सामने धैर्य बनाये रखना और टीम की योजना को अंजाम देने में सफल होना काबिले तारीफ है.’’

म्हात्रे की बल्लेबाजी की सबसे अच्छी बात यह रही कि वह पहले से शॉट खेलने का मन नहीं बना रहे थे और ना ही बहुत ताकत के साथ शॉट लगा रहे थे. वह चतुराई से परिस्थितियों के मुताबिक बल्लेबाजी कर रहे थे. उन्होने 15वें ओवर में भुवनेश्वर की ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद को एक्स्ट्रा कवर क्षेत्र में छक्का लगाया तो उनका संतुलन देखने लायक था. उनका ‘हैंड-आई कॉर्डिनेशन (हाथों और आंखों का समन्वय)’ शानदार है. सूर्यवंशी ने भी कुछ दिन पहले गुजरात टाइटंस के खिलाफ आक्रामक पारी के साथ क्रिकेट जगत के साथ राजस्थान के कोच राहुल द्रविड़ को भी प्रभावित किया था.

द्रविड़ ने ‘स्टार स्पोर्ट्स प्रेस रूम’ के दौरान कहा था, ‘‘उसकी बल्ले की गति बहुत अच्छी है. उसकी बैक लिफ्ट बहुत अच्छी है. गेंद की लेंथ के बारे में निर्णय लेने के मामले में उसका हाथ-आंखों का समन्वय बहुत अच्छा है. वह गेंद की लंबाई को जल्दी भांप कर शॉट खेलता है.’’ फ्लेमिंग म्हात्रे और सूर्यवंशी से काफी प्रभावित है. उन्होंने कहा, ‘‘उनके बेखौफ होकर खेलने हुए देखना असाधारण है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप 14, 18 या 21 साल के हैं. हमने जो पारियां खेली हैं, खासकर इन दो युवाओं ने वह बेहतरीन है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह उम्र से परे उनकी परिपक्वता को दिखाता है. मुझे लगता है कि दुनिया भर के गेंदबाजों के लिए उनके कौशल से निपटना काफी चुनौतीपूर्ण है.’’

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