Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Updated on - October 17, 2016 4:30 PM IST
आज से ठीक 38 साल पहले 16 अक्टूबर 1978 भारत के महान तेज गेंदबाज-हरफनमौला खिलाड़ी कपिल देव ने वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था। पांच साल बाद कपिल देव की कप्तानी में भारत ने अपना पहला विश्वकप जीतने में कामयाबी पाई थी। मध्यम गति के तेज गेंदबाज और गेंद को आउट स्विंग कराने में सक्षम कपिल देव ने भारत के लिए टेस्ट मैचों में 434 विकेट लिए हैं, वहीं के साथ भी कपिल ने कमाल दिखाते हुए 31 की औसत से 5,248 रन बनाए हैं (कपिल ने ज्यादातर रन निचले क्रम में खेलते हुए बनाए थे)। कपिल देव ने 1994 तक खेलते हुए अपने करियर में वनडे और टेस्ट मिलकार कुल 356 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले।
भारत के पास लंबे समय तक शानदार खेल दिखाने वाले तेज गेंजबाज और हरफनमौला खिलाड़ी बहुत कम ही रहे हैं। हालांकि कुछ समय पहले भारत को इरफान पठान के रूप में एक अच्छा तेज गेंदबाज-ऑलराउंडर मिला लेकिन, इरफान बार-बार चोटिल होते रहे और लंबे समय तक भारत को अपनी सेवा नहीं दे सके। ये भी पढ़ें: लक्ष्य का पीछा करते हुए चौथे सबसे कामयाब भारतीय बल्लेबाज बने विराट कोहली
38 साल बाद उसी दिन कपिल देव ने बड़ौदा के 23 साल के हरफनमौला खिलाड़ी को वनडे की कैप पहनाई। पांड्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कोई नए नहीं है और उन्होंने अपना टी-20 अंतरराष्ट्रीय में पदार्पण इसी साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कर चुके हैं। स्टीवन स्मिथ ने पांड्या के बारे में कहा था कि वह एक बुरे सपने की तरह था। वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नया था, वह नई पीढ़ि में सबसे प्रतिभावान और शानदार खिलाड़ी हैं। अपने पहले टी-20 में पांड्या ने अपने ओवर की शुरुआत लगातार तीन वाइड गेंदों के साथ की थी और उन्होंने अपना पहला ओवर 11 गेंदों का कराया था। जिसमें 5 वाइड और दो चौके शामिल थे, लेकिन इसके बाद पांड्या ने वापसी की और अंत में उनकी गेंदबाजी के आंकड़े 37 रन देकर 2 विकेट रहे। जिसमें उन्होंने क्रिस लिन और मैथ्यू वेड का विकेट हासिल किया। हालांकि कि उन्हें पूरी सीरीज में बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। ये भी पढ़ें: जब भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी रन आउट हुए
पांड्या के बल्ले से पहली बार श्रीलंका के खिलाफ रांची में कमाल देखने को मिला जब पांड्या ने सिर्फ 12 गेंदों पर धुआंधार 27 रन ठोक डाले। पांड्या न तो जैक कैलिस हैं और न ही एंड्रू फ्लिनटफ, पांड्या सिर्फ गेंद को बेहतरीन टाइमिंग के साथ खेलते हैं। वह युवराज की तरह गेंद को बाउंड्री के बाहर नहीं पहुंचाते। पांड्या के बल्ला घुमाने का तरीका इस तरह का है कि गेंद सिर्फ बाउंड्री के बाहर ही गिरती है।
पांड्या के पास वो सारी खूबी मौजूद हैं जो उन्हें बड़ा हरफनमौला खिलाड़ी बना सकती हैं। पांड्या के पास खेल को किसी भी क्षण अपनी तरफ मोड़ने की कला है। और पांड्या ने आईपीएल में ऐसा कई दफा करके दिखाया है लेकिन वही उन्हें अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी करके दिखाना होगा।
अब जब पांड्या को न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच वनडे मैचों की सीरीज में खेलने का मौका मिला हो तो अब उन्हें अपना बेहतरीन हरफनमौला खेल दिखाना होगा। विपक्षी टीम के पास न्यूजीलैंड की तरफ से एकमात्र दोहरा शतक जड़ने वाले बल्लेबाज मार्टिन गप्टिल, न्यूजीलैंड के सबसे अच्छे खिलाड़ी केन विलियम्सन, तेज तर्रार बल्लेबाज ल्यूक रॉन्की जैसे बल्लेबाज हैं, पांड्या का वनडे में पदार्पण भी टी-20 की तरह ही रहा, पांड्या ने पहली पांच गेंदों पर 1, 4, 4, 0, 4 रन दिए। पिच पर घास थी, हिमालय में मैच हो रहा था इसलिए दूसरे छोर से हवाएं भी चल रही थीं, मौसम भी न्यूजीलैंड की तरह शांत और अच्छा था।
गप्टिल खतरनाक दिख रहे थे, लेकिन पिच पर मौजूद घास तेज गेंदबाजों को मदद कर रही थी। पांड्या तेजी से दौड़े, गेंद की सीम को पांड्या ने पहली स्लिप की तरफ रखा, गेंद को पांड्या ने अनिश्चतता के गलियारे में फेंका और गेंद ने गप्टिल के बल्ले के बाहरी किनारे को लेते हुए दूसरी स्लिप में खड़े सीधा रोहित शर्मा के हाथों में समा गई और पांड्या की भावनाएं उनके चेहरे पर मुस्कुराहट बनकर फूट पड़ी। पांड्या के करियर के पहले विकेट ने कीवियों की कमर तोड़ कर रख दी। पांड्या की गेंदबाजी की गति 140 थी, जो टीम में उन्हें दूसरे तेज गेंदबाज बनाती है।
पांड्या और उमेश यादव ने पिच के मुताबिक गेंदबाजी की और गेंद को स्विंग कराने में कामयाब रहे। पांड्या के अगले दो शिकार न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी के मध्य क्रम के बल्लेबाज रहे, पांड्या ने कोरी एंडरसन और ल्यूक रॉन्की को आउट किया। दोनों ही बल्लेबाज 30 गज के दायरे के ऊपर से शॉट खेलने के चक्कर में आउट हुए। पांड्या को उनके प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नमाजा गया।
पांड्या ने जिस तरह की गेंदबाजी की है उससे उन्होंने भारतीय खेमे में एक उम्मीद जगाएगी है कि आने वाले समय में वह टीम के लिए एक बेहतरीन हरफनमौला खिलाड़ी के रूप में उभरेंगे। लेकिन पांड्या के लिए चुनौती आसान नहीं रहने वाली उन्हें खुद को फिट और निरंतर अच्छा खेल दिखाना होगा।
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