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क्या अपना मैजिक टच खो रहे हैं महेन्द्र सिंह धोनी?

वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 मुकाबले में अंतिम ओवर में धोनी की नाकामी ने उठा दिये हैं उनकी मैच खत्म करने की क्षमता पर सवाल

user-circle cricketcountry.com Written by Jay Jaiswal
Last Updated on - September 3, 2016 6:28 PM IST

महेन्द्र सिंह धोनी पिछले कुछ सालों में मैच खत्म करने की योग्यता के साथ न्याय नहीं कर पाए हैं © PTI
महेन्द्र सिंह धोनी पिछले कुछ सालों में मैच खत्म करने की योग्यता के साथ न्याय नहीं कर पाए हैं © PTI

भारतीय वनडे और टी20 कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी क्रिकेट की दुनिया के सबसे बेहतरीन फीनिशर्स में गिना जाता है। भारत के लिए खेलते हुए ना जानें कितनी बार उन्होंने मैच को विरोधी टीम से हाथों से छीन कर भारत की झोली में डाला है। लेकिन हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम ओवर में धोनी के रहते हुए भी भारत जरूरी रन नहीं बना पाया और भारत को हार का सामना करना पड़ा। कई लोगों का मानना था कि धोनी अगर ये मैच 4 साल पहले खेल रहे होते तो ये मैच आसानी से खत्म कर देते और जीत को भारतीय टीम की झोली में डाल देते। तो ये सवाल उठने लगा कि क्या भारतीय कप्तान अपना मैजिक टच खोते जा रहे हैं? क्या उनकी मैच फीनिश करने की योग्यता कम होती जा रही है? तो आइए आंकड़ों पर नजर डालते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि वास्तविकता आखिर क्या है।

अगर बात करें अंतिम ओवर में मैच खत्म करने की तो धोनी ने टी20 और वनडे में 2014 से अब तक कुल 6 बार पारी का अंतिम ओवर खेला है। इन 6 मौकों पर धोनी टीम को जीत दिला पाए या टीम को हार का सामना करना पड़ा आइए विस्तार से जानते हैं।

1. भारत बनाम इंग्लैंड, टी20 मैच, बर्मिंघम, 2014( परिणाम- हार):

2014 के बाद से धोनी ने 6 मौकों पर अंतिम ओवर में बल्लेबाजी की है, जिनमें 4 बार भारत को हार मिली है © AFP
2014 के बाद से धोनी ने 6 मौकों पर अंतिम ओवर में बल्लेबाजी की है, जिनमें 4 बार भारत को हार मिली है © AFP

7 सितंबर 2014 को खेले गए इस मुकाबले में इंग्लैंड ने भारत के सामने 181 रनों का लक्ष्य रखा। लभ्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम ने विराट कोहली की शानदार पारी की बदौलत एक समय 2 विकेट पर 130 रन बना लिये थे, लेकिन तभी भारत ने कोहली, रैना और जडेजा का विकेट गंवा दिया और मैच फंस गया। अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए 17 रनों की दरकार थी और महेन्द्र सिंह धोनी के अलावा अंबाती रायडू विकेट पर मौजूद थे और भारतीय फैंस को उम्मीद थी कि मैच भारत के हिस्से में ही आएगा। धोनी ने ओवर की पहली गेंद पर पर ही छक्का जमाकर लक्ष्य को 5 गेंद पर 11 रन कर दिया। क्रिस वोक्स की दूसरी गेंद पर धोनी ने 2 रन भाग लिया, तीसरी गेंद पर वोक्स ने धोनी को कोई रन नहीं बना सके, लेकिन चौथी गेंद पर धोनी ने चौका जड़ कर भारत को जीत के और पा ला दिया। भारत को अब जीत के लिए 2 गेंद में 5 रनों की जरूरत थी और मैच भारत की गिरफ्त में आ चुका था, लेकिन धोनी की मौजूदगी के बावजूद भारत ये मैच हार गया। वोक्स ने धोनी को अंतिम दो गेंदों पर सिर्फ 1 रन बनाने दिया। इस तरह भारत को इस मैच में 3 रनों से हार का सामना करना पड़ा। [Also Read: तीनों प्रारूपों में शतक बनाने वाले बल्लेबाज]

2. भारत बनाम साउथ अफ्रीका, वनडे, कानपुर, 2015( परिणाम-हार):

वनडे में महेन्द्र सिंह धोनी का बल्लेबाजी औसत भी गिरा है © Getty Images
वनडे में महेन्द्र सिंह धोनी का बल्लेबाजी औसत भी गिरा है © Getty Images

11 अक्टूबर 2015 को खेले गए इस वनडे मुकाबले में साउथ अफ्रीका ने भारत के सामने 304 रनों का लक्ष्य रखा। भारतीय टीम ने रोहित शर्मा के शतक की बदौलत अच्छा जवाब दिया। भारत को अंतिम ओवर में जीत के लिए भारत को सिर्फ 11 रनों की दरकार थी और क्रीज पर धोनी और बिन्नी मौजूद थे। साउथ अफ्रीका ने धोनी को अंतिम ओवर में रोकने की जिम्मेदारी कगिसो रबाडा को सौंपी। धोनी के लिए 11 रन बनाना मुश्किल काम नहीं था और उन्होंने रबाडा की पहली गेंद पर 2 रन लेकर इसकी शुरूआत भी की। दूसरी गेंद पर रबाडा ने धोनी के सिर्फ 1 रन बनाने का मौका दिया। तो तीसरी गेंद पर बिन्नी ने 1 रन लेकर स्ट्राइक अपने कप्तान को दे दिया। भारत को अब जीत के लिए 3 गेंदों में 7 रन की जरूरत थी, लेकिन ओवर की चौथी गेंद पर रबाडा ने धोनी को आउट कर भारतीय टीम को तगड़ा झटका दिया। अगली गेंद पर बिन्नी भी आउट हो गए। अंतिम गेंद पर भारत 6 रन बना लेता तो मैच टाई हो जाता लेकिन भुवनेश्वर कुमार सिर्फ 1 रन ही बना सके और साउथ अफ्रीका ने ये मैच 5 रन से जीत लिया। [Also Read: टेस्ट, वनडे और टी20 क्रिकेट में छक्का जमाकर शतक पूरा करने वाले बल्लेबाज]

3. भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, वनडे, सिडनी, 2016( परिणाम- जीत):

2015 के अंत तक उनका वनडे औसत 53 के पास था जो अब गिरकर 51 का हो गया है© Getty Images
2015 के अंत तक उनका वनडे औसत 53 के पास था जो अब गिरकर 51 का हो गया है© Getty Images

23 जनवरी को कंगारू टीम ने भारतीय गेंदबाजों की धुनाई करते हुए बोर्ड पर 330 रन टांग दिये और भारत को जीत के लिए 331 रनों का लक्ष्य दिया। मनीष पांडे के शानदार शतक और रोहित शर्मा की 99 रनों की पारी की बदौलत भारतीय टीम ये मैच अंतिम ओवर तक ले गई जहां भारत को जीत के लिए 6 गेंदों में 13 रनों की दरकार थी। मिचेल मार्श को अंतिम ओवर की जिम्मेदारी दी गई। जबकि भारत के लिए धोनी और शतकवीर पांडे विकेट पर मौजूद थे। मार्श ने ओवर की शुरूआत वाइड गेंद के साथ की, अगली गेंद पर धोनी ने छक्का जड़कर दबाव मार्श पर ला दिया। ओवर की दूसरी गेंद पर मार्श ने धोनी को आउट कर दिया। भारत को अभी जीत के लिए 4 गेंदों पर 6 रनों की जरूरत थी। पांडे ने मार्श की तीसरी गेंद पर चौका जड़कर भारतीय टीम को जीत के और पास ला दिया। चौथी गेंद पर पांडे ने 2 रन लेकर मैच भारत की झोली में डाल दी। [Also Read: वीडियो: डीविलियर्स ने कैसे वेस्टइंडीज को तहस नहस कर दिया]

4. भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, टी20, मोहाली, 2016( परिणाम- जीत):

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टी20 के बाद धोनी अंतिम ओवर में भारत को जीत दिलाने में नाकाम रहे हैं © PTI
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टी20 के बाद धोनी अंतिम ओवर में भारत को जीत दिलाने में नाकाम रहे हैं © PTI

टी20 विश्व कप 2016 के इस मुकाबले में भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कंगारू टीम को 160 रनों पर रोक दिया। लक्ष्य का पीछा करते हुए विराट कोहली ने 82 रनों की शानदार पारी खेली और मैच अंतिम ओवर तक पहुंचा। अंतिम ओवर में भारत को जीत के लिए मात्र 4 रनों की जरूरत थी। भारत के लिए धोनी और कोहली जैसे दिग्गज बल्लेबाज विकेट पर मौजूद थे। ऑस्ट्रेलिया ने अंतिम ओवर की जिम्मेदारी जेम्स फॉकनर को सौंपी लेकिन धोनी ने ओवर की पहली ही गेंद पर चौका जमाकर मैच को तुरंत ही समाप्त कर दिया और भारत ने इस मैच को 6 विकेट से जीत लिया।

5. भारत बनाम जिंबाब्वे, टी20, हरारे, 2016( परिणाम- हार):

जिंबाब्वे के खिलाफ धोनी मादजीव के अंतिम ओवर में 8 रन नहीं बना पाए थे © PTI
जिंबाब्वे के खिलाफ धोनी मादजीव के अंतिम ओवर में 8 रन नहीं बना पाए थे © PTI

18 जून के भारत और जिंबाब्वे के बीच खेले गए इस मुकाबले में जिंबाब्वे ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 170 रन बनाकर भारतीय टीम के सामने 171 रनों का लक्ष्य रखा। भारतीय टीम ने खराब शुरूआत से उबरते हुए 19 ओवर में 163 रन बनाकर जीत की स्थिति तक पहुंची। अंतिम ओवर में जीत के लिए भारत को सिर्फ 8 रन बनाने थे जो कि धोनी जैसे बल्लेबाज के विकेट पर रहते हुए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था। नेविल मदजीव को गेंदबाजी का भार सौंपा गया। धोनी ने पहली गेंद पर 1 रन लेकर छोर बदला, लेकिन दूसरी गेंद पर मदजीव ने अक्षर पटेल को आउट कर दिया। तीसरी गेंद पर मदजीव ने शानदार यार्कर डाली जिस पर धोनी ने किसी तरह 1 रन लिया। चौथी गेंद पर नए बल्लेबाज ऋृषि धवन कोई रन नहीं ले पाए लेकिन मदजीव ने अगली गेंद वाइड डाल दी। पांचवी गेंद पर धवन ने 1 रन लेकर स्ट्राइक धोनी को दे दी। अब भारत को अंतिम गेंद पर 4 रनों की दरकार थी और सामने थे धोनी। लेकिन एक बार फिर से भारत को निराश होना पड़ा, क्योंकि अंतिम गेंद पर धोनी 1 रन ही बना सके और जिंबाब्वे ने भारत को 2 रनों से हरा दिया।

6. भारत बनाम वेस्टइंडीज, टी20, यूएसए, 2016( परिणाम- हार):

वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टी20 मुकाबले में ड्वेन ब्रावो ने धोनी को अंतिम ओवर में 8 रन नहीं बनाने दिया © Getty Images
वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टी20 मुकाबले में ड्वेन ब्रावो ने धोनी को अंतिम ओवर में 8 रन नहीं बनाने दिया © Getty Images

वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टी20 मुकाबले में भारतीय टीम को जीत के लिए 246 रनों का मुश्किल लक्ष्य मिला। भारतीय टीम ने जवाबी कारवाई में शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए शानदार तरीके से लक्ष्य का पीछा किया और मैच को अंतिम ओवर तक ले गए। भारतीय टीम को अंतिम ओवर में जीत के लिए 8 रन बनाने थे। भारत के लिए धोनी और शतकवीर राहुल विकेट पर टिके हुए थे। इन दोनों को रोकने की जिम्मेदारी डेथ ओवर स्पेशलिस्ट ड्वेन ब्रावो को सौंपी गई। ब्रावो की पहली गेंद पर धोनी ने 1 रन लिया, तो दूसरी गेंद पर राहुल ने भी 1 रन लेकर छोर बदल लिया। अगली दो गेंदों पर फिर से दोनों बल्लेबाजों ने 1-1 रन लिया। भारत को अब जीत के लिए 2 गेंदों पर 4 रनों की जरूरत थी। पांचवी गेंद पर धोनी ने 2 रन लेकर मैच को धड़कने बढ़ा देने वाली स्थिति में पहुंचा दिया। भारत को अंतिम गेंद पर जीत के लिए 2 रनों की दरकार थी, लेकिन ब्रावो ने अंतिम गेंद पर धोनी को आउट कर भारतीय दर्शकों का दिल तोड़ दिया।

इस तरह अगर इन 6 मुकाबले में धोनी की विकेट पर मौजूदगी के बावजूद भी भारतीय टीम सिर्फ 2 बार जीत पाई, जबकि 4 बार भारत को हार का सामना करना पड़ा। 4 मौकों पर धोनी टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचाने में चूक गए, जिन दो मैचों में भारतीय टीम ने जीत दर्ज की उनमें भी एक मौके पर विजयी रन मनीष पांडे ने बनाया और दूसरी बार अंतिम ओवर में सिर्फ 4 रन बनाने थे जिसे धोनी ने बनाया। तो इसमें धोनी को दबाव का सामना नहीं करना पड़ा।

इन आंकड़ों में साफ देखा जा सकते हैं कि 2014 के बाद से धोनी की मैच खत्म करने की योग्यता में कमी आई है। धोनी अब पहले की तरह मैच खत्म नहीं कर पा रहे हैं। मगर धोनी एक मानसिक रूप से मजबूत खिलाड़ी है, वो कभी भी इस विफलता को पीछे छोड़ने की क्षमता रखते हैं। भारतीय फैंस को भी इसी का इंतजार है।

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