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जानें, गावस्‍कर से लेकर कपिल देव, सचिन, अजीत वाडेकर व अन्‍य क्रिकेटिंग स्‍टार्स की कैसी रही रिटायरमेंट

महेंद्र सिंह धोनी ने गुरुवार को 39 साल की उम्र में अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

user-circle cricketcountry.com Written by Cricket Country Staff
Last Updated on - August 16, 2020 11:02 PM IST

संन्यास को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों में काफी असमंजस की स्थिति रही है जिसमें महान सलामी बल्लेबाज सुनिल गावस्कार (Sunil Gavaskar) ने शानदार लय में रहते हुए खेल को अलविदा कहा जबकि सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने भी ऐसा करने में थोड़ा समय लिया तो वही कपिल देव (Kapil Dev) ने इसमें दो साल की देरी की।

गावस्कर ने 1986 में घोषणा कर दी थी 1987 की शुरूआत में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला उनके करियर की आखिरी टेस्ट श्रृंखला होगी जबकि विश्व कप (1987) के बाद वह खेल के सभी प्रारूपों को अलविदा कह देंगे।

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सचिन ने संन्‍यास में की कुछ देरी

गावस्कर के उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेंदुलकर का करियर उस समय परवान चढ़ा जब भारत में सेटेलाइट टेलीविजन का चलन बढ़ रहा था। यह ऐसा समय था जब जगमोहन डालमिया के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट ने अपने वास्तविक मूल्य को पहचाना। तेंदुलकर ने अपने दम पर ‘भगवान’ का तमगा हासिल किया। करियर के आखिरी दौर में उनमें वह दमखम नहीं था जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। उन्होंने बीसीसीआई (BCCI) को संन्यास की योजना के बारे में पहले ही बता दिया और बोर्ड ने भी उन्हें निराश नहीं किया।

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कपिल देव ने दो साल घसीटा करियर

भारत के सबसे महान ऑलराउंडर माने जाने वाले कपिल देव (Kapil Dev) करियर के आखिरी दौर में बिल्कुल बेरंग हो गये थे। वेस्टइंडीज के खिलाफ घुटने पर गेंद लगने के बाद वह लंगड़ाते हुए फरीदाबाद के नाहर सिंह स्टेडियम के मैदान से बाहर निकले। इसके कुछ दिन बाद दिवाली के दिन उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी। हर किसी को हालांकि लगता था कि उन्होंने ऐसा करने में दो-तीन साल देर कर दी।

जवागल श्रीनाथ (Javagal Srinath) अपने सर्वश्रेष्ठ दिनों में 1991 से 1994 तक टेस्ट मैच नहीं खेल सकें क्योंकि कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (Mohammad Azharuddin) और मैनेजर अजित वाडेकर इंतजार कर रहे थे कि कपिल कब रिचर्ड हेडली के टेस्ट विकेट का रिकार्ड तोड़ेंगे।

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अजीत वाडेकर को नहीं मिल पाया सम्‍मान 

करियर के दौरान कई शानदार पारी खेलने वाले वाडेकर भी संन्यास के समय खलनायक बन गये थे। भारतीय टीम को 1971 में वेस्टइंडीज और इंग्लैड में जीत दिलाने वाले वाडेकर 1974 में इंग्लैंड से 0-3 से श्रृंखला गंवाने के बाद खलनायक बन गये थे।  भारतीय टीम के इस कप्तान को चयनकर्ताओं ने इसके बाद राष्ट्रीय टीम ताे को छोडिये पश्चिमी क्षेत्र की टीम में भी शामिल नहीं किया।

हाल के वर्षों में सौरव गांगुली का संन्यास भी विवादित रहा। इसके बाद टेस्ट टीम के कप्तान अनिल कुंबले ने भी कहा कि वह अपना शत प्रतिशत नहीं दे पा रहे और उन्होंने भी संन्यास की घोषणा कर दी।

द्रविड़, लक्ष्‍मण ने एक साथ खेला आखिरी मैच

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राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच एडिलेड में 2011-12 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान एक साथ खेला था।द्रविड ने इस दौरे के बाद संन्यास की घोषणा कर दी जबकि लक्ष्मण ने थोड़ा इंतजार किया। न्यूजीलैंड श्रृंखला से पहले तत्कालीन कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी पर फोन कॉल नहीं लेने का आरोप लगाते हुए खेल को अलविदा कह दिया।