Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Published on - October 31, 2016 11:07 AM IST
26 नवंबर 2008 मुंबई की सड़कों पर गाड़ियां भरी हुई थीं। रोज की तरह मुंबई अपनी चमक से लोगों के मन को मोह रही थी। गेट वे ऑफ इंडिया समंदर के सामने सीना ताने मानो इस तरह खड़ा हुआ था कि तुम्हारी लहरें चाहे जितने करीब आ जाए लेकिन मुझे डिगा नहीं सकतीं, मेरे हौसले को कमजोर नहीं कर सकतीं, मैं निडर होकर इसी तरह खड़ा रहूंगा। डिस्को में युवा थिरक रहे थे तो मुंबई का अपना हीरो सैकड़ों किलोमीटर दूर कटक में वनडे मुकाबला खेल रहा था। लेकिन उस रात जो हुआ उसकी सुबह होने में तीन दिन का वक्त लगा। देश की शान मुंबई के कुछ अहम ठिकानों पर तीन दिन आतंकियों का कब्जा रहा। इंग्लैंड टीम दौरा छोड़कर लौट गई और सचिन अपने घर वापस लौट आए। उस वक्त केवल मुंबई उदास नहीं थी, बल्कि पूरे देश में एक अजीब सी मायूसी छाई हुई थी।
करीब एक महीने बाद इंग्लैंड टीम फिर से टेस्ट सीरीज खेलने के लिए लौटी। लेकिन देश अभी गमगीन था लोगों के आंसू सूखे नहीं थे। हर कोई सामान्य दिखने की कोशिश तो कर रहा था लेकिन उनका दुख-दर्द उनके हाव-भाव से साफ झलक रहा था। इन सब के बीच चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में भारत और इंग्लैंड के बीच पहला टेस्ट मैच खेला गया। ये भी पढ़ें: साल 2016 में वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्के जड़ने वाले 5 बल्लेबाज
टीम इंडिया पर केवल यह दबाव नहीं था कि वह इतने उदासीन माहौल में अपना अच्छा खेल दिखा सके बल्की यह दबाव भी था कि 125 करोड़ हिंदुस्तानी की सबसे पसंदीदा टीम देश के चेहरे पर खुशियां कैसे वापस ला सकती थी। 125 करोड़ जनता की उम्मीदों को लिए भारतीय टीम मैदान पर उतर गई। पहला टेस्ट शुरू हुआ, इंग्लैड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। लेकिन भारतीय टीम के प्रदर्शन को देख कर लग रहा था कि उन्हें जबर्दस्ती खिलाया जा रहा हो। इंग्लैंड ने पहली पारी में जबर्दस्त शुरुआत करते हुए पहले विकेट के लिए 118 रन जोड़ डाले। दोनों ही ओपनर स्ट्रॉस और कुक अपनी नजरें जमा चुके थे। लेकिन टर्बनेटर नाम से मशहूर हरभजन ने भारत को पहली सफलता दिलाई और यहां इंग्लैंड ने विकेट खोया और वहां भारत ने अपना खोया आत्मविश्वास पा लिया। इसके बाद भारत ने इंग्लैंड के किसी बल्लेबाज को नहीं चलने दिया और इंग्लैंड की पहली पारी मात्र 316 रनों पर समेट दी। भारत की तरफ से पहली पारी में अमित मिश्रा और हरभजन ने 3-3, जहीर खान ने 2, युवराज और ईशांत ने 1-1 विकेट लिया।
जवाब में पहली पारी में बल्लेबाजी ककरने के लिए उतरी भारतीय टीम की हालत शुरू से डगमगा गई और वीरेंद्र सहवाग मात्र 9 रन बनाकर आउट हो गए। भारत के छह विकेट मात्र 137 रनों पर गिर चुके थे। सचिन 37, लक्ष्मण 24, द्रविड़ 3, युवराज 14 रन बनाकर पवेलियन लौट चुके थे। लेकिन निचले क्रम में एमएस धोनी और हरभजन ने संघर्ष किया और टीम को 241 रनों तक पहुंचा दिया। इंग्लैंड को पहली पारी के आधार पर 75 रनों की बढ़त मिल चुकी थी। दूसरी पारी में इंग्लैंड के स्ट्रॉस दूसरी पारी में भी शतक ठोक दिया और उनके बाद पॉल कॉलिंगवुड ने भी अपना सैकड़ा पूरा किया। हालांकि इन दोनों के अलावा और कोई बल्लेबाज मैदान पर नहीं टिक सका और पूरी टीम 311 रनों पर सिमट गई। लेकिन इंग्लैंड के पास भारी भरकम 386 रनों की बढ़त मिल चुकी थी।
ऐसे में निराशा में डूबे देश को क्रिकेट में जीत की उम्मीद भी धुंधलाती हुई दिख रही थी। ऐसा लग रहा था भारतीय टीम अपने प्रशंसकों के मन से उस दुख को दूर नहीं कर पाएंगे। लेकिन भारतीय रणबांकुरे कुछ और ही सोच कर मैदान पर उतरे थे, 125 करोड़ देशवासियों की दुआओं के बोझ तले दबी टीम इंडिया ने पहले विकेट के लिए 117 रन जोड़ डाले। सहवाग ने मात्र 68 गेंदों में तेज तर्रार 83 रनों की पारी खेली और दिखा दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों हम झुकने वाले नहीं हैं। सहवाग के साथ गौतम गंभीर ने भी अर्धशतक ठोक दिया। लेकिन सहवाग के आउट होने के बाद अच्छी शुरुआत का फायदा भारत नहीं उठा सका और दो जल्दी-जल्दी विमकेट गंवा दिए। इसके बाद मैदान पर आया देश का हीरो सचिन तेंदुलकर, भारत के विकेट गिरते जा रहे थे लेकिन सचिन जैसे गेंदबाजों को मुंबई में हमला करने वाले आतंकी समझ बैठे थे। सचिन ने इंग्लैंड के हर गेंदबाज का डटकर सामना किया। सचिन का साथ दिया सिक्सर किंग युवराज सिंह ने। भारत अपने चार विकेट 224 रनों पर खो चुका था और लग रहा था कि भारत मैच आसानी से गंवा बैठेगा।
लेकिन युवराज और सचिन ने हार नहीं मानी और मैदान पर डट गए। इंग्लैंड टीम अपने हर हथियार आजमा रही थी लेकिन सचिन हर हथियार का तोड़ निकाल रहे थे। ऐसा लग रहा था कि सचिन भारतीय प्रशंसकों के मायूस चेहरों पर खुशियां भरने ही मैदान पर उतरे हैं। सचिन ने युवराज के साथ मिलकर टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी और इंग्लैंड के कब्जे से मैच छीनकर भारत की तरफ मोड़ दिया। सचिन ने मैच में शानदार शतक ठोक 125 करोड़ भारतीय जनता को खुश होने का मौका दे दिया था। भारतीय टीम की इस जीत ने भारतवासियों के जख्म पर मरहम का काम किया था। क्रिकेट हमारे देश को जोड़ने का काम करता है। ऐसे में भारतीय टीम देश की सबसे पसंदीदा टीम है और सचिन देशवासियों के लिए भगवान। सचिन के शतक और टीम की जीत ने भारत को खुश होने का अवसर जरूर दे दिया था।
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