Manoj Shukla
मनोज शुक्ला क्रिकेटकंट्री हिंदी में बतौर रिपोर्टर कार्यरत हैं
Written by Manoj Shukla
Last Published on - December 29, 2016 3:12 PM IST
वैसे तो क्रिकेट का खेल दुनियाभर में काफी लोकप्रिय है और इस खेल के दीवाने आपको दुनिया के हर एक कोने में मिल जाएंगे। लेकिन दुनिया का सबसे संपन्न देश अमेरिका के लिए ये खेल अभी भी नया ही है। अमेरिका की जनता इस खेल के बारे में ज्यादा नहीं जानती। इसी को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) अब क्रिकेट को दुनिया के सबसे विकसित देश तक ले जाने की कोशिश में प्रयासरत है। पिछले कुछ सालों से आईसीसी अमेरिका में क्रिकेट के विस्तार को लेकर गंभीर हुई है। आईसीसी इस कोशिश में है कि अमेरिका भी हर चौके-छक्के पर झूमता नजर आए।
हालांकि भले ही अमेरिकी जनता इस खेल से बेखबर हो, लेकिन क्रिकेट का खेल अमेरिका के लिए नया नहीं है। अमेरिका में लगभग 200 सालों से क्रिकेट खेला जा रहा है। साल 1844 में पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच कनाडा और अमेरिका के बीच खेला गया था। मुकाबले को कनाडा ने 23 रनों से जीत लिया था। लेकिन कम प्रचार-प्रसार और अन्य खेलों के आगे निकलने के कारण क्रिकेट को अमेरिका की जनता भूलती गई। क्रिकेट की जगह बेसबॉल ने अमेरिका में अपनी पहचान बना ली और क्रिकेट लगातार अमेरिका में खोता चला गया। हालात ये हो गए कि लोगों को इस खेल के बारे में ना के बराबर ही पता है।
आईसीसी ने इससे सबक लेते हुए अमेरिका में क्रिकेट को ले जाने की बात की और साल 2015 में ‘क्रिकेट ऑल स्टार्स सीरीज’ का आयोजन अमेरिका में कराया गया। कह सकते हैं यहां से अमेरिका में क्रिकेट की नए सिरे से शुरुआत की नींव रखी गई। संन्यास ले चुके लोकप्रिय खिलाड़ियों की दो टीम बनाई गई। एक टीम के कप्तान शेन वॉर् और दूसरी टीम के कप्तान सचिन तेंदुलकर को बनाया गया। दोनों की टीमों को नाम दिया गया सचिन्स ब्लास्टर्स और वॉर्नर्स वॉरियर्स। दोनों ही टीमों के बीच तीन मैचों की टी20 सीरीज खेली गई जो कि अमेरिका के न्यूयॉर्क, हॉस्टन और लॉस एंजिलिस में आयोजित किए गए। तीनों ही मैचों में दर्शकों की अच्छी-खासी उपस्थिति देखी गई और अमेरिका में क्रिकेट की उम्मीदों को पंख लग गए। हालांकि सीरीज को वॉर्नर्स वॉरियर्स ने 3-0 से अपने नाम किया। लेकिन दर्शकों ने तीनों ही मुकाबलों को खूब सराहा और आईसीसी को भी अमेरिका में क्रिकेट की नई उम्मीद जगी। ये भी पढ़ें: 2016 में टीम में वापसी करने वाले खिलाड़ी
इस टूर्नामेंट के बाद बीसीसीआई ने कहा कि वह अमेरिका को अपना न्यूट्रल वेन्यू के तौर पर बना सकता है और भविष्य में भारत के कई मैच अमेरिका में आयोजित कराए जा सकते हैं। बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा था कि अब वक्त आ गया है कि कुछ गैर पारंपरिक जगहों पर भी क्रिकेट मैचों के आयोजन किए जाएं। इससे दोहरा फायदा होता है। एक तो नया बाजार मिलता है, नए प्रशंसक बनते हैं, दूसरी तरफ क्रिकेट को भी बढ़ावा मिलता है। उनकी दलील है कि पहले भी कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात जैसी जगहों पर अंतरराष्ट्रीय मैच आयोजित किए गए, जहां काफी अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिली। जिस तरह फुटबॉल में मैनचेस्टर यूनाइटेड दुनिया भर में घूमकर अपने प्रशंसकों में इजाफा करती है, उसी तरह क्रिकेट को भी अलग-अलग मुल्कों में प्रदर्शित करने की जरूरत है। बीसीसीआई के इस कथन के बाद, भारत और वेस्टइंडीज के बीच दो टी20 मैचों की सीरीज का आयोजन किया गया। दोनों ही मैच अमेरिका के फ्लोरिडा में खेले गए। पहले मैच में वेस्टइंडीज ने भारत को रोमांचक मुकाबले में 1 रन से हरा दिया। वहीं दूसरा मैच बारिश के कारण धुल गया। सीरीज वेस्टइंडीज ने अपने नाम कर ली थी। लेकिन इस सीरीज में भी स्टेडियम में दर्शकों की अच्छी-खासी मौजूदगी देखी गई।
इसके बाद कैरिबियन प्रीमियर लीग के कुछ मुकाबलों को भी अमेरिका में आयोजित कराया गया और लीग को दर्शकों ने हाथों हाथ लिया। अब आईसीसी अमेरिका में क्रिकेट को लेकर गंभीर नजर आने लगी है और हाल-फिलहाल में लिए गए कुछ फैसले इस बात की तरफ इशारा भी कर रहे हैं। हाल में देखें तो क्रिकेट नए मुल्कों में अपनी जड़ें नहीं जमा परा रहा है और लगातार सिकुड़ता जा रहा है। एक समय क्रिकेट का गढ़ कहलाने वाले वेस्ट इंडीज में उसकी जड़ें कमजोर पड़ने लगी हैं। वहां कई संभावित क्रिकेटर बेसबॉल और बास्केटबॉल का दामन थामकर अमेरिका का रुख कर रहे हैं, या फिर क्रिस गेल की तरह टी-20 का आइकन खिलाड़ी बनकर वेस्ट इंडियन क्रिकेट से अपना नाता ही तोड़ ले रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इक्कीसवीं सदी में क्रिकेट का बाजार बुरी तरह दक्षिण एशिया में सिमट गया है। ये भी पढ़ें: 2016 में टीम में वापसी करने वाले खिलाड़ी
दक्षिण एशिया की बात करें तो यहां भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अब बांग्लादेश में भी हालात खराब रहने की वजह से दूसरे देश वहां खेलने से कतरा रहे हैं। ऐसे में कुछ विशेषज्ञों की राय है कि क्रिकेट को बचाने के लिए इसका दायरा उन देशों तक पहुंचाया जाए, जहां दक्षिण एशियाई लोग बड़ी संख्या में रहते हों। इस मामले में सबसे ज्यादा संभावना अमेरिका में ही है, जहां भारतीय और अन्य दक्षिण एशियाई लोगों की काफी बड़ी संख्या मौजूद है। और वहां बेसबॉल काफी लोकप्रिय है, जो क्रिकेट से काफी मिलता-जुलता खेल है। सुपरफास्ट अमेरिका को फटाफट के रूप में टी20 क्रिकेट अपना दीवाना बना सकता है। [Also Read: साल 2016 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाले खिलाड़ी]
वहीं खबर ये भी है कि साल 2017 में भी क्रिकेट ऑल स्टार्स सीरीज का आयोजन कराया जाएगा। ये मैच एक बार फिर अमेरिका में ही खेले जाएंगे लेकिन स्थानों के बारे में अभी फैसला नहीं लिया गया है। ऐसे में अगर आईसीसी इसी तरह के कदम उठाती रही तो आने वाले समय में प्रशंसकों को अमेरिका में कम से कम टी20 विश्व कप तो देखने को मिल ही सकता है।
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